जब अपना ही खून गलत हो भाग -2

जब अपना ही खून गलत हो भाग -2

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मेरे पिछले ब्लॉग “जब अपना ही खून गलत हो” भाग -1 में मैंने बताया था कि किस तरह रागिनी और अमित प्रेम विवाह कर पिछले छः सालों से इस पवित्र बंधन को निभा रहे थे, लेकिन घर में रागिनी और अमित की माँ के बीच के खराब संबंध बार बार क्लेश पैदा करते थे, इसी बीच अमित की सौम्या से हुई मुलाकात जोकि प्यार में बदल गयी जिस कारण अमित रागिनी को तलाक देने का फैसला कर सौम्या के साथ नए जीवन की शुरुआत करने की सोच चुका था,अमित की माँ का उसके इस गलत फैसले के खिलाफ जाकर व रागिनी का साथ देने के कारण दोनों के बीच माँ बेटी जैसा रिश्ता बन चुका था।।अमित सौम्या से शादी कर अपना नया घर बसा चुका था।

अमित से तलाक होने के बाद रागिनी टूट चुकी थी, आज उसके दिल की बात को समझने वाला अमित की माँ से बेहतर और कोई नही था। आखिर करती भी किससे रागिनी की माँ का देहांत हुए तीन साल जो हो गए थे घर मे केवल पिताजी और भाई भाभी थे जो केवल नाम के ही थे।अपने पिताजी के घर मे रहना केवल रागिनी की मजबूरी थी परंतु वो किसी पर बोझ नही बनना चाहती थी इसलिए उसने दोबारा नौकरी करने का फैसला लिया और उसकी मेहनत, ईमानदारी व काम के प्रति लगन को देखते हुए काफी अच्छे पोस्ट व पैकेज में उसको नौकरी मिल गयी थी।

वही दूसरी तरफ अमित और सौम्या की शादी को भी चार माह हो चुके थे वो दोनों साथ साथ ऑफ़िस जाते साथ साथ वापिस घर आते। एक दिन अमित ऑफ़िस के जरूरी काम के लिए सुबह घर से जल्दी निकल गया था।आधा दिन निकल चुका था अमित काम में इतना व्यस्त व बेखबर था कि आज सौम्या ऑफ़िस आयी ही नही थी। लंच टाइम में माँ की बहुत सारी आयी मिस्ड कॉल्स देख उसने माँ और सौम्या को फोन लगाने की काफी कोशिश कि परन्तु सौम्या का फोन लगातार स्विच ऑफ जा रहा था, माँ का कवरेज क्षेत्र से बाहर ।अमित बेहद घबराई हुई स्थिति में ऑफ़िस का सारा काम छोड़ जल्दी से घर पहुंचा तो उसकी माँ सोफे पर सिर पर हाथ रख चिंतित हुई बैठी मिली।।

अमित ने एक ही सांस में पूछ डाला ”क्या हुआ माँ,सब ठीक तो है ना और सौम्या कहाँ है आज ऑफ़िस क्यों नही आई उसका फोन भी स्विच ऑफ जा रहा है आप फोन नही उठा रही थी”।

माँ बेहद कुंठित मन से बोली कि “अमित सौम्या घर छोड़ कर चली गयी है व यह लेटर तुम्हारे लिए छोड़ गयी है।तुम्हें कितने फोन किये तुम्हारे मोबाइल पर व ऑफ़िस नंबर पर लेकिन तुमसे एक बार भी बात न हो पाई”।

अमित की समझ से सब कुछ बाहर था कि अचानक से ऐसा क्या हो गया जो सौम्या घर छोड़ कर चली गयी, सुबह तक तो सब ठीक था उसने बिना कोई देर किए सौम्या का लेटर खोला जिस पर लिखा था....

“अमित,आज सुबह माँ की अलमारी साफ करते समय तुम्हारी दौ साल पुरानी मेडिकल रिपोर्ट मिली जिस पर लिखा हुआ है कि तुम कभी अपनी बीवी को माँ बनने का सुख नही दे सकते..मैं नही जानती की क्या तुम्हे पता है या नही परंतु इतना जरूर जानती हूं कि एक औरत के जीवन का सबसे बड़ा सुख माँ बनने का होता है और जब उसका पति उसे वो सुख ना दे पाए तो ऐसे में रिश्ता निभाना असंभव सा हो जाता है। मैं सौम्या हूँ रागिनी नही जोकि इतनी बड़ी बात जानते हुए भी तुम्हारे साथ अपनी पूरी ज़िंदगी बिताने को तैयार रहे।मैं तुमसे प्यार जरूर करती हूं लेकिन इतनी ज़िंदादिली नही है मुझ में, मैं अब इस रिश्ते को आगे नही निभा सकती इसीलिए घर छोड़ कर जा रही हूँ और तलाक के कागज़ात जल्द ही भिजवा दूँगी।“

सौम्या का लेटर पढ़ अमित की आँखों से आँसू निकल पड़े अपनी रिपोर्ट को देखा तो उसके पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई मानो। ढ़ेरो प्रश्न व विचार उसके मन मे उथल पुथल कर रहे थे इससे पहले कि वो कुछ पूछता उसकी माँ बोल पड़ी “तुम्हें याद है अमित,आज से दो साल पहले जब रागिनी के मन में माँ बनने की चाह थी परंतु कंसीव ना कर पाने के कारण डॉक्टर ने तुम दोनों के कुछ टेस्ट करवाये थे जोकि तुम्हारे लिए केवल फॉर्मेलिटीज थीं और पैसा कमाने व आगे बढ़ने का जुनून इतना सवार कि तुमने कभी उन टेस्टों की रिपोर्ट जानने की कोशिश नही की थी जिसमें साफ साफ लिखा था कि तुम रागिनी को कभी माँ बनने का सुख नही दे सकते। इतनी बड़ी बात जानने के बाद रागिनी दुखी तो ज़रूर हुई थी परंतु वो तुम्हें दुखी नही देखना चाहती थी क्योंकि वो इस रिश्ते को प्यार से सींचना चाहती थी तभी उसने ये बात तुझसे छुपायी और मुझे भी बताने से मना कर ये रिपोर्ट्स के कागज़ मुझे दे दिए छुपा कर रखने के लिए और आज देखो ना चाहते हुए भी यह सच्चाई तुम्हारे सामने आ गई।"

माँ की बातें सुन अमित निःशब्द सा खड़ा रहा आज उसे सौम्या से ज्यादा रागिनी के साथ अपना रिश्ता टूटने का ग़म था, खुद को आपराधिक महसूस कर रहा था वो और अब इस आत्मग्लानि व अकेलेपन के साथ आगे के जीवन को व्यतीत करना ही उसकी सबसे बड़ी सजा थी।


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