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Dr. Kusum Joshi

Drama

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Dr. Kusum Joshi

Drama

घुटन

घुटन

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ढोलक की थाप के साथ अपनी भारी बुलन्द आवाज में भागू "हरियाला बन्ना लाड़ला फूलों में मचल रहा है " के साथ अपने भतीजे के बेटे आकाश की शादी के रतजगा का आगाज कर रही थी।

सालों से आस पडो़स के घरों का कोई भी जश्न भागू के बिना अधूरा था । नन्ही सी भागू कब भागू दी , से भागू बुआ, और अब भागू अम्मा हो गई, वक्त कब यूं ही उड़ गया, बिना अहसास दिये।

 शुरु शुरु कोई अम्मा कहता तो उसे बड़ी कोफ्त होती, पर चलो ठीक है 'प्रमोशन ही है, ये सोच मुस्कुराती कि " अनब्याही को अम्मा कहने वालें मिले ये भी नसीब है"।

भागू को अभी भी याद है पन्त बहिनजी ने फर्स्ट क्लास रिजल्ट देख कर पूरी क्लास से उसके लिये ताली बजवाई थी, आठवीं क्लास उसके स्कूल की सीनियर मोस्ट क्लास...

छोटी बहिन के साथ कितनी खुश घर पहुंची थी ...पर ये क्या! घर में भीड़ भाड़, मां और दादी के रोने की आवाज ...

भारत चीन युद्ध में पिता लापता हैं, कितना कुछ बिखर गया था, भागू का वर्तमान, भविष्य । कुछ राह नही क्योकि पिता लापता घोषित हुये थे शहीद नही...

मां को घर की सुध लौटी तो बोली-"भागू अब तेरा ही सहारा है कुछ करना ही पड़ेगा", एक गाय तो है, सोच रही हूं एक भैंस और गोठ बांध लूं ...दूध से चार पैसे आ जायेगें, तू घर संभाल लेगी तो सब ठीक हो जायेगा ...भागू आज भी उस घुटन को महसूस करती है, जब वो ना, रो पाई थी, ना हंस पाई, मां को हां भी ना कह पाई,ना मना कर पाई ..

हां अगले दिन से दोनों बड़े भाई और दोनों बहनों की स्कूल की तैयारी के लिये चकरघिन्नी की तरह घूमती, और आंखों से बाहर आने को उतावले आंसूओं को गले से नीचे घुटक लेती।


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