Kuch unkahi Kuch unsuni

Thriller

4.5  

Kuch unkahi Kuch unsuni

Thriller

झील में परछाईं किसकी (भाग-1)

झील में परछाईं किसकी (भाग-1)

2 mins
450


  

अंत में उसने उस रहस्य को उजागर कर ही दिया। कि झील में जो आधी रात को परछाईं दिखाई देती थी, वो किसकी थी।समर छुट्टियों में अपने गांव आता है।एक शाम वो अपने दोस्तों के साथ गांव से बाहर पगडंडियों से होते हुए झील की ओर निकल गया।

गर्मी की शाम को झील का किनारा बहुत सुकून दे रहा था। वह और उसके दोस्त घंटों  वहीं बैठकर बतियाते रहे।कब रात के 10 बज चुके थे उन्हें पता ही नहीं चला। उसके सारे दोस्त अपने-अपने घर चले गए।समर अभी वहां थोड़ी देर और रुकना चाहता था। वह उस प्रकृति के सौंदर्य को अपने अंदर समेट लेना चाहता था।एक अजीब सी शांति थी वहां अब चूंकि रात बढ़ चुकी थी तो चारों ओर सन्नाटा पसरा था।

चांद भी झील के बीचों बीच उतर आया था। समर कभी चांद को देखता कभी झील के शांत पानी को।

अचानक झील के पानी में एक परछाईं दिखाई देती है।समर अचानक चौंक जाता है,कि इतनी रात को कौन है?वह पूछता है। कौन है वहां? उसकी आवाज सुनकर वह परछाईं गायब हो जाती है।समर आवाज लगाता है। परंतु कोई उत्तर नहीं आता।।वह बड़ी देर तक चारों ओर देखता है।और आवाज लगाता है। मैं कहता हूं कौन है वहां।कुछ बोलते क्यूं नहीं।जबाब क्यूं नहीं देते। परंतु अब भी उस ओर केवल खामोशी ही थी।।जब कोई आवाज नहीं आयी तो अब समर को भी डर लगने लगा और वह तेज-तेज कदमों से चलता हुआ घर की ओर बढ़ने लगा। परन्तु उसके दिमाग में केवल वही बात चल रही थी,कि आखिर कौन हो सकता है।इतनी रात को वहां? कहीं कोई आत्मा तो नहीं थी? ऐसा विचार आते ही उसके शरीर में सिहरन सी दौड़ गई और उसने अपने कदमों की गति और तेज कर दी।

अब वह अपने घर पहुंच गया था। रात बहुत हो चुकी थी तो घर पर सब सो गए थे। मां ने उसका खाना उसके कमरे में ही रख दिया था। उसमें खाना खाया और अपने बिस्तर पर लेट गया परंतु उसे नींद नहीं आ रही थी। बार-बार उसके दिमाग में यही विचार कौंध रहा था,कि झील में इतनी रात को दिखने वाली वह परछाई किसकी होगी?उसने मन ही मन निश्चय किया कि कल जाकर वह जरुर पता लगायेगा कि कौन था वहां? दूसरे दिन फिर शाम को निकल पड़ता है‌। झील की ओर,और इंतज़ार करने लगता है।रात होने का, परंतु आज उसे वो झील का किनारा सुकून देने की बजाय कुछ बेचैन कर रहा था।खैर नियत समय पर झील के दूसरी तरफ फिर हलचल होती है और वो परछाईं दिखाई देती है।समर फिर आवाज़ देता है।कौन है वहां? बोलते क्यों नहीं कौन हो तुम? दूसरी तरफ से आज भी कोई आवाज नहीं आती।और वो परछाईं फिर गायब हो जाती है।समर उसका पीछा करता है।पर वहां कोई नहीं दिखाई देता ।समर फिर उधेड़बुन में डूबा हुआ घर वापस चला जाता है।अब उसके मन में और भी कौतुहल जाग गया था।कि आखिर वो परछाईं किसकी है? क्या कोई आत्मा है? या कोई व्यक्ति?आज समर की गर्मी की छुट्टियां खत्म हो रहीं थीं और उसे वापस जाना था।पर वह उस परछाईं का रहस्य जाने बिना वापस नहीं जाना चाहता था। उसने निश्चय किया कि वह इस रहस्य का पता लगा कर ही रहेगा कि वो परछाईं किसकी है?

