हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
मुनिया के पिता का देहान्त हो गया कोरोना की वजह से। उसकी मां फैक्ट्री के मालिक के घर जाकर काम के लिए गुहार लगाती है।
मालकिन उसे काम पे रख लेती है, मुनिया भी मां के साथ काम पे जाती थी रोज़, और वहां पर देखती थी कि सब विदेशी भाषा में बात करते हैं, जो उसकी समझ से परे था।
वो अभी स्कूल जाना शुरू ही तो हुई थी कि कोरोना की वजह से स्कूल बंद और अब पिता का देहान्त, कहां से आएगी फीस, पढ़ाई खत्म।
लेकिन मुनिया को उनका विदेशी भाषा बोलना अच्छा ना लगता।
मालिक के दोस्त पुलिस अफसर अक्सर आते थे, आज भी आए और बोले ... आज के दिन तो हिंदी में बात करो सब, आज हिंदी दिवस है।
मुनिया सुन कर बोली .... साहब ये हिन्दी दिवस क्या होता है, हिन्दी तो हमारी मातृभाषा है फिर हम मां को एक दिन क्यों याद करते हैं, रोज़ क्यों नहीं ??
उसकी बात सबके दिल में घर कर गई, और उन्होंने उसे पुलिस की टोपी पहना दी बोले मुनिया हम तुम्हें सैल्यूट करते हैं, तुमने हमारी आंखें खोल दीं, सच कहा मां को एक दिन ही नहीं सदा याद करना चाहिए, आज से हम हमेशा हिन्दी बोलेंगे ।
