ईमानदार लकड़हारा
ईमानदार लकड़हारा
लकड़हारा बड़ा गरीब था। पहले केवल लकड़ियाँ काटता था। जब लकड़ी काटते हुए उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई तो जल देवता ने उसकी सच्चाई और ईमानदारी से खुश होकर उसे ईनामस्वरूप उसकी लोहे की कुल्हाड़ी के साथ-साथ सोने-चाँदी की कुल्हाड़ी भी दी है, तब से उसने लकड़ियों के साथ-साथ जंगल और बहार भी काटनी शुरू कर दी है।
जल देवता ने उसे समझाने का प्रयास किया , लेकिन लकड़हारा - "पहले ईमानदारी के ईनाम में लोहे की कुल्हाड़ी के साथ सोने-चाँदी की कुल्हाड़ी देते हो। फिर सोने-चाँदी की कुल्हाड़ियों से सोना-चाँदी काटने से मना करते हो। मतलब पहले ईमानदारी का ईनाम देते हो, फिर ईनाम की कीमत माँगते हो।"
तबसे ईनाम देने वाले देवता सकते में है।