हमसफर
हमसफर
लगातार फोन की घंटी बजे जा रही थी। ट्रिंन..न..न
ट्रिंन... न.. न ट्रिंन..न..न ट्रिंन..न.. न
बाथरूम से निकल कर प्रिया ने "कोन है जो इतना परेशान है बात करने को" बड़बड़ाते हुये फोन उठाया। हैलो... दूसरी तरफ से उस की जिगरी दोस्त अंजली बोली।
क्या यार तूने तो मेरा नहाना भी मुश्किल कर दिया प्रिया ने शिकायती लहजे में कहा।
कल मैं शादी कर रही हूँ, तो तू कोर्ट पहुँच जाना। अंजली ने बिना किसी लाग लपेट के बोल दिया।
ये सुन कर प्रिया आश्चर्य से क्या - क्या..सच में, किस से, क्यों? जैसे सवालों की झड़ी लगा दी।
बस- बस अब क्या सारे सवालों के जवाब फोन पर ही चाहिये। कल टाइम से पहुँच जाना सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे अंजली ने हँसते हुए कहा। और फोन कट कर दिया।
अंजली प्रिया की बचपन की सहेली। दोनों ने एक दूसरे का सुख दुःख बाटते हुए जीवन के चालीस बसंत पार किये थे।
अंजली बीस साल की थी जब उस के मम्मी पापा का एक कार एक्सीडेंट में देहांत हो गया था। उस के ऊपर तो जैसे दुखो का पहाड़ टूट पड़ा था। अपने दस साल के भाई को गले लगा कर कितना रोई थी वो। उसके बाद अंजली ने कभी अपने भाई को मम्मी पापा की कमी महसूस नहीं होने दी, उसके लिये उसने अपने सारे सपने सारी ख्वाहिशों को अपने दिल मे दफन कर लिया था।
भाई की पढ़ाई से लेकर शादी तक सारी जिम्मेदारी बखूबी निभाई थी उसने।
इस सब के बीच में मैंने उसे कितनी बार समझाने की कोशिश की थी की वो थोड़ा अपने बारे में भी सोचे पर पहले अपनी जिम्मेदारी और फिर अपनी उम्र का बहाना बना कर हर बार टाल जाती। अब ऐसा क्या हुआ होगा की वो शादी के लिये तैयार हो गई।
ये सब सोचते सोचते प्रिया की रात करवटें बदलते ही बीत गई। सुबह तड़के ही वो अपने पति के साथ अंजली के शहर के लिये चल दी वो जल्द से जल्द अंजली से मिल कर वो राज जानना चाहती थी जिसने उस की जिद्दी दोस्त को अपना फैसला बदलने को मजबूर कर दिया था।
प्रिया अपने पति के साथ सीधे कोर्ट ही पहुँच गये। जहाँ अंजली अपने भाई ,भाभी, भतीजे और होने वाले पति विकास के साथ बाहर ही मिल गई।
अंजली पिंक कलर की सारी और हल्के से मेकअप में बहुत ही सुंदर लग रही थी। वहीं विकास ने पिंक कुर्ता चूड़ीदार के साथ पहना था। वो इस उम्र में भी फिट और काफी हैंड्सम था।
प्रिया ने अंजली को गले लगा उसे बधाई दी। तभी अंदर से बुलावा आ गया। दोनों ने पेपर साइन कर एक दूसरे को माला पहना कर शादी संपन्न की और अपने भाई भाभी से विदा ले विकास के घर को अपना बनाने चल दी।
विकास का घर दूसरी मंजिल पर था। जहाँ वो अकेला ही रहता था। इसलिये एक फ्रेंड होने के नाते मैंने ही उस की गृह प्रवेश की रस्में करवा दी।
मेरे पति को कोई काम था तो वो मुझे वही छोड़ कर चले गये। और विकास भी कुछ लेने (शायद अंजली के लिये गिफ्ट लाने) बाजार चले गये। अब हम दोनों अकेले थे तो मैंने मेरे सवाल एक बार फिर अंजली से पूछ डाले?
