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Ramesh Chandra Singh

Drama

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Ramesh Chandra Singh

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घर की लक्ष्मी

घर की लक्ष्मी

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"माँ जी, झाड़ू दीजिये, मैं झाड़ू लगा देती हूँ।"

सास को सुबह में घर में झाड़ू देते देख नई नवेली दुल्हन बोली। अभी शादी हुए 2 दिन ही तो हुए थे।

"अरे बहू, कुछ तो ख्याल कर, लोग क्या कहेंगे, सास ने बहू को 2 दिन भी आराम से न रहने दिया।"

"माँ जी, इसका मतलब है आपने मुझे अपनी बेटी न समझा।"

"ऐसा नहीं है बहू, सच तो यह है कि मैं झाड़ू अपने स्वार्थ में लगाती हूँ। वैसे भी कामवाली तो आती ही है।"

"कैसा स्वार्थ माँ जी ?"

"इसी बहाने थोड़ा शरीर का व्यायाम हो जाता है। अब क्या तुम न चाहोगी कि तुम्हारी सास स्वस्थ रहें।"

"सही कहा माँ जी, इसी हमारी सोच ने तो कई घरों का बजट बिगाड़ा है और आराम तलबी ने हमें मोटापा, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी कई बीमारियों को दिया है। कल से मैं खुद घर का सारा काम करूँगी और आपके काम में व्यवधान भी न डालूंगी।"

बहू की समझदारी भरी बातों से सास को अहसास हो गया कि उनके घर लक्ष्मी आई है।


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