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Ramesh Chandra Singh

Drama

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Ramesh Chandra Singh

Drama

ढोंगी

ढोंगी

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"ब्रह्म कण-कण में विद्यमान है।" ब्रह्मवेत्ता और बाल ब्रह्मचारी श्री अखलनन्द जी महाराज ने भक्तों के विशाल जनसमुदाय में कहा।

"तब तो यह विधर्मियों में भी विद्यमान है, महाराज ?" एक जिज्ञासु भक्त ने पूछा।

"नहीं, विधर्मियों में नहीं।"

" क्यों महाराज ? क्या विधर्मियों को विधाता ने नहीं बनाया ?"

तभी महाराज के साथ मंच पर आसीन एक साधु चिल्लाया, "कोई विधर्मी यहाँ घुस आया है, इसे बाहर करो।"

"कोई सेकुलर लगता है, विपक्षी पार्टी का।" किसी भक्त की आवाज आई।

तुरत उस प्रश्नकर्ता को भक्तों ने सभा से अलग कर दिया। 

वह जिज्ञासु प्रवचन मंडप से बाहर निकलते हुए चिल्लाया, "साले ढोंगी !"


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