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हरीश कंडवाल "मनखी "

Tragedy Others

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हरीश कंडवाल "मनखी "

Tragedy Others

जीवन का सुख

जीवन का सुख

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अरे अभागन तूने तो जन्म लेते ही अपनी माँ को खा दिया था, तुझे कँहा से सुख मिलेगा, अक्सर यह बात कमली की दादी गुस्से में कहती थी। दादी ने ही कमली को पाला था, पूरा गाँव उसे माँ का हत्यारा समझता था, घर में दो बड़े भाई थे, वह भी उसको उचकाते रहते थे। कमली के पिता ही उसे सबसे ज्यादा प्यार करते थे, क्योंकि वह जानते थे कि कमली की इसमें कोई गलती नहीं है, वह तो प्रारब्ध में लिखा था उसने होना था।

    जब कमली अपनी माँ के गर्भ में थी तो उसकी माँ ने कभी चैन से नहीं खाया। क्योंकि घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। कमली की माँ दिन भर घर और खेत के कामों में जुटी रहती। पहले भी दो बार प्रसव हुआ तो गिनती के 10 दिन घर के अंदर रही। देखभाल करने के लिये कोई नहीं था। सास भी बड़ी बहू के साथ रहती थी, थोड़ा बहुत हाथ बटा लेती थी। 11 वे दिन हवन करके शुद्ध हुए और कमली की माँ काम में जुट गई। हालात दिन भर दिन सुधरने की बजाय बिगड़ते गए। दो साल बाद फिर कमली की माँ गर्भवती हो गयी। उसने कमली के पिता को कहा भी की दो बच्चे हो गए इनकी परवरिश हो जाये यही बहुत है। लेकिन कमली के पिता चाहते थे कि एक बेटी हो जाये तो हम भी कन्या दान करने के पात्र हो जायेगा। कन्या दान से बढ़कर कोई दान नहीं होता है।

   वक्त अपनी रफ्तार पर था कमली अपनी माँ की गर्भ में आ गयी। पहले दोनों प्रसव घर में ही हुए थे, लेकिन दूसरे प्रसव में खून का स्राव ज्यादा हो गया, इसलिये कमली की माँ कमजोर ज्यादा हो गयी। घर में खान पान भी ऐसा कुछ नहीं था कि उनकी सेहत बन जाये। तीसरी बार कमजोरी ज्यादा आ गई, तबीयत दिन प्रतिदिन बिगड़ती गयी। अस्पताल लेकर गए तो पता चला कि कमली की माँ को ब्लड कैंसर हो गया है। डॉ ने कहा कि अभी यह गर्भवती है इनका इलाज संभव नहीं है। कमली के पिताजी के ऊपर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उसको बहुत पछतावा हो रहा था, कमली की माँ की कही बात याद आ रही थी। लेकिन प्रारब्ध में लिखे को कौन मिटा पाया है। जिसको इस दुनिया के रंग मंच पर अपनी लीला दिखानी है वह दिखाता है, कोई नायक तो कोई खलनायक कोई सुखी कोई दुःखी की भूमिका अदा करता है। कमली की माँ के जीवन मे दुख के बादल अधिक घने थे तो वह दुख लेकर ही उस पर बरसते थे, यही हाल कमली के पिताजी के भी थे।

    इधर कमली की तबीयत बिगड़ती जा रही थी, सब परेशान थे कि कही कमली की माँ गर्भावस्था में इस दुनिया को छोड़कर नही चली जाय, बस एक बार प्रसव हो जाय फिर उसका इलाज शुरू हो, दो ज़िंदगी का सवाल था एक जिसने अभी दुनिया नहीं देखी, एक वह जिसने जीवन में दुनिया तो देखी लेकिन जीवन का सुख नहीं।

    कमली की माँ को अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। सभी जाँच हुई तो पता चला कि कमली की माँ की बोन मेरो में जहां से रक्त बनता है जिसे रक्त मज़्ज़ा कहते है वहाँ खून बनना बंद हो गया है। डॉक्टर की टीम ने आपरेशन कर बच्चे को बचाने का फैसला लिया।  डिलीवरी का आपरेशन हो गया, कमली जैसे ही रोई उसकी माँ एक पल के लिये बहुत खुश हुई। माँ बच्चे के पैदा होने के बाद पहली बार रोने पर सबसे ज्यादा खुश होती है, उसके बाद जब वह रोता है तो सबसे ज्यादा परेशान होती है। लेकिन अगले ही पल वह दुखी भी हुई कि मैं अभागन इस बच्ची को जन्म देकर इसे सुख नहीं दे पाऊंगी। कमली की माँ का हृदय भर आया, ना खुश हो पा रही थी और ना दुःख जता पा रही थी। लेकिन खुशी इस बात की ज्यादा थी कि कमली के पिता बेटी चाहते थे उन्हें कन्या दान करना था उन्हें यह सौभाग्य प्राप्त हो जायेगा।

    कमली की माँ ने कमली के पिता को कहा कि आपकी मनोकामना तो पूर्ण हो गयी है, लेकिन इसे कभी यह अहसास मत होने देना की इसकी माँ नहीं है। अब तुमको ही माँ और बाप दोनों का फर्ज निभाना है। कमली की माँ को भी अपनी मौत का अहसास हो गया था। कमली की माँ ने अस्पताल में दोनों बड़े बेटों को बुलाया, सब परिवार से मिलने की इच्छा व्यक्त की, उसकी इच्छा के अनुरूप सबको बुला दिया। सबसे मिली और सबको कमली का ख्याल रखने को कहा। कमली नाम भी उसकी माँ ने ही लाड़ से रखा। बेटी भूखी ना रहे शरीर मे ईश्वर ने रक्त संचार तो करना बंद कर दिया लेकिन माँ की ममता ने अपने आँचल में कमली के लिए दूध बन गया। दो दिन तक दूध पिलाया और अगली रात कमली की माँ सब कुछ छोड़कर इस दुनिया के सुख को दुनिया के लिये छोड़कर चली गयी।

    कमली को उसकी दादी घर ले आयी। गाय के दूध देकर बिन माँ की बच्ची को पाला। कमली के पिताजी ने माँ बाप दोनों का फर्ज निभाया। दादी गुस्से में कह देती थी लेकिन कमली को बहुत प्यार भी करती थी। धीरे धीरे कमली बड़ी होती गयी। पढ़ने में होशियार थी, पिताजी ने भी कमली के लिये कोई कमी नहीं की। लेकिन कमली को सब माँ का हत्यारा समझते थे जिसकी टीस उसके मन में हमेशा रहती।  

   पिताजी का वह बहुत ख्याल रखती थी। दादी भी उसे छोड़कर इस दुनिया से अलविदा कह गयी थी। दोनों भाई अब समझदार हो गए तो कमली से वह भी बहुत प्यार करते। जीवन का हर सुख कमली को मिला लेकिन असली सुख माँ का प्यार और लाड़ दुलार नहीं मिला, माँ की तरह समझाने वाला कोई नहीं मिला। कमली की शादी अच्छे घर में हो गयी सब भौतिक सुख सुविधा थी, पति भी प्रेम करता था। लेकिन जीवन के असली सुख जो माँ से मिलता है वह उसे नहीं मिल पाया, जिसका मलाल उसे ताउम्र रहा।



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