Shailaja Bhattad

Drama Inspirational

5.0  

Shailaja Bhattad

Drama Inspirational

गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी

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"राहुल बेटा ! देखो दरवाजे पर कौन आया है?"

 "जी , दादी मां देखता हूं।" कहकर  राहुल दरवाजे की ओर दौड़ पड़ा । 

"कौन है ?" दरवाजा खुलने की आवाज सुनकर दादी मां ने पूछा।"

"गणेश जी का चंदा मांगने आए हैं दादी मां।"

"अभी किस बात का चंदा? गणेश चतुर्थी को तो अभी पूरा एक महीना बाकी है । अच्छा एक काम कर सब को अंदर बुला मैं बात करती हूं।" दादी मां ने कहा। चंदा मांगने आए बच्चे व बड़ों से दादी मां ने पूछा-"गणेश जी तुम कहां बैठाने वाले हो? "

" यहीं अपने मोहल्ले के आखिरी छोर पर।"

 "चंदा तुम्हें अवश्य मिलेगा , लेकिन उससे पहले तुम सबको मेरा एक काम करना होगा।"

 "सभी एक स्वर में पूछ बैठे,  "कैसा काम?"

 दादी मां ने बताया "कल तक तुम सब लोगों को मिलकर अपने मोहल्ले की सड़क के दोनों ओर कतारों में पौधे लगाने होंगे और उनके बड़े होने तक उनका रखरखाव करना होगा। अगर मंजूर है तो बोलो। आज से ठीक 15 दिन बाद इनाम में तुम्हें मैं चंदे की राशि दूंगी वह भी दुगुनी।" 

सभी ने एक आवाज में हामी भरी। दूसरे ही दिन से किया हुआ वादा मूर्त रूप लेने लगा। 

दादी मां की खुशी का ठिकाना न था लेकिन उन्होंने अपनी खुशी छिपाते हुए कहा -"अभी इससे भी बड़े काम बाकी है और वह है इनके बड़े होने तक इनके रखरखाव का काम, यह ध्यान देने का काम कि कोई पशु इन्हें खा न ले और साथ ही चारों तरफ की साफ सफाई का काम।"

 "जरूर दादी मां, ऐसा ही होगा और काम पूरा होने पर वादे के अनुसार दादी मां ने चंदे की राशि दोगुनी दी।

साथ ही गणेश चतुर्थी मनाने का जोश कई गुना कर दिया,  क्योंकि इस बार चारों तरफ सफाई और हरियाली थी। जिससे पूरा मोहल्ला मंदिर की तरह सुकून से भरा हो गया।

माता-पिता भी अपने बच्चों को बेझिझक घंटों बाहर खेलने व त्यौहार का आनंद उठाने की अनुमति दे चुके थे । सभी ने दादी मां का धन्यवाद कर उन्हें मोहल्ले की कार्यकारी समिति का अध्यक्ष बना दिया। दादी मां ने इस सम्मान के लिए सबका शुक्रिया अदा कर कहा- "मैंने तो सिर्फ अपने बड़े होने का फर्ज अदा किया है लेकिन अभी मोहल्ले को पूरी तरह से विकसित करने के लिए बहुत से कार्य करना बाकी है, इसके लिए मैं आप सभी से पूर्ण सहयोग की अपेक्षा रखती हूं।"

 सभी एक स्वर में अपनी स्वीकृति देकर खिलखिलाते हुए कार्यक्रम का आनंद लेने लगे।


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