Arun Gupta

Tragedy

3.8  

Arun Gupta

Tragedy

ईमानदारी और सज्जनता का दंड

ईमानदारी और सज्जनता का दंड

8 mins
324


एक बार एक लड़का था जिसका नाम रघु था वह बहुत ही होशियार था, उसकी आसानी से किसी से पटती नहीं थी क्यूँकि उसे ज्यादा हँसी मज़ाक पसंद नहीं था, वो सदा अपने काम में व्यस्त रहता। खाली समय में उसे किताबें पढ़ने का बहुत शौक था वो जो भी नई किताब उसे मिलती जल्द से जल्द उसे पूरी पढ़ने की कोशिश करता जल्द ही उसे पूरा पढ़ भी लेता।

इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो अपने शहर के डिग्री कॉलेज में वी. एससी. में प्रवेश लेता है वो किसी से ज्यादा बोलता नहीं है इससे लोग उसे घमंडी समझते है कुछ उसकी कक्षा के लड़के उसका उसके पीछे मज़ाक भी बनाते है लेकिन उस पर इन सब चीज़ो से कोई प्रभाव नहीं पढ़ता है। वो कॉलेज के हर प्रतियोगिता में हिस्सा लेता तथा प्रथम स्थान प्राप्त करता है धीरे धीरे लोग उसे समझने लगते है और उससे दोस्ती करना चाहते है उसके बहुत मित्र बन जाते है। पढ़ाई में शुरू से अच्छा और लगनशील होने के कारण वी. एससी. पूर्ण होने के तुरंत बाद ही उसकी नौकरी आयकर विभाग में लग जाती है। रघु एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता है उसके पिता सोचते है की पूरी ज़िंदगी परेशानी में ही काटी है क्यों ना किसी अमीर परिवार की लड़की से इसका विवाह करा दिया जाए वो रघु से कहते है की कोई अमीर लड़की देख कर शादी कर लो या तुम कहो तो मैं ढूंढना शुरू करूँ। रघु उन्हें समझाता है मुझे लड़की से शादी करनी है ना की अमीर और ग़रीब। लड़की पढ़ी लिखी हो संस्कारी हो जो आप सभी की सेवा करे आज कल की लड़की सिर्फ अपना सोचती है वो माँ बाप को नहीं देखती समझे आप, अगर अच्छी ज़िंदगी गुजारनी हो तो संस्कारी लड़की देखो ना की अमीर। उसके पिता यह सुनकर नाराज़ होते है और कहते है जो तुम्हें ठीक लगे वो करो मैं तो बस तुम्हारे अच्छे के लिए सोच रहा हूँ।

हमारी पूरी ज़िंदगी गरीबी में कट गयी तुम्हें अगर अपनी ज़िंदगी ठीक गुजारनी है तो कोई पैसे वाली से ही करो, क्यूँकि संस्कार मुँह पर नहीं लिखे होते किसी के लेकिन जो व्यक्ति अमीर होगा वो दूर से ही दिखाई देगा और आज कल कोई संस्कारी नहीं है सब सिर्फ अपना सोचते है फिर चाहे अमीर हो या ग़रीब और हाँ एक बात और बिना पैसे के सज्जन व्यक्ति को लोग आज कल पागल या सीधा कहते है ध्यान रखना। मेरे एक दोस्त ने अभी अपने बेटे की शादी की है उसे एक बड़ी कार मिली है शादी में और बहू भी बहुत सुन्दर है रोज आराम से वो उसी कार से यहाँ वहाँ मंदिर घूमता है वो अलग बात है अगर बहू कभी कोई बात नहीं मानती तो भी क्या अब इतना तो आज कल के बच्चों में है ही, इसीलिए समझा रहा हूँ कोई अमीर देख समझा। रघु उन्हें समझाता है क्या वृद्धाश्रम का नाम नहीं सुना ज्यादा अमीर लड़की ही वृद्धाश्रम भेजती है बूढ़े माँ बाप को समझ लेना तब तक माँ आ जाती कहती है क्या सुबह सुबह बहू बहू की रट लगा रखी है जब होनी होगी हो जाएगी मैं ढूंढ दूंगी मेरे बेटे को एक सुन्दर लड़की। रघु की माँ एक सुन्दर लड़की का फोटो उसे दिखाती है बताती है की ये लड़की हम से पैसों में थोड़ी कम है लेकिन सुन्दर पढ़ी लिखी और घर के कार्यो में बहुत दक्ष है।

