हवाई जहाज़
हवाई जहाज़
दिसंबर की सर्दी में, मैं अपने सीनियर की शादी मैं शामिल होने दिल्ली गया हुआ था। रात भर नाचने के बाद कुछ खाने का भी मन नहीं थ। कब बातों बातों में सारी रात निकल गयी कुछ पता ही ना चला और सुबह ६ बजे की फ्लाइट पकड़ने के लिए मैं अलविदा कहकर वहाँ से निकल गया।
थकान इतनी ज्यादा थी कि मानो मैं जहां कहीं भी सो जाऊँ। जल्दी जल्दी एयरपोर्ट पहुँच कर चेक इन किया और मुझे मिडिल सीट मिली, मन उदास था पर "ख़ैर जो भी था मुझे तो सो ही जाना था" यह सोचकर आगे बड़ गया।
फ़्लाइट मैं अभी थोड़ा वक्त था तो अपना फ़ोन निकाला और इंस्टाग्राम पर स्टेटस डाल दिया और चुपचाप इंतजार करने लगा, इतने मैं बोर्डिंग चालू हो गई और मैंने भी फ़्लाइट में जाकर समान रखा और सो गया। बस ५ मिनिट ही हुआ था की एक लड़की की आवाज़ आई
"Hi, will you please help me with my luggage? " मैंने उत्तर दिया
"Yes sure"
उसकी सीट मेरे बग़ल मैं ही थी, वो आई और चुपचाप बैठ गयी और मैं भी बैठा और आँख बन्द करके सोने की कोशिश करने लगा।
थोड़े समय बाद मेरी नज़र उसकी तरफ़ पड़ी तो मैंने देखा कि वो ठीक से नहीं बैठ पा रही थी, मैंने तुरंत Armrest खोल दिया और खाली पड़ी अपनी बायीं सीट पर बैठ गया। उसने धन्यवाद बोला और किताब खोलकर पढ़ने लगी। अब मेरी नींद जा चुकी थी तो मैं गाने सुनने लगा।
कुछ समय बाद मैंने उस लड़की को देखा तो उसने अपना कोट उतारकर सामने की तरफ़ से पहन लिया था, मुझे समझ आ गया था की उसे ठंड लग रही है। मैंने बिना देर किए हुए cabin crew में से एक लड़की को बुलाया और कहा "May i have a blanket please ? " उसने कहा "Yes sir, give me just 2 minutes" वो भागकर मेरे लिए कम्बल ले आई, मैंने हाथ बढ़ाकर AC बंद कर दिया और उस लड़की को बोला "I am sorry, I guess you are feeling cold, Just use it" और उसे कम्बल दे दिया। इस बार वो मुस्कुराई और मेरा नाम पूछा मैंने अपना नाम बताया और उसका नाम भी पूछ लिया, उसने उत्तर दिया "Shivani" और फिर हमारी बातों का दौर ऐसा चालू हुआ कि ख़त्म होने का नाम ही नहीं लिया। देखते ही देखते हम नागपुर पहुँच गए। मैं उठा और उसका समान निकाल कर उसे दिया और बाय बोलकर आगे निकल गया। मेरे मन मैं एक अलग ही कशमकश जारी थी, एक तरफ़ मुझे वो लड़की पसंद आ रही थी मगर दूसरी तरफ़ मैं फिर से अपना दिल तुड़वाना नहीं चाहता था। यही सब सोचकर मैं नीचे बस मैं जाकर खड़ा हो गया, अगले ही मिनिट शिवानी आयी और मेरे बग़ल मैं आकर खाड़ी हो गयी। हम दोनों मुस्कुराए और फिर बस ने हमें गेट 3 पे छोड़ दिया। मैं बस से उतरा और luggage belt की ओर बढ़ने लगा, शिवानी भी मेरे कदम से कदम मिलाकर साथ चल रही थी मगर अजीब बात ये थी की उसका सामान उसके ही पास था, तो वो सीधा बाहर जा सकती थी। मैं कहीं ना कहीं ये समझ चुका था की वो मुझे पसंद कर रही थी और इस बार मैंने अपने डर को दूर किया और अपने आप को दूसरा मौक़ा देने का मन बना लिया। मैंने शिवानी को पूछा
"How will you go home ?"
"I will take cab" उसने उत्तर दिया । चूंकि मैं एक दिन के लिए ही दिल्ली गया था तो मेरी गाड़ी एयरपोर्ट पर ही पार्क थी, मैंने उसे बोला "if you don't mind i can drop you".
वो मुस्कुराई और हाँ बोल दी, मगर इस बार की मुस्कुराहट कुछ अलग ही थी।
मैंने अपना सामान लिया और बातें करते करते गाड़ी स्टार्ट की फिर कुछ ही देर में हम उसके घर भी पहुँच गए। हम दोनों ही एकदम शांत थे मगर मन मैं एक अजीब सी अशांति थी तभी मैंने बिना कुछ सोचे समझे पूछा
"would you like to go out with me for a coffee?"
उसने पूछा अभी ? मैं हँसने लगा और कहा नहीं नहीं कभी और, या फिर आज शाम को ? वो भी हँसने लगी ।
हमने एक दूसरे के नम्बर लिए और इस तरह से हमारी कहानी शुरू हो गई ....

