गिफ्ट
गिफ्ट
एक खूबसूरत सा,सुन्दर पैक किया, डिब्बा उसने मेरे सामने टेबल पर रख दिया।मैने आश्चर्य से पुछा "ये क्या है" "आपके लिये,खोलकर देखिये न" हम दोनो ही एक ही ऑफ़िस मे काम करते थे।हमारी टेबल आमने सामने थी।वो साहेब का स्टेनो और मै रिसीट डिस्पैच की सीट पर थी।एक साल पहिले ही हम दोनो ज्वाइन किया था। गौर वर्ण,सुन्दर नाक नक्श,लम्बा सा वो लड़का अपने मधुर स्वभाव ,और अपने काम के प्रति निष्ठ होने के कारण, पूरे स्टाफ का प्रिय। जाहिर है मेरे भी उससे अच्छे सम्बंध थे।वो मेरे काम मे हैल्प करता,मै भी उसके काम मे कभी कभी हाथ बंटा देती।घर मे जब कभी माँ कुछ नया,अच्छा पकवान बनाती मैं उससे शेयर करती।ऑफ़िस मे मेरी सहेलियां उसको लेकर मज़ाक भी करती।पर मै कभी भी गम्भीरता से नहीं लेती। "खोलकर देखिये न"उसने कहा । मेरी विचार तंद्रा टूटी। सुन्दर पैक किये हुए डिब्बे को खोला। बहुत खूबसूरत रँग बिरंगी चूडियों से भरा डिब्बा।और ऊपर दिल और उसे चीरता हुआ तीर,का चित्र कागज़ पर बना रखा हुआ।पता नही क्यों ये उपहार मेरे दिल को खरोंच गया।मेरे निस्वार्थ निश्छल प्रेम का क्या एक यही अर्थ लगाया इसने। पवित्र मित्रता का यही मतलब है? मैने उस डिब्बे को बंदकर उसे लौटाते हुए कहा--मिस्टर विपुल हर प्रेम,स्नेह, सौहाद्र का अन्त परिणय नहीं होता।बात जाति की भी नहीं,बस मैने आपको उस निगाह से कभी न देखा,न जाना,ना समझा।"