रघु माँ की बात मान कर शादी कर लेता है शादी के एक साल तक तो सब बहुत अच्छा चलता रघु ईमानदारी से सभी काम करता है। समय से अपने ऑफ़िस जाता है घर के भी ज़रूरी काम वो करता है मोहल्ले वाले अपने बच्चों को उसी का उदहारण दे कर उसके जैसा बनने को कहते है। मोहल्ले के उसके साथी उससे राय लेते है की उन्हे क्या पढ़ना है क्या नहीं कैसे उन्हें नौकरी मिलेगी। रघु सभी की मदद करता है वो अपनी किताबें मोहल्ले के राहुल को पढ़ने के लिए दे देता है जिससे गरीब राहुल भी उसके तरह बन सके। रघु को इस बात की बहुत खुशी होती है अगर वो किसी की मदद कर सके इसीलिए वो हमेशा मदद के लिए तैयार रहता है। रघु अपने ऑफ़िस में सबसे ईमानदार अफ़सर के रूप में जाना जाता है लेकिन आयकर जैसे विभाग में कहाँ ईमानदारी काम आती है उसके साथ के लोग उसकी ईमानदारी से परेशान रहते है, क्यूँकि रघु के आने से उनका भी ऊपरी खर्चा पानी बंद हो गया है।उसके साथ के अधिकारी उसे समझाते है की अब तुम्हारी शादी हो गयी है तुम्हारा खर्च बढ़ गया होगा तो थोड़ी ईमानदारी को कम कर के कुछ धन भी कमा लो क्यूँकि वही आगे काम आएगा। रघु साफ़ साफ़ मना कर देता है इससे उसके साथ के लोग मन ही मन नाराज़ रहते है। एक दिन रघु की पत्नी अपने भाई को रिश्वत दे कर किसी सरकारी नौकरी में लगवाने को कहती है रघु उसे साफ़ इंकार कर देता है वो कहता है मैं ईमानदारी से कमाता हूँ मुझ पर उसकी रिश्वत के लिए रूपए नहीं है और होते भी तो भी नहीं देता, मैं हमेशा ईमानदारी से काम करता हूँ। इससे रघु के ससुराल वाले नाराज हो जाते है और धीरे धीरे कर के रिश्तेदार उससे दूर होने लगते है। रघु के ससुर कहते है देखो ईमानदारी भी एक सीमा तक ही ठीक लगती है तुमने दुनियाँ नहीं देखी है सीधे पेड़ ही हमेशा काटे जाते है इसीलिए ये सज्जनता को कम करो थोड़ा रौब में रहा करो और हमेशा पहले अपनों के बारे में सोचो अगर तुम अपने साले की नौकरी पुलिस में लगवा दोगे तो वो पूरी ज़िंदगी तुम्हारा नाम लेगा और हर महीने कम से कम पचास हजार कमायेगा समझे, आज कल रिश्वत लेना कोई बुरी बात नहीं बल्कि ये तो अब फक्र की बात हो गयी है जिसके पास पैसा है बस वही ईमानदार है, ये समझो इसीलिए कहता हूँ तुम जिस विभाग में हो जितना कमा सकते हो उतना किसी विभाग में नहीं इसीलिए वहां से कमा कर अभी रिश्वत दे दो। एक महीने का वक़्त है रिश्वत देने के लिए हम ब्याज सहित वापस कर देंगे रूपए तुम उसकी चिन्ता ना करो। इतना सुनते ही रघु को गुस्सा आ जाता है वो कहता है कैसी बात करते हो ससुर जी रिश्वत कोई अच्छी चीज़ नहीं है मैं कभी रिश्वत नहीं लूंगा चाहे जो भी हो, इतना सुनते ही ससुर जी गुस्से में लाल हो कर कहते है, मुझे डर है कहीं मेरी बेटी भूखी ना मरे तुम्हारी ईमानदारी के चक्कर में तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता तुमसे हमे उम्मीदें थी की कुछ मदद करोगे लेकिन तुम तो हमे अपने लगे ही नहीं, गुस्से से नाराज़ ससुर जी बिना कुछ खाये घर से बाहर चले जाते है है।

