हां यही प्यार है

हां यही प्यार है

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दिल्ली की भरी सड़क पर आज नीरज ने अचानक से निधी को देखा।गाड़ी रोक कर उस तक पहुंचने तक निधी कहीं ओझल हो गई। गाडियां इधर उधर भाग रही थीं,और पीछे से तेज रफ्तार स्कूटर ने नीरज को टक्कर मार दी।एक हाथ ने सहारा देकर उठाया सम्हलने पर नीरज ने देखा वो हाथ किसी और का नहीं निधी का है।सहारा दे कर कार में बिठा कर निधी गाड़ी चलाने लगी एक लंबी ख़ामोश दोनों के बीच पसरी थी। दोनों एक दूसरे का हाल चाल जानना चाहते हैं पर पहल कौन करे ? नीरज ने हिम्मत कर पूछा "कैसी हो निधी ? पति और बच्चे कैसे हैं ?" नीरज की आवाज सुन निधी ने एक लंबी आह छोड़ी। गाड़ी अस्पताल को पार कर सरकारी आवास की ओर मुड़ गई।अरदली ने दरवाजा खोला और निधी ने इशारा कर नीरज को उतारने को कहा।

नीरज और नीधी हाल में ख़ामोश बैठे चाय पी रहे हैं।एक अजीब सी ख़ामोश है कमरे में, सिर्फ घड़ी की टिक-टिक सुनाई दे रही थी।कनखियों से नीरज निधी को देखने लगा। माथा सूना देख अपने को रोक न पाया और झट से पूछा " तुम्हारे पति और बच्चे कहां हैं निधी ?" शून्य में देखती निधी ने कहा "बच्चे नहीं हैं, पति जब आखरी दफे मिले थे तब अच्छे थे ,अब पता नहीं।"

"डिवोर्स ?" नीरज ने कहा। निधी ने हां में सिर हिला दिया।

दीवार पे टंगी घड़ी की टिक-टिक स्पष्ट सुनाई दे रही थी मानो समय को खींच के अतीत में ले जाने का प्रयास कर रही हो।

नीरज और निधी एक ही कालेज में पढ़ते थे,एक दूसरे के प्रति आपसी लगाव कब प्यार में बदल गया दोनों ही अनभिज्ञ थे। सरकारी नौकरी(IAS) की परीक्षा की तैयारी चल रही थी, दिल्ली में नीरज और आगरा में निधी की। फिर रोती निधी का अचानक फोन आया नीरज से बात न कर पायी, निधी बस रोती रही ।अनहोनी की आशंका को हटा कर नीरज ने पूछा "क्या हुआ है ?कुछ कहोगी भी या बस रोती रहोगी ?"

"मां बाबूजी ने बिना पूछे मेरी शादी तय कर दी।१५ दिन में शादी और सगाई दोनों है।कहकर निधी रोने लगी।"

एक मिनट में उनके सपनों पे मानो वज्रपात हो गया और सब तहस नहस,सब खत्म हो गया।

बेटी को राजकुमारी की तरह रखने वाले मां बाबूजी, उसकी हर इच्छा को पूरा करने वाले,पलकों पे बिठा के रखने वाले इस विषय में उससे पूछे बगैर निर्णय ले लिया। अपनी पसंद को उनके सामने रखने पर बाबूजी ने एक करारा थपड मार कर ये जता दिया की उनको निधी की पसंद नहीं पसंद हैं और वो इसके सख्त खिलाफ हैं। १५ दिन बाद होने वाली शादी २ दिन में हो गई।

जब नीरज दिल्ली से आगरा पहुंचा तो निधी की सहेली ने उसे खबर दी की निधी की शादी हो चुकी है और वह दिल्ली चली गई।सब कुछ हार चुके नीरज के पास दिल्ली लौटने के अलावा कुछ नहीं बचा था।

दीवार घड़ी में जोर से घंटा बजा और दोनों चौंककर वर्तमान में आ जाते हैं।

फिर डिवोर्स कैसे हुआ निधी ?

मां बाप का लिया ज्ञर निर्णय सही हो जरूरी नहीं है नीरज।पति और ससुर बहुत उच्च पद पर थे, शादी के कुछ महीनों बाद मैं प्रेग्नेंट हुई पर बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ, निधी की आंखों में आंसू थे।एक साल के बाद मैं फिर उम्मीद से थी इस बार भी हम बच्चे को बचा नहीं पाए,बार बार हो रहे अन्याय से मैं टूट चुकी थी, ब्लड टेस्ट करवाया और मेरी पूरी दुनिया ताश के पत्तों की तरह ढह गई, रिपोर्ट में आया मैं HIV पाज़िटिव हूं। 

व्हाट ? नीरज की कंपकंपी छूट गई।

निधी ने मुस्कुराते हुए कहा "HIV positive हूं AIDS नहीं हुआ है ।जिंदगी में कभी इंजेक्शन नहीं लगवाया,न ही खून चढ़ाया गया। ससुराल वालों ने बिना जाने बूझे मुझे घर से निकाल दिया।गलती उनके बेटे ने की और सज़ा मैं भुगत रही हूं।कहते हुए निधी अपने आंसू पोंछने लगी। उस वक्त मैं अंधकार और डिप्रेशन में चली गई थी ।मां बाबूजी ने बहुत सहारा दिया और मुझे आगरा ले आए। बहुत समय लगा उन परिस्थितियों से बाहर निकलने में।अब मैं दिल्ली में एक NGO मे काउंसलर हूं देश भर में घूम कर HIV पीड़ित लोगों की मदद करती हूं और उनके बच्चों को पढ़ाती हूं।"

इतना कुछ सहना पड़ा निधी को यह सोचकर नीरज को अजीब सा महसूस होने लगा मानो सिर घूम रहा हो और उबकाई आने को हो।

"मेरी कहानी तो तुम ने जान ली अपने बारे में नहीं बताओगे ? ? "निधी ने कहा।

"शादी नहीं की मैं ने निधी।बस तुम्हारे यादों के सहारे चल रही है मेरी जिंदगी।सूने घर में बस एक दीवार घड़ी है जो मेरा इंतजार करती है।" 

"निधी एक बात पूछूं ?" नीरज ने कहा।

"मुझसे शादी करोगी निधी ?" अचानक आए प्रशन से निधी अवाक थी।

"कुछ कहोगी नहीं ?" नीरज ने निधी की ओर देखते हुए पूछा।"जानते हो क्या मांग रहे हो" ? निधी ने नजरें फेरते हुए कहा।

"हां।अपनी जिंदगी मांग रहा हूं।" आत्मविश्वास से परिपूर्ण नीरज ने कहा।

"मुझसे शादी कर के बर्बाद हो जाओगे तुम"। निधी उठ कर जाने लगी।

"तुम्हारे मना करने के बाद मेरे जिंदगी आबाद भी नहीं रहेगी निधी।"नीरज ने जाती हुई निधी को रोका।

"तुम्हारे ज़वाब का इंतजार रहेगा,चलता हूं।" कह कर नीरज निकल गया। 

आज की सुबह बहुत अनोखी थी।सब कुछ साफ़ खुला हुआ नया नया।निधी को अपने दरवाजे पे खड़ी देख नीरज को आश्चर्य हुआ।रेडियो पे गाना बज रहा था "दिल तेरे बिन कहीं लगता नहीं वक्त गुजरता नहीं.. क्या यही प्यार है ?

एकटक देखते नीरज को निधी ने पूछा "अंदर आने को नहीं कहोगे ?"

सकपका कर नीरज ने कहा "सॉरी ! प्लीज़ अंदर आओ।"

"मैं तुम्हारे उस घड़ी को और तुम्हें हमेशा के लिए अपनाने के लिए आई हूं नीरज।"

नीरज ने निधी को बांहों में भर लिया।

रेडियो पे वहीं गाना बज रहा था "हां, हां यही प्यार है।" 


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