TYPICAL ANKUSH

Inspirational

3.1  

TYPICAL ANKUSH

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घर का बेटा एक बेटी

घर का बेटा एक बेटी

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नमस्कार दोस्तो में आपका दोस्त अंकुश आज फिर आपके सामने एक कहानी पेश करने जा रहा हूँ। जिसमे जो जो भी गलती हो तो माफ करे।

दोस्तो ये कहानी मेरी एक फ