हजार दुआएं
हजार दुआएं
वह उदास रोड पर चला जा रहा था | आज से पहले वह अपने आप को असहाय कभी न समझा ,वह जो चाहा उसने हासिल किया किसी भी कीमत पर I
आज उसे महसूस कर रहा था कि उसके कदमों से रास्ते ज्यादा तेज चल रहे है एक फिसलन सी महसूस कर वह आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था I कभी उसके कदम मन के साथ दौड़ता कभी शरीर के साथ I कि कहीं समय उससे अंतिम आस भी न छीन ले I
उसके कानों में डाक्टर के शब्द बार बार गूंज रहे थे I माफ करना हमारे वश में अब कुछ नहीं है हमने पूरी कोशिश की पर पता नहीं कोई भी मेडिसिन का कुछ असर नहीं हुआ, अब तो उपर वाला ही कुछ कर सकता है I उसके मर्जी के शिवा कोई रास्ता नहीं है I
राका हाँ यहीं नाम दुनियां ने दिया था, नाम के अनुसार राक चट्टान यहीं अर्थ होता है शायद अपने बातों पर अडिग रहने वाला कठोर जो कहा कर के बताया, लोग उसके कदमों में गिड़गिड़ाते मिन्नतें करते पर वह रुपया के शिवा किसी का सुना, रुपये के खातिर उसने हर वह काम किया जिसे दुनियां जुर्म के नाम से जनता है, पर वह हर काम इमानदारी के साथ करता और इसीसे वह किसी के लिए कसाई तो किसी के लिए मसीहा बन गया I राजनीति से राजतंत्र तक सब तक पहुंच था उसका I कोई डर से तो कोई स्वार्थ से उसके बात मानते, और वह सब कुछ प्राप्त किया जो चाहा I
उसके घर संसार में उसके पत्नी के शिवा कोई न था,अपने मन के उड़ान में कभी अपने जीवन साथी को साथ लेकर नहीं चला, वह रोकती मिन्नते करती की गलत कार्य न करे, कुछ समय तक उसके बातों का असर रहता फिर घास पर ओंस की बूंद कब तक टिकती उसके सारे दुर्गुण के तेज से अच्छाई ओंस की तरह गायब हो जाता I
हास्पिटल के पास ही आधा किलोमीटर पर मंदिर था वह वहीँ जा रहा था शायद एक आशा लिए की भगवान उसकी सुन ले और उसकी पत्नी ठीक हो जाए l रह रह कर आंखे भर आ रही थी, शायद उसके पत्नी के अच्छाई रूपी ओंस जो कभी वाष्पित हो उड़ जाते आज संघनित हो राका के आंखों से निकलने के लिए आतुर हो रहे थे I आज उसका सारा गुरूर खत्म हो गया था I उसे सब चांदनी रात की तरह साफ नजर आ रहा था कि सच क्या है और झूठ क्या है, सहसा उसकी तन्द्रा भंग हो गयी उसके सामने ही मंदिर था और सामने कई बुढ़े, गरीब दीन कतार में बैठे थे I एक बुढी औरत ने उससे कहा -" बेटा कुछ दे दो भगवान तुम्हारा भला करेंगे।"
राका ठिठक गया उसको उस आवाज मे भी जो एक गरीब बुढ़ी औरत और असहाय की थी में आज ताकत नजर आ रहा था I वह अपने पत्नी के मुँह से अक्सर सुना था," दीन गरीब, असहाय को तंग मत करो, उनकी आह से सब नष्ट हो जाएगा, बद् दुआ से डरो,उनकी दुआ लो ।"
वह रुका और उसके पास गया बोला-" माता जी मुझे भगवान से पहले आपकी दुआ चाहिए । क्या आप सब मेरे लिए भगवान से प्रार्थना करोगे | मैं आज अकेला पड़ गया हूँ। मुझे आप सब की दुआ चाहिए , आप सब लोग मेरी पत्नी को दुआ दें की वह ठीक हो जाए। "
वह औरत अवाक देखती रही ,आज से पहले उसके आवाज सुन कर किसी किसी के हाथ से चंद सिक्के गिरते थे पर आंख से आंसु गिरते पहली बार देख रही थी।
उसने अपने साथ बैठे सभी साथी को भगवान से राका के पत्नी के लिए प्रार्थना करने के लिए कहा।और बोली -"बेटा हम सब की दुआ तुम्हारे पत्नी को लग जाए, भगवान उसे जल्द ठीक कर दें।'"
राका आज अपने को बौना महसुस कर रहा था, कुछ समय पहले अपनी दौलत से खोई हुई आस हजार दुआओं से भर गया। उसे विश्वास हो गया कि दुनियां में अमीरों के जहान से भी एक जहान है जहां सिर्फ निःस्वार्थ भाव से मानवता पल्लवित होता है जिसकी छांव मे आनंद का स्पष्ट अनुभव किया जा सकता है।