एक दिन किसी बड़े उद्योगपति के यहाँ रघु और उसके अधिकारी रेड डालते है और बहुत अधिक रूपए और जेवर पकड़ते है वो उद्योगपति उन अधिकारी और रघु को एक ऑफर देता है वो कहता है अगर तुम मुझे छोड़ दो तो मैं आधा धन तुम्हें दे दूँगा जिससे तुम सब पूरी ज़िंदगी मज़े करोगे ये इतना धन है जो पूरी ज़िंदगी तुम नौकरी कर के भी नहीं कमा सकते। सभी अधिकारी एक दूसरे का मुँह देखते है फिर रघु की तरफ देख कर पूछते है क्या विचार है रघु मना कर देता है और उद्योगपति को कड़ी सज़ा दिलाने की चेतावनी देता है और वहाँ से चला जाता है। इतनी बड़ी रकम को कोई भी अधिकारी जाने नहीं देना चाहता इसीलिए वो सभी मिल कर रघु को रिश्वत लेने को लेकर झूठा फँसा देते रघु को जेल जाना पड़ता है, रघु ने पूरा जीवन ईमानदारी से व्यतीत किया है इसीलिए उसे रिश्वत का इल्ज़ाम वो सह नहीं पाता और आत्म हत्या की सोचता है, लेकिन फिर रुक जाता है सोचता है अगर ऐसे ही मर गया तो लोगो को लगेगा सच में रिश्वत ली है। रघु की पत्नी अपने सभी रिश्तेदारों को बताती है की रघु ईमानदार है उसे फँसाया गया है लेकिन कोई भी यक़ीन नहीं करता वो रघु का केस लड़ने के लिए वकील से मिलती है वकील उसकी पूरी बात सुनता है और कहता है, मैं तुम्हारे पति को बचा लूँगा लेकिन मेरी फ़ीस बहुत ज़्यादा है क्या तुम दे पाओगी रघु की पत्नी कुछ देर सोच में पड़ जाती है फिर अपने पति को बचाने के लिए वो उस समय हाँ कह देती है। वकील साहब कहते है मेरी फ़ीस दे दे आप पहले फिर मैं सोचता हूँ क्या करना है इस केस में ।अपने शादी में मिले जेवर को बेच कर वकील साहब की फ़ीस दे देती है और उनसे उन्हें बचाने की प्रार्थना करती है । दो माह बाद उसकी ज़मानत हो जाती है उसकी पत्नी समझाती है ईमानदारी से कुछ नहीं होता लेकिन वो नहीं मानता। रघु की नौकरी चली जाती है वो एक एक पैसे को दुःखी होता है उसकी बीवी उसे सुबह शाम ताने देती है।

वो कई छोटे व्यवसाय करता है लेकिन इससे उसका गुज़ारा नहीं होता वही उसके साथ के अधिकारी महँगी कार में घूमते ये देख उसे बुरा लगता है। एक रात उसका उसकी बीवी से बहुत झगड़ा होता है उसकी बीवी उसकी ईमानदारी को लेकर ताने मारती है और कहती है क्या अब दूसरों के घर भीख मांग कर ला कर तुम्हें खिलाऊ और बनो ईमानदार कल से घर में एक दाना नहीं है और पड़ोस की दुकान का उधार भी है वो उसे सुबह घर छोड़ कर जाने की धमकी देती है और दूसरे कमरे में जा कर सो जाती। रात में रघु रोता है और फिर सुबह 4 बजे करीब फाँसी लगा लेता है, उसे दुःख अपनी ईमानदारी या गरीबी का नहीं उसे उसकी पत्नी का साथ ना मिलने का दुःख होता है जब उसकी पत्नी सुबह कमरे में जा कर देखती है तो वो उसे मृत पाती है इस तरह एक ईमानदार सज्जन व्यक्ति अपनी सज्जनता और ईमानदारी का दण्ड भोगता है।  

 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy