Pawan Gupta

Drama Inspirational

4.7  

Pawan Gupta

Drama Inspirational

हमारी नन्ही परी..

हमारी नन्ही परी..

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मम्मी जी ने सुबह - सुबह ही पूजा करके आने के बाद मुझसे साफ़ - साफ़ कह दी कि लड़की इस घर में नहीं आनी चाहिए हमारे घर में पहले से ही इतनी परेशानिया है, इसके पापा का कोर्ट केस है कि चलता ही जा रहा है, न जीत ही रहे है और ना ही हार रहे है !

घर के पैसे भी कोर्ट केस में घुसते जा रहे है, आखिर क्यों छोड़े 5 करोड़ की जमीन है, और राजीव की भी तो 5 साल हो गए प्रमोशन का इंतज़ार करते हुए !

ऊपर से मेरी शुगर जो कम ही नहीं होती ! डॉक्टर भी पैसे लूट रहा है ! क्या ठीक है ...

इस घर में इतनी मुसीबतो के बाद हमें एक और मुसीबत नहीं चाहिए, सुन ले प्रिया...

हमें लड़की नहीं चाहिए !

ये सुन के मन मसोस के रह गया क्या लड़की मुसीबत है, या वो भी इंसान है, पर मैं कुछ न बोल पाई !

पापा जी भी तो यही चाहते है कि लड़का ही हो जो घर का वारिश बन कर घर का वंश चलाये !

और...और... राजीव वो क्या चाहते है, कभी तो वो खुलकर बात किये ही नहीं, वो तो इस बात को टाल देते है, क्या करे वो भी...

इंसान कितना भी अच्छा क्यों न हो अपने आसपास की प्रकृति के हिसाब से उसमे परिवर्तन तो आ ही जाता है !

राजीव का मन पहले तो यही था कि लड़का हो या लड़की कोई फर्क नहीं पड़ता है, बस बच्चा स्वस्थ हो और उसकी परवरि

हम अच्छे से कर सके ! पर अब .....

अब क्या राजीव के अंदर कुछ बदल गया है, या उनके अंदर बच्चे और अपने परिवार के मनोकामनाओ को लेकर कोई द्वन्द युद्ध छिड़ा हुआ है, वो कभी क्यों खुलकर बात नहीं करते कि उनको क्या चाहिए !

क्या मुझे राजीव के बिन बोले समझ जाना चाहिए कि वो तो आज भी यही चाहते है कि लड़का हो या लड़की बस स्वस्थ रहे, पर वो माँ पापा को देखकर कुछ कह नहीं पाते ! 

या राजीव भी लड़का ही चाहते है, जो वंश आगे ले जाये !

मैं कुछ भी नहीं समझ पा रही हू,कि क्या सही मानु और क्या गलत !

इंसान तो इंसान होते है न ! लड़का हो या लड़की और वैसे भी बिना लड़की के किसी का भी वजूद ही कहाँ है !

अगर लड़किया ना रही दुनिया में तो ये दुनिया ही खत्म हो जाएगी, अगर लड़की ना रही तो क्या रहेगा इस पृथ्वी पर !

ये बात इंसान कभी क्यों नहीं सोचता है, अगर लड़की ना रही तो लड़के भी नहीं रहेंगे, और इस धरती से इंसान ही खत्म हो जायेंगे, इंसान के ना रहने पर पूरी पृथ्वी पर जंगलो और पानी के सिवा क्या रहेगा जानवर पशु पंछी !

पर इंसान ही नहीं रहेंगे तो इनका भी संतुलन नहीं रहेगा और धीरे धीरे ये भी लुप्त के कागार पर पहुंच जायेगे !

हर इंसान सिर्फ अपनी लालसा से प्रेरित रहता है, उसे सामाज दुनिया और दूसरे लोगो की खुशियों की क्या फ़िकर !

तभी मेरा लेबर पेन शुरू हो गया, दर्द असहाय हो रहा था, माँ ने राजीव को फ़ोन किया और माँ पापा लेकर मुझे अस्पताल चल दिए, राजीव भी अस्पताल ही आने वाले थे, मेरा दर्द से बुरा हाल था, मैं पसीने से तर हुए जा रही थी !

मन में फिर से उस दर्द में भी बातें शुरू हो गई, एक औरत इतना दर्द सहती है, फिर बच्चे को जन्म देती है, पर कोई ये नहीं पूछता की बेटी तू कैसी है !

