तालियाँ
तालियाँ
"आप चुनाव प्रचार करते वक्त विपक्षियों के विरुद्ध अनर्गल बातें क्यों बोलते हैं ?"
एक कार्यकर्ता ने अपने प्रत्याशी नेता से पूछा।
"क्योंकि हमें हर हालत में चुनाव जीतना है।"
" क्या देश से बड़ा चुनाव है ?"
"मूर्ख तुम्हें किसने पार्टी में रखा ?"
नेता जी का तेवर अब बदल गया था।
वह डर गया। अभी अभी तो उसकी सक्रिय पार्टी कार्यकर्ता के रूप में पहचान बनी थी। वह चुप हो गया लेकिन अंदर ही अंदर कुछ पिघलने लगा था।
"सुन, जनता को देश हित की बातें नहीं सुहातीं। तालियाँ गालियों पर ही बजती हैं।"
उसकी चुप्पी के अंदर विद्रोह का लावा बहकर बाहर आ ही गया। "सर, पार्टी से सदस्यता त्याग के लिए किसको लिखकर देना होगा।"
अब नेता जी के चेहरे पर हवाइयाँ भी उड़ने लगी थीं।