"जाने तुम कब आओगे"
"जाने तुम कब आओगे"
सेवंती बेसब्री से दरवाजे की ओर देखे जा रही थी।
साथ ही साथ रसोई में काम भी करती जा रही थी।
अब तलक नहीं आया ?
इसी समय तो रोज आता है।
मन ही मन खुद से बात करती जा रही थी।
तभी दूसरे कमरे से मांजी की आवाज आती है।
बहू खाना बन गया हो तो ले आओ जोरों से भूख लगी है।
सेवंती हड़बड़ाते हुए कहती है आयी मांजी।
और अपनी सास के लिए खाना परोसने लगती है।
बहुत देर कर दी बहू आज तबियत तो ठीक है ?
बूढ़ी सास ने चिंतित स्वर में पूछा।
जी मांजी में बिल्कुल ठीक हूं।
कह कर वह उन्हें खाना खिलाने लगी।
जल्दी से काम निपटा कर वह फिर दरवाजे पर बैठ गई।
थोड़ी ही देर में उसने दूर आते डाकिये को देखा।
उसकी आंखों में एक चमक तैर गई।
उसने झट से पूछा भैया बहुत देर कर दी आपने।
डाकिये ने हंसते हुए कहा,भाभी मैं तो इसी समय आता हूं।
शायद आपसे इंतजार नहीं हो रहा था।
सेवंती शरमाते हुए कहती है।
लाइये भैया मेरी चिट्ठी।
और चिट्ठी लेकर अपने कमरे में बैठ जाती है।
और सरसरी नजरों से जल्दी से उसे पढ़ लेना चाहती है।
फिर धैर्य से उस चिट्ठी के एक-एक शब्द को प्रेम से निहारती है।
और खो जाती है,अपने ख्यालों में।
जैसे कल की ही बात हो।
वह स्कूल की पढ़ाई पूरी करके कालेज में गई ही थी,
कि बाबूजी उसके लिये रिश्ते देखने लगे।
और एक दिन वह भी आ गया जब मनोज उसे देखने आते।
ये सोचते हुए उसके गालों पर अब भी लाली तैर गई,
कि कैसे वह कनखियों से मनोज को देखकर शर्म से लाल हो गई थी।
आखिर में दोनों का रिश्ता तय हुआ और वह विवाह बंधन में बंध गए।
वह बैंक में क्लर्क की पोस्ट पास ही के कस्बे में थे।
तो रोज शाम को घर लौट आते थे।
सेवंती जल्दी से सारे काम खत्म करके उनका इंतजार किया करती थी।
घर में एक सास और मनोज ही थे।
तो गृहस्थी संभालने में उसे ज्यादा परेशानी नहीं हुई।
सब कुछ ठीक चल रहा था।
बड़े ही प्रेम से दिन गुजर रहे थे।
कभी मां मायके आने का बोलती।
तो सेवंती यह कह कर टाल देती,
कि मां ,मांजी की देखभाल करने वाला कोई नहीं है।
जबकि सेवंती मनोज के प्रेम में इतना रम गई थी।
कि एक दिन के लिए भी उनसे दूर नहीं जाना चाहती थी।
तभी एक शाम मनोज जब आफिस से घर लौटते हैं,
तो उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें थीं।
सेवंती हाथ में चाय का कप देते हुए पूछती है।
क्या हुआ ? आप कुछ परेशान दिख रहे हैं ?
मनोज ने गहरी सांस लेते हुए कहा।
बात ही चिंता की है।
मेरा ट्रांसफर बिलासपुर हो गया है।
4 दिन में ही ज्वाइन करना है।
मां और तुम कैसे अकेले रहोगी यही चिंता है।
यह सुनकर सेवंती का चेहरा मुरझा गया।

