Bhagirath Parihar

Comedy Action

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Bhagirath Parihar

Comedy Action

हमारे साहिब जी

हमारे साहिब जी

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हमारे साहब, आलिमे शाह है। साहब की दाढ़ी कभी औरंगजेब से मिलती है तो कभी टैगोर से। दाढ़ी मूंछ आदमी की एक शान है। असली मर्द दाढ़ी मूंछ का पक्का ध्यान रखते है। और उनका सीना भी 56 इंची होता है। मर्द का बच्चा इसे ही कहते हैं ।

हरेक दफ्तर में साहिब जी की तस्वीर कमरे की चारों दीवारों पर टँगी रहती है। कर्मचारी को चारों दिशाओं से वाच करते है चश्मे में से ऐसा लगता है ‘बिग ब्रदर इज वाचिंग’। मेहनत और ईमानदारी से काम करो। वरना वे कामचोरों को लात मारते देर नहीं लगाते। हमारे साहिब खुद 18 घंटे काम करते हैं। काम क्या करते हैं? पता नहीं, लेकिन हल्ला तो यही है। मैंने हमेशा उन्हें भाषणवीर और अंगुलियाँ नचाते देखा है। कभी-कभी आँसू बहाते भी देखा है लोग कहते है ये घड़ियाली आँसू है पर लोग तो उनसे प्रभावित होते हैं। उनके मन माफिक काम कीजिए, संविधान और कानून की बात छोड़िए। वे अपने मंत्रियों के जॉब कार्ड बना देते हैं आप किस खेत की मूली है। दरअसल उनके कहे अनुसार कार्य नहीं किया तो फायर करते टाइम नहीं लगाते। इसीलिए तो मजदूर बिल में हायर एण्ड फायर सिस्टम लागू किया है।   

हमारे साहिब अपने आप से बहुत प्रेम करते हैं। प्रेम तो वे अपने फोटो से भी उतना ही करते है। ‘सबको कोरोना वैक्सीन मुफ़्त’ के पोस्टर पर साहिब जी का फोटो चिपका है फिर लिखा है धन्यवाद साहिब जी। यानी साहब जी अपने आप को ही धन्यवाद दे रहे हैं क्योंकि यह पोस्टर उनके ही किसी सरकारी विभाग ने छपवाया है। आयुष्मान भारत के पोस्टर पर साहब का मुस्कराता फोटो औसत आयु में जरूर वृद्धि करेगा। हर पेट्रोल पंप पर हँसती मुस्कराती फ़ोटो यह संदेश देती है कि हँसते मुस्कराते सौ रुपये लीटर का पेट्रोल भराओ, देश हित में।  

सरकार ने भारत निर्माण, योग दिवस, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, आधार कार्ड, प्रधान मंत्री जन धन योजना, “मेक इन इंडिया”, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, स्वच्छ भारत अभियान, स्मार्ट सिटी मिशन और सांसद आदर्श ग्राम जैसी योजनाओं के लिए आउटडोर पब्लिसिटी में हजारों करोड़ की राशि खर्च की है। ताकि हर जगह साहिब का फ़ोटो पहुँच जाय। कितना जबरदस्त विकास हो रहा है। कम से कम पब्लिसिटी में दिखाई तो पड़ता है। राशन के हर थैले पर साहिब का मुस्कराता फ़ोटो, कोविड़ के वेक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर साहब का फ़ोटो, वार्ड पंच के चुनाव में भी उम्मीदवार साहब का फोटो लगाता है यानी पूरा हिंदुस्तान फोटुओं से अटा पड़ा है फिर भी गुंजाइश है रोज टी वी में, अखबार में, सोशल मीडिया में आकाश में बादलों की तरह छाए रहते हैं । करना पड़ता है नहीं तो लोग जल्दी भूल जाते हैं। ये ही फ़ोटो चुनाव प्रचार करते दिखते हैं उनके जेकेट पर पार्टी का लोगो हमेशा देदीप्यमान होता है।  

फ़ोटो फोटोजनिक हो इस वास्ते स्पेशल कैमरा मेन हर वक्त साथ चलते हैं। कैमेरे के सामने आने से पहले मेक अप के लिए तीन पारिचारिकाएं उन्हें महंगे डिजाइनर कपड़े से सज धज के तैयार करती है और फिर दिन में वे पाँच बार ड्रेस बदलना कभी नहीं भूलते। वे हमेशा कैमरे की नजर में रहते हैं। कैमरामेन चूक जाए तो आंखें तरेर कर समझा देते हैं मीडिया पर चौबीसों घंटे प्रचार चलता है कहीं पूजा तो कहीं उद्घाटन, तो कहीं रैली को सम्बोधन, आजकल फ़ोटो की जगह वीडियो खूब बनते हैं लाइव दिखाया जाता है जिन्हें भक्त व्हाट्स अप पर फॉरवर्ड करते रहते हैं। उन्हें भाषण देना और तालियों की घड़घड़ाहट सुनना बहुत पसंद है। भाषणों में लंबी-लंबी फेंकते है इतनी लंबी कि उन्हें न इतिहास का ध्यान रहता न भूगोल का। वे आत्म मुग्ध व्यक्ति हैं स्वयं की छवि उन्हें मन मोहक लगती है। 

