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akshayakumar Dash

Abstract

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akshayakumar Dash

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जानवर

जानवर

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जंगल की शोभा जानवर है। जंगल नहीं तो जानवर कहां। मकरू नेता को बोला। नेता, कुछ लोग अपना भलाई के लिए चुने। लेकिन नेता अपना भलाई में लगाया। जमीन, जंगल, उसके कब्जे में। नेता किसान सुनरहा मकारू की बात । बोले, तुम लोग तो रुपया लेकर वोट दीए, हम लोग क्या करेंगे, हमारे भी बाल बच्चे हैं। नेता बोले, माकरू इस जंगल की जिम्मेदारी तुम को दे रहा हूँ, यहां पेड़ पौधे की देखभाल तुम करोगे । सरकारी लोग रेंजर साहेब,फरेस्टर, मेरे साथ हैं। जंगल से हाथी को भागने इनलोग को मदद करो । तुमको बख्सीश मिलेगा। मकारु जोर से हंसी पड़ी , बोला बख्सीश तुम लो, हमलोग करेंगे, साहब को मदद करेंगे । हाथी जंगल में कहाँ खाएगा, इसलिए खेती बाड़ी की तरफ चल पड़ा । तुम जैसे लोक उन जानवर के बारे में जरासा सोचो, यह धरती मानुस का? अरे हाथी सराख्यन के प्रोजेक्ट संविधान में पासकिया, क्या हाथी भागने या उनकी ब्रुद्घि के लिए। तुम लोक हाथी को मारने थिकादार या तस्कर को अनुमति दिया, नेता चौक पड़े, बोले क्या बकवास कर रहा , तुम मेरे ऊपर इंजम लगवाया, तुम जो बोला, प्रमाण बताओ। मकर बोला, चलो कितने हाथी मारने तुमारा चाल का प्रमाण आगे जुआंग पड़ाथी सुनेगा । नेता किसान समझ गया अपना हकीकत । ये माकरु जुआंग की मुखिया, उसके साथ सपर्क रखना पड़ेगा, अगला चुनौती में काम देगा । कुछ रुपए निकाल कर उनके देना चाहिए । लेकिन मकरी लेने केलिए नाराज हुआ, बोला , रख तेरा पकेट में, फिर मुझे पर इंज। म लगेगा, सुन मेरी बात, इस जंगल में पेड़ पौधे अजसे काटना बंद कर, नहीं तो यहां पर भोट मांगने आना बंद हो जाएगा । नेता ने हार माना, जंगल इन्सान का नहीं, वह भी जानवर का, प्रकृति की देन। उसकी सुख्या हमलोग करेंगे । नेता चल गया । मकरी बोला, सले' हमारा इलाका पर राज करते हैं ।



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