हर बन्दर की पूँछ नहीं होती
हर बन्दर की पूँछ नहीं होती
बिना पूँछ वाले बन्दरों की एक खास बात होती है
वे दुम दबा कर भाग नही सकते
पर चेष्टा तो करते ही हैं
तभी लोग समझ जाते हैं कि उनकी पूँछ ही नहीं है
और एक बात...
न ही वे किसी स्थिति का सामना कर सकते हैं
वे बस आपकी नकल कर सकते हैं, आपका मज़ाक भी
आधी अधूरी नकल, मज़ाक का भी खुद ही मज़ा लेंगे
यही है फितरत उनकी
आधार विहीन, बेमतलब
आपको लगेगा कि अच्छा कर रहे हैं
वे दूसरों पर ही ही करके हँसने के सिवाय कुछ नहीं करते,
कोई भी काम बिना हल्ला किये नही करते
हल्ला मचाने में एक्सपर्ट हैं ऐसे बन्दर
" मैंने यह किया, वो किया, नये ऑर्डर निकाल दिये "
" आपको इत्ता फायदा हो चुका है पहले ही"
(यानी और क्यों मांग रहे हो, भिखारी कहीं के)
आस पास देख लीजिये
कितने हैं ऐसे बन्दर, बिना पूँछ वाले
शायद मूंछ दाड़ी भी नहीं होगी, हो तो भी आश्चर्य न होगा।