माँ से मिलने जाते तो कैमरामेन साथ में होता है। माँ के पाँव पखारते हुए फ़ोटो संस्कारी बेटे की छवि को स्ट्रॉंग करती है। वे उन्हें अपने शाही महल में कभी नहीं ले जाते, अकेले रहते हैं, न कोई मित्र न कोई रिश्तेदार। सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी। उनकी चोर नजरे हमेशा सौन्दर्य को निहारती रहती है कभी-कभी कैमरे में भी कैद हो जाती है।

साहब पर केंद्रित नारे, पोस्टर, बैनर, टी-शर्ट, कुर्ता, कठपुतली और नुक्कड़ नाटक मोबाइल और वीडियो गेम्स से आगे जाते हुए अब कॉमिक बुक 'बाल नरेंद्र' भी बाजार में आ गई है। डूबते बच्चे को बचाया, मगरमच्छ वाले तालाब में तैरा।

क्रिकेट खेलते-खेलते बॉल तालाब में गिर जाती है तो बाल नरेंद्र तालाब में कूद कर बॉल के साथ छोटा मगरमच्छ भी ले आते हैं कितने साहसी और निडर है। उन्होंने घायल कबूतर को बचाया सिद्धार्थ सी करुणा है हमारे साहब में। जब बच्चे गलियों में खेलते, नरेंद्र पुस्तकालय में विवेकानंद और शिवाजी के बारे में पढ़ते। इनकी प्रिय पुस्तक थी अटलस, वे विभिन्न देशों पर अंगुली रखकर कहते यहाँ-यहाँ मुझे जाना है, बड़े घुमक्कड़ पर्यटक है। पढ़ाकू किस्म के है तब ही तो हमारे साहब ने एन्टायर पोलटिक्स में डिग्री हासिल की। अब किताबें पढ़ते नहीं, समय ही नहीं मिलता केवल लेखकों को पुस्तक के लिए मैटर प्रोवाइड करत्ते हैं।    

1962 के युद्ध पर जानेवाले फ़ौजिओं को चाय और खाना दिया, राष्ट्र भक्ति नस-नस में भरी है। सुपर हीरो जिसके हाथों में देश सुरक्षित है तभी तो कहा कि मैं देश नहीं बिकने दूंगा। देखते-देखते सारे सरकारी प्रतिष्ठान बेच दिये बाकी बचे को बेचने की तैयारी है। करते भी क्या देश की अर्थव्यवस्था चरमरा रही थी सो बेचना मजबूरी थी। 

सात्विक भोजन करते है लेकिन स्वभाव राजसिक और कभी-कभी तामसिक रहता है। 

संवेदनशील इतने कि लाखों लोग महामारी में इलाज के अभाव में मर गए मजाल है जरा भी अफसोस जताया हो। इसी तरह सैकड़ों किसान मर गये लेकिन अफसोस नहीं जताया। चार घंटे के नोटिस पर लॉक डाउन की घोषणा कर दी उत्तर भारत के लाखों मजदूरों को हजारों मील पैदल चलना पड़ा। किसी तरह की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई। छोटे-छोटे बच्चे पैदल चले, कई बीच में मर खप गए, जरा भी दुख नहीं हुआ न अफसोस ही जताया। इतने सख्त दिल है। भक्त कहते हैं लीडर तो सख्त ही होना चाहिए। 

बाल नरेंद्र जब धरती पर अवतरित हुए तो उनके मुंह से पहला शब्द निकला, 'मित्रो'. बाद में जब ग्राहम बेल ने फोन बनाया और उसे ऑन किया तो उसमें से आवाज आई ‘मित्रों’। बाल नरेंद्र ने एक कुत्ता पाला जो अब रिपब्लिक टीवी से भूँक रहा है। छुपन छुपानी खेलते दोस्त ‘विकास’ को अभी तक ढूँढ़ रहा है पता नहीं कहाँ गया । छुपन छुपानी खेलते बाल नरेंद्र बादलों के बीच छुप गया जिसे राडार भी न देख सके।

जब परीक्षा में फेल हुआ तो नेहरू को दोषी ठहराया। ट्री मिलियन एकोनोमी का ढोल पीटनेवाले भारत को हँगर इंडेक्स में 102 नंबर पर ले आए।