अंजली ने बोलना शुरू किया "प्रिया तू तो जानती हैं कि मैंने कभी अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ा ,हमेशा भाई का ख्याल रखा। और मेरे भाई भाभी ने भी मुझे पूरा मान सम्मान दिया। पर कुछ दिनों से बड़ा ही अकेला महसूस कर रही थी। ऐसा लगता था जैसे उन दोनों के बीच में मेरी वजह से कुछ टेंशन है। मैं हमेशा कोशिश करती की उन दोनों के बीच न आऊँ, पर मेरा भाई मुझे कभी अकेला छोड़ने को तैयार ही नहीं होता। मेरा भतीजा भी हमेशा मेरे आस पास ही रहता।
इधर ऑफिस में विकास मुझे पसन्द करने लगे। और मुझे शादी के लिये प्रपोज किया। पर मैंने ये कह के मना कर दिया कि इस उम्र में शादी करेंगे तो लोग क्या कहेंगे। मेरा भाई मेरे बारे में क्या सोचेगा। इस बात से विकास मान तो गये पर ये बोल दिया की "जब भी मन हो शादी का बताना में हमेशा तुम्हारा इंतजार करूंगा। "
एक दिन मेरी भाभी की फ्रेंड उससे मिलने आने वाली थी। तो मैंने सोचा कि मेरी वजह से उसे कही अंनकंफ्टेवल न लगे तो मैंने भी बाहर जाने का प्लान बना लिया और उन की फ्रेंड आने से पहले ही निकल गई। पर उस दिन इतनी बारिश हुई की मुझे घर वापस आना पड़ा।
घर के दरवाजे पर अन्दर से आनी वाली आवाजों ने मुझे चौका दिया.... भाभी की फ्रेंड भाभी से बोल रही थी "वाओ यार तेरे तो जलवे है। तेरी ननद तो अपनी सैलरी देने के साथ - साथ तेरे बेटे को भी कितना प्यार करती है। और तो और तेरे बेटे का होम वर्क भी करवाती है। जब से आई हूँ तेरा बेटा अपनी बुआ के गुण गाये जा रहा है। "
काहे के जलवे "ये आवाज मेरी भाभी की थी जो थोड़ी दुःखी होकर बोल रही थी...... हम दोनों के बीच में दीदी(यानी मैं) हमेशा रहती है। अगर कहीं अकेले जाने का मन हो तो ये नहीं जाते। कहते की दीदी को बुरा लगेगा। आज तक हम लोगों ने कोई फिल्म भी अकेले नहीं देखी। और तो और मेरा बेटा भी मुझ से ज्यादा अपनी बुआ से चिपका रहता है। कभी कभी लगता हैं कि दीदी की शादी कर दूं, पर फिर लगता है कि अगर कहा तो कहीं उन्हें बुरा न लग जाये। दीदी बहुत अच्छी है पर उन के रहने से जैसे एक बंधन है। जिसमें मैं खुल कर साँस भी नहीं ले पाती। "
इतना सब सुन कर अब मुझ से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था, तो गेट खोल कर अंदर आ गई मुझे देख कर भाभी और भाभी की फ्रेंड थोड़ा सकपका गई ।पर जल्द ही नॉर्मल होकर हैलो ,हाय, की औपचारिकता पूरी की मैंने भी वहाँ ज्यादा रुकना ठीक न समझा और सीधे अपने कमरे में चली गई।
पर रह रह कर भाभी के शब्द मेरे कानों में गूंज रहे थे। जैसे कोई बंधन है....................
तभी मुझे लगा की मुझे भी शादी कर लेनी चाहिये। क्योंकि अब भाई का भी परिवार है जिस में मैं कहीं फिट नहीं हो रही थी। और मुझे भी अकेलापन अब रास नहीं आ रहा था। एक उम्र के बाद हमें एक साथी चाहिये जो हमेशा साथ रहे। जिससे हम अपना दुःख सुख बाँट सकें। तो उसी समय शादी का निश्चय कर दूसरे दिन विकास से बात की वो तो तैयार ही था। उसे भाई से मिलवाया और बस हम लोगों ने शादी कर ली। "
इतना बोल कर अंजली चुप हो गई।
प्रिया ने अंजली का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा "मैंने तो तुझे कितनी बार समझाया था कि अपने बारे में भी सोच पर तू हमेशा कोई न कोई परेशानी बता कर मुझे चुप करा देती थी। पर में आज तेरे लिये बहुत खुश हूँ। "
एक लंबी सांस लेकर प्रिया ने अंजली की तरफ देखा और एक हाथ सीने पर रख कर बोली "हाय अब जा के चैन मिला जब से तेरी शादी की खबर सुनी थी तब से ये सोच कर परेशान थी की कभी शादी न करने की कसम खाने वाली दोस्त कहीं पागल तो नहीं हो गई जो शादी करने जा रही है। "
उस की इस बात पर दोनों खिलखिला कर हंस दी।
शाम हो चुकी थी प्रिया के पति भी वापिस आ गये थे।
और विकास भी आ गये थे। तो अब प्रिया ने वहाँ से निकालना ही सही समझा। और दोनों को भावी जीवन की बधाई दे अपनी सखी से गले मिल जल्द ही फिर मिलने का वादा कर निकल आई ।
दोस्तों कभी कभी जिम्मेवारी की वजह से बहुत कुछ खोना पड़ता है। पर एक समय ऐसा भी आता है जब हम खुद को अकेला महसूस करते है। उस समय बस जीवन साथी ही हमारे सुख दुःख का साथी होता है। जो हमें कभी हँसा कर कभी रुला कर हमारे जीवन को रंगीन किये रहता है। इसी लिये जीवन के सफर में इक हम सफर का होना भी जरूरी है।