आज शाम को वह झील के किनारे पर ना बैठ कर वह झील के दूसरी तरफ झाड़ियों में छुप कर बैठ जाता है।और रात होने का इंतजार करने लगता है।रात के जैसे ही 10 बजते हैं वह परछाईं फिर दिखाई देती है।इस बार समर झाड़ियों के पीछे से निकल कर उसे जोर पकड़ लेता है। तो वह हड़बड़ा जाती है। छोड़ो मुझे छोड़ो क्यूं पकड़ रक्खा है मुझे?वह अपने आप को समर की गिरफ्त से छुड़ाने की कोशिश करती है।दर-असल वह परछाईं एक लड़की की थी।

पर तुम कौन हो? और इतनी रात को यहां क्या कर रही हो? तुम्हें डर नहीं लगता? तुम्हारे घर वाले तुम्हें यहां अकेला कैसे आने देते हैं?‌समर ने सवाल पर सवाल दागने शुरू कर दिये।समर के सवाल सुनकर वह लड़की जोर-जोर से रोने लगती है।बू हू हू हू आ बू हू हू हू ,उसको रोता देख समर हड़बड़ा जाता है।उसे समझ नहीं आता कि वह क्या करे।वो उसे चुप कराने की कोशिश करता है।देखो तुम शांत हो जाओ रोओ नहीं। मैं कुछ नहीं करुंगा बस तुम शांत हो जाओ। लेकिन उस लड़की का रोना अब भी जारी रहता है। समर उससे शांत होकर सारी बात बताने के लिए कहता है ।तो थोड़ी देर रोने के बाद वह चुप हो जाती है। और समर से कहती है कि तुम वादा करो गांव में किसी को मेरे बारे में कुछ नहीं बताओगे। समर कहता है ठीक है शांत हो जाओ मैं तुम्हारे बारे में किसी को नहीं बताऊंगा ।मुझ पर भरोसा करो। वह लड़की शांत हो जाती है और समर को अपनी पूरी कहानी बताने लगती है। वह गांव के ही ठाकुर परिवार की बेटी श्यामली है।  उसे गांव के ही एक हरिजन परिवार के लड़के से प्रेम हो गया। जिसका नाम गोविंद था। गोविंद और श्यामली की प्रेम कहानी आगे बढ़ने लगी। और इसके बारे में कानों कान किसी को कोई खबर नहीं होती है। दोनों छुप-छुपकर इसी झील के किनारे मिलते थे। लेकिन कहते हैं कि इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपते। गोविंद और श्यामली को झील किनारे रात में मिलते हुए गांव के ही एक व्यक्ति ने देख लिया। और श्यामली के घर पर इसकी खबर दे दी। उन दोनों की प्रेम प्रसंग के बारे में सुनकर ठाकुर परिवार गुस्से से पागल हो गया। और गोविंद के घर वालों को चेतावनी दी कि अपने बेटे को समझाऐ कि आज के बाद उसकी बेटी से मिलने की कोशिश नहीं करें ।नहीं तो उसको मरवा कर फिकवा देंगे। और उधर श्यामली पर भी बंदिश लगा दी गई अब उसका घर से निकलना बंद करवा दिया गया। दोनों परिवार और समाज के आगे बेबस और लाचार थे।। पर दोनों का प्रेम सच्चा था। तो वह हार मानने वाले नहीं थे। और दोनों इंतजार करने लगे कि कैसे उन दोनों का मिलन हो और घर वाले राजी हो जाएं। एक दिन गोविंद श्यामली को खबर भिजवाता है,कि वह गांव के बाहर उसी झील किनारे  रात को ठीक 10:00 बजे मिले। जहां वह दोनों हमेशा मिलते हैं। खबर पाकर श्यामली नेवी बमुश्किल रात में निकलने की योजना बना ली और वह रात को ठीक 10:00 बजे उसी झील किनारे आ जाती है.......


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Thriller