न खाऊँगा न खाने दूंगा, जो खा के भाग गए उन्हें ये अभी भी ढूँढ़ रहे हैं। इन्हें दूसरों को खिलाने में मजा आता है लेकिन कुछ गिने चुने लोगों को बाकी के मुंह से तो कौर छिन लेते हैं। 

साहब का कमाल देखिए कि राइट ब्रदर के पैदा होने के पहले फर्स्ट फ्लाइट ली। इनके गाँव में पोस्ट ऑफिस नहीं था तो इन्होंने ईमेल ईजाद किया। दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलते पहली बॉल पर आउट हो गया तो उसने नौ बॉल ईजाद किया। (a+b)² सूत्र इस तरह से समझाया कि विद्यार्थी अपने गणित टीचर को देखते रह गए।

बचपन में हिमालय में साधना की आज भी जब मन करता है गुफा में काला चश्मा पहनकर पशमीना शाल ओढ़कर और दो लाख की घड़ी पहनकर साधना करते है और फोटो क्लिक होने के बाद साधना पूरी हो जाती है। 

छप्पन का सीना और लाल आँख जैसे मुहावरे अन्तराष्ट्रीय प्रसिद्धि पा गए। छप्पन का सीना देखकर चीन घबराने लगता है और घबराहट में लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चला आता है। लाल आँख पाकिस्तान को जब से दिखाई है पाकिस्तानी बकरी मिमिया रही है।

 साहिब विरोधी को भक्त देशद्रोही, धर्मद्रोही और विकास विरोधी घोषित कर देते हैं और पाकिस्तान जाने का फरमान जारी कर देते हैं। कहते हैं हिन्दू राष्ट्र में तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं है। 

पिछले पाँच सालों में बैंकों का NPA 17 lakh crore rupees बढ़ा जिसे साहिब की सरकार ने राइट ऑफ कर दिया। लोग 17 लाख करोड़ खाकर उड़ गए। सरकार ने इसकी भरपाई सरकारी खजाने से कर दी। 17 हजार के ऋणी किसान के घर तो कुर्की पहुँच जाती है।  

लोगों ने लाखों का सूट पहनाकर करोड़ों लूट लिये । 

काँग्रेसियों और उनकी नीतियों का मखौल उड़ाने में सिद्ध हस्त है फिर उन्हीं नीतियों का अनुसरण करना योजनाओं के नाम बदलकर अपना बना लेना कोई इनसे सीखे। लोगों के मन की बात नहीं सुनता लेकिन अपने मन की बात हर महीने सुनाता है लोग सुने या न सुने लेकिन भक्त लोग सुनते हैं।  

‘तुम्हारे चौकीदार के रहते एक भी आतंकी वारदात हुई?’ जनता ने कहा ‘नहीं’ चौकीदार के नाम से दुश्मन की रूह कांपती है। जब कि पठानकोट, गुरदासपुर, अमरनाथ यात्रा, उरी, पुलवामा सभी आतंकी हमले थे।   

जनता की सहानुभूति बटोरने के लिए अपने भाषणों में कहते है विरोधियों का बस चले तो मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे। काँग्रेस पाकिस्तान से मिलकर मुझे सत्ता से हटाने का षडयंत्र कर रही है। कभी-कभी तो रोने लगता है जिससे जनता की सहानुभूति मिल जाती है साथ में वोट भी। फिर संसद में सीना चौड़ाकर कहते हैं ‘एक सब पर भारी’ ये 28 दल मिलकर कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे हैं। 

हम तो फकीर है झोला उठाया और चल दिये। अगर मैं वादे पूरे न करूँ तो चौराहे पर जूते मारना लेकिन अब तक वे चौराहे पर आए नहीं। साहब क्या गंगाजल है जो शरणागत हो नहा लेता है उसके पाप धुल जाते हैं। जो पापी शरण में नहीं आता सरकारी संस्थाएं उसे जेल भेज देती है जो बिकने को तैयार होता है उसे खरीद भी लेते हैं। राजनैतिक विरोधियों को डराने धमकाने के लिए संस्थाओं का उपयोग, आदतन झूठ बोलता है दूसरे धर्म और निम्न जातियों के लोगों को सहन नहीं कर सकता। पार्टी की वाशिंग मशीन में धुलकर भ्रष्टाचार के दाग मिट जाते हैं सो सारे भ्रष्ट इनकी पार्टी में भर्ती हो रहे हैं। 

काला धन वापस लाने के नाम नोटबंदी कर अर्थ व्यवस्था को चौपट कर दिया नोटबंदी के ये फायदे गिनाए गए - काला धन और भ्रष्टाचार खत्म होगा, बंद होगी काले धन की समानांतर इकोनॉमी, आतंकी तबाह हो जाएंगे, नकली करेंसी पर लगाम लगेगी, कैशलेस इकोनॉमी का लक्ष्य प्राप्त होगा, रियल एस्टेट सेक्टर पारदर्शी होगा, बैंकों की कमाई बढ़ेगी, कर्ज सस्ता होगा और इतने फायदे गिनाकर हासिल क्या हुआ? लुढ़क गई जीडीपी, बढ़ गई बेरोजगारी, मंहगाई और बैंकों का कर्ज, अर्थव्यवस्था हो गई चौपट। फिर क्यों की गई? असली फायदा किसे पहुँचा ? किसका काला पैसा सफेद हो गया? ‘अपना काला धन’ सफेद हो गया तो साहिब जी ने राहत की सांस ली।   

सिस्टेमेटिक प्रॉपेगंडा के लिए सोशल मीडिया, व्हाट्स अप, फेस बुक, ट्विटर पर फेक खबरें डॉक्टर्ड विडिओ आई टी सेल के जरिए प्रसारित करवाता है फिर उसकी ट्रोल आर्मी है जो विरोधियों के पीछे लग जाती है और भद्दी भाषा का उपयोग करती है जिनका खर्चा टैक्स देने वालों से वसूला जाता है। 

हिन्दू, हिन्दू करता है लेकिन वह कतई हिंदू संस्कारों वाला नज़र नहीं आता। असलियत तो उस समय सामने आई जब साहिब की माताजी परलोक गमन कर गई। पांच भाइयों में सबसे बड़े भाई से अन्तिम संस्कार का हक छीनकर तीसरे नंबर के पुत्र ने संस्कार किया जबकि माताजी बड़े भाई के पास ही रहती थीं। अपनी पत्नी पर पहरा बैठा दिया गया कि वे बड़नगर जाकर अपनी सासुमां का दर्शन भी नहीं कर पाईं। ऐसा तो समाज में लड़ते-झगड़ते परिवारों में भी नहीं देखा जाता। दुख के समय सभी लोग शामिल होते हैं। साहिब को अपनी पत्नी से इतना ही परहेज़ था तो तलाक क्यों नहीं लिया। मां को अग्नि को समर्पित करने के चंद घंटे बाद वन्देमातरम् रेलगाड़ी को हरी झंडी दिखाने पहुंच जाते हैं। अपनी मां के ग़म में वे कुछ दिन भी नहीं दे पाए। हिंदू धर्म के संस्कार के मुताबिक अन्त्येष्टी करने वाला तेरह दिन तक घर नहीं छोड़ सकता। इन दिनों सूतक माना जाता है। किसी शुभकार्य को नहीं कर सकते।

उनकी रगों में व्यापार का लहू दौड़ रहा है वहां संवेदनशीलता का क्या काम। जहां फायदा देखना ही कायदा है।

बनारस का कारिडोर हो या उज्जैन का महाकाल कारिडोर पावन स्थलों का राजनैतिक भाषणों के लिए इस्तेमाल करते हैं। धर्म से इनका कोई लेना देना नहीं धर्म का इस्तेमाल वोट गेन करने के लिए होता है। पर्यटन बढ़ाने के लिए है। गुजराती व्यापारी दिमाग देखिए महाकाल के दर्शन के लिए अब 450 रुपये का टिकट लगता है। जिस ठेकेदार को कॉरीडोर बनाने का ठेका दिया था उस कॉरीडोर में लगी मूर्तियाँ भरभरा कर नीचे आ गई बताइए उन मूर्तियों का मटीरियल कैसा रहा होगा। अब की सावन में लाखों पर्यटक ना, ना भक्त आए महाकाल की आय कई गुना बढ़ गई पुजारी तो वीआईपी हो गए। 

एक मुख्यमंत्री ने शासक के अनपढ़ होने की बात उठायी तो उनके गृह मंत्री उनके सर्टिफिकेट लेकर मीडिया में उपस्थित हो गए एम ए वह भी एनटायर पॉलिटिक्स में उन्होंने न केवल एम ए कर रखी है बल्कि बी ए भी कर रखी है और तीसरा बोला तब तो मेट्रिक भी कर रखी होगी। हमारे साहिब भले बेपढ़े लिखे हों लेकिन बड़े बड़े डिग्रीधारी हुकुम बजाते हैं। अर्बन नक्सल यानी एंटी नैशनल बुद्धिजीवियों को जेल में डाल रखा है। 

हमारे साहिब जी की महिमा अपरंपार है बखान करते जाओ कभी खत्म नहीं होगी। इसलिए मैं अपनी कलम को यही विराम देता हूँ और आपसे विदा लेता हूँ। 


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