झील में परछाईं किसकी (भाग-1)
झील में परछाईं किसकी (भाग-1)
अंत में उसने उस रहस्य को उजागर कर ही दिया। कि झील में जो आधी रात को परछाईं दिखाई देती थी, वो किसकी थी।समर छुट्टियों में अपने गांव आता है।एक शाम वो गांव से बाहर पगडंडियों से होते हुए झील की ओर निकल गया।
गर्मी की शाम को झील का किनारा बहुत सुकून दे रहा था। कुछ देर बाद चांद भी झील के बीचों बीच उतर आया था। अचानक झील के पानी में एक परछाईं दिखाई देती है।समर अचानक चौंक जाता है,कि इतनी रात को कौन है?वह पूछता है। कौन है वहां? उसकी आवाज सुनकर वह परछाईं गायब हो जाती है।समर आवाज लगाता है। परंतु कोई उत्तर नहीं आता।।वह तेज कदमों से चलता हुआ घर की ओर बढ़ने लगा। उसने निश्चय किया कल जाकर वह पता लगायेगा कि कौन था वहां? दूसरे दिन फिर शाम को निकल पड़ता है झील की ओर,और इंतज़ार करने लगता है। नियत समय पर झील के दूसरी तरफ फिर हलचल होती है और वो परछाईं दिखाई देती है।समर फिर आवाज़ देता है।कौन है वहां? बोलते क्यों नहीं कौन हो तुम? दूसरी तरफ से आज भी कोई आवाज नहीं आती।और वो परछाईं फिर गायब हो जाती है।समर उसका पीछा करता है।पर वहां कोई नहीं दिखाई देता ।समर फिर उधेड़बुन में डूबा घर जाता है ।उसकी आज छुट्टियां खत्म हो रहीं थीं और उसे वापस जाना था।पर वह उस परछाईं का रहस्य जाने बिना वापस नहीं जाना चाहता था। उसने निश्चय किया कि वह इस रहस्य का पता लगा कर ही रहेगा कि वो परछाईं किसकी है?
आज वह झील के दूसरी तरफ झाड़ियों में छुप कर बैठ जाता है।रात के जैसे ही 10 बजते हैं वह परछाईं फिर दिखाई देती है।इस बार समर झाड़ियों के पीछे से निकल कर उसे जोर पकड़ लेता है। वह एक लड़की थी।पर कौन?????
