हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस …
अस्सी प्रतिशत भारतीय अपनी गरदन
शर्म से झुका कर रहे है मरदन ,
"हिंदी दिवस" वो भी भारत में
जीना पड रहा है हमें इस ज़लालत में ,
सपने तक तो हम देखते है अंग्रेज़ी में
और आज पूरा दिन मानना पड़ेगा हमें हिंदी में ,
कमाल करते हैं यें....
पहले तो अंग्रेज़ी की पिलाते है हमें घुट्टी
फिर कहते है आज अंग्रेजी की है छुट्टी ,
एक दिन का मतलब आप समझते हैं
दिन के पुरे चौबीस घन्टे इसमे अटते हैं ,
हमारी मुश्किलों का इन्हें नहीं है अंदाजा
हमारी नज़रों में घट जाएगा हमारा ही तकाज़ा ,
इनको नहीं हैं पता....
अंग्रेजी तो टिप - टाप मेम है
हिंदी करती इसके सामने शेम है ,
आखिर कब तक....
साल भर में एक दिन "हिंदी दिवस"मनायेंगे
दिन - ब - दिन अपनी मातृभाषा को और छोटा करते जायंगे ,
हिंदी तो अब....
माथे पर लगी बिंदी और तिलक के सामान है
जो सिर्फ त्योंहारों पर लगाया जाता है
और फिर उसके महत्व का बखान साल भर गाया जाता है ,
आओ इस नई पौध के माथे रोज़ लगाएं तिलक और बिंदी
"ड़" के निचे बिंदी हम पढेंगें हिंदी
ये इनकी तोतली भाषा में "हक़" से कहलवाएं ,
अपनों में ही बेगानी हुई इस "हिंदी" को
इसका सम्मान वापस दिलाये
आने वाले नौनिहालों को बाइज्ज़त हिंदी पढ़ायें !
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 13/09/2013 )