सबका एक ही सवाल होता है, पहला सवाल ...लड़का हुआ है या लड़की !

क्यों माँ का कोई अस्तित्व नहीं है क्या..

वो मशीन है ! दूसरा सवाल लोग यही कहते है, बच्चा ठीक तो है न, और आखरी में किसी को दया बची हो तो पूछता है, की माँ कैसी है !

यही सब मेरे मन के किसी गलियारे में चल रहा था की आज तो मेरा भी एग्जाम है लड़का होगा या लड़की ....उसी के आधार पर मुझे पास या फेल किया जायेगा !

राजीव आ चुके थे, मैं ऑपरेशन थियेटर में चली गई और कुछ देर में पता नहीं कब इंजेक्शन के कारण मैं सो गयी बेहोश हो गई मुझे पता नहीं चला !

जब होश आया तो माँ पापा राजीव सब खुश थे, मुझे लगा की लड़का ही हुआ है, सब खुश है, मैंने भी मन को समझा लिया की चलो जो है अच्छा है, कम से कम कोई भेदभाव या तिरस्कार का सामना तो नहीं करना पड़ेगा मेरे बच्चे को, अगर लड़की हुई होती तो यही चेहरे गुस्से से झुके और तिलमिलाए हुए होते !

 ईश्वर जो करते है वो अच्छे के लिए ही करते है, अभी यही सब सोच रही थी की माँ ने कहा देख बहू हमारी बेटी तो तुझपर गई है, वही रंग रूप वही प्यारी आँखे !

मैं तो आश्चर्य में रह गई क्या ..लड़की हुई है, और ये सब इतने खुश है, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था !

 एक पल तो ऐसा लगा की शायद मैंने ज्यादा सोच लिया अपनी बेटी के लिए इसलिए ऐसे सपने आ रहे है, पर फिर पापा ने भी कहा - ये तो हमारे घर की लक्छमी है ..हमारी नन्ही परी...

मुझे किसी भी बात का विस्वास नहीं हो रहा था, क्या ये वही पापा है, जिन्हे घर का चिराग चाहिए था, जो वंश को आगे ले जा सके, वही पापा कह रहे थे कि ये लक्छमी हमारे उज्जवल भविष्य की रौशनी है !

ये सब क्या हो रहा था, और राजीव.....वो तो अपनी आँखों में आसुओ को समेटे चेहरे पर मुस्कान लिए मुझे दूर से एक टक देखे जा रहा था !

उसकी आखे उसके दिल के हर एक दर्द और ख़ुशी बयां कर रही थी .....

जब सब लोग मुझसे मिलकर घर चले गए तो राजीव मेरे पास थोड़ी देर के लिए रुक गए, और मुझसे बातें करने लगे !

 उन्होंने बताया कि हमारी बच्ची के आने से सब बहुत खुश है, वो हमारे लिए लक्छमी बन कर आई है !

राजीव की आखों में आंसू भर आये 

मैं हमेशा से लड़की ही चाहता था पर माँ पापा की बातों के कारण मैं कुछ नहीं कह पाता था, क्युकी उनकी उम्र इतनी हो गई है कि उन्हें हर छोटी बात तकलीफ पहुंचने के लिए बहुत है, इसीलिए मैंने अपने मुँह को सबके सामने बंद रखा !

मन पर पत्थर रख कर तुमसे और माँ पापा से बातें किया करता था !

 आज ईश्वर ने कुछ ऐसा चमत्कार किया कि तुम भी खुश हो और मैं तो हमेशा से ही खुश था कि बच्चा कोई भी हो स्वस्थ हो और आज माँ पापा भी खुश है !

 5 सालो से रुकी हुई प्रमोशन आज ही मिल गई, मेरी सैलरी अब 30 हजार से बढ़कर 40 हजार हो गई है !

माँ का शुगर नार्मल हो गया है डॉक्टर ने फ़ोन करके बताया !

 और सबसे बड़ी ख़ुशी बात ये है कि हमारी बेटी के इस दुनिया में आते ही हमारा वर्षो से चल रहा जमीन का कोर्ट केस पापा जीत गए, वकील का फ़ोन आया था !

 ये खुसखबरी सुनकर सबकी आँखों में आंसू आ गए, और सबके मन का मैल धूल गया !


माँ पापा सबने इस नन्ही परी के आने पर ख़ुशी से उसका स्वागत किया ....

 मैं भी ये सुन कर बहुत खुश थी ... 

सबका यही कहना था "मेरे घर आई इक नन्ही परी। 


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