गुल्ली-डंडा
गुल्ली-डंडा
जीतू चचा और मदनी बूबू आपस में बातचीत कर रहे थे।
जीतू चचा- "ताऊ, आजकल के जमाने में अब कौन खेलता है गुल्ली-डंडा ? बच्चे से बूढ़े तक सब क्रिकेट में मगन हैं। किसे फुरसत है गुल्ली-डंडा खेलने की ?"
मदनी बूबू तैस में आ जाते हैं- "नहीं खेलते हैं यार आजकल के जमाने में गुल्ली-डंडा ! नेता और जनता खेलते हैं। नेता लोग डंडा पकड़कर जनता को पदाते हैं और जनता पदती है। हर पांच साल में गुल्ली-डंडे का ओलंपिक चलता है और तू कह रहा है कोई नहीं खेलता।"
जीतू चचा निरूत्तर हो जाते हैं।