Akanksha Gupta

Drama Romance

4.0  

Akanksha Gupta

Drama Romance

गली गली का प्यार

गली गली का प्यार

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उसकी उम्र यू ही कुछ बारह तेरह साल के आस पास होगी और मेरी सोलह सत्रह के आस पास, जब वह हमारे मोहल्ले में मेरे घर के सामने अपने मम्मी पापा के साथ रहने आई थी। उसके पिता बैंक में अकाउंटेंट थे और माँ गृहणी थी।

गुलाबी रंग की फ्रॉक और बालों में पीले फूल वाला गुलाबी हेयरबैंड, पैरो में गुलाबी सैंडल और हाथ में गुड़िया उसे कुछ अलग बना रहे थे।

गाड़ी से उतरते हुए उसके चेहरे पर रौब था। उसका यही रौब मुझे उसका मुरीद कर गया। मैं मदद करने के बहाने उसके घर पहुंचा। घन्टी बजाई तो मैं उम्मीद कर रहा था कि वह आकर दरवाजा खोलेगी लेकिन उसकी मां ने मेरी कल्पना को धूल में मिला दिया।


दरवाजा खोलते ही आंटीजी ऐसे मुस्कुराई जैसे कोई उन्हें फ्री शॉपिंग का ऑफर देने आया हो। देखते ही बोली-


“अरे बेटा तुम, तुम तो वही हो ना सामने वाले शर्मा जी के लड़के?”

“जी आंटीजी। मम्मी ने कहा है कि मैं आपसे पूछ लूं कि आपको किसी चीज की जरूरत हो या कोई काम करवाना हो तो आप बता दीजिए, मैं करवा देता हूँ।“अरे नही बेटा। उसकी कोई जरूरत नहीं। नौकर चाकर है इस काम के लिए। अंदर आओ।

मैं अंदर गया तो देखा वह सोफे पर बैठ कर अपना होमवर्क पूरा कर रही थी। पूरा घर साफ सुथरा और सुव्यवस्थित था। उसने मुझे देखा और मुस्कराई। उसके बाद तो जैसे मुझे कोई होश ही नही था। कब आंटीजी ने चाय बनाई, मैने कब चाय पी, उन्होंने क्या पूछा, मैने क्या बताया, मैं कब घर वापस आ गया, मुझे कुछ भी पता नहीं चला।

अब यह मेरा रोज का काम हो गया था। मैं किसी न किसी बहाने से उसे देखने के लिए पहुंच जाता था। मेरे मन मे ख्याली पुलाव पकने लगे। मैं उसका हाथ पकड़कर स्कूल जाया करूँगा, उसका होमवर्क कराया करूँगा, उसको फूल लाकर दूंगा। वह मेरी साइकिल पर बैठ कर शाम की सैर पर निकलेगी। यह मानकर चल सकते है कि मैं किसी साउथ इंडियन फिल्म का हीरो हूँ और वह फिल्म की हिरोइन जो हैप्पी एंडिंग आते आते हीरो की दुल्हन बन जाती हैं।

मेरे यह ख्याली पुलाव जल्दी ही जलने लगा जब उसके पापा का ट्रांसफर किसी दूसरे शहर हो गया। मैं छुप छुप कर उसे देखता रहा। जिस दिन वह अपने पापा के साथ जा रही थी, मैं अपने ख्याली पुलाव की बिरयानी खा रहा था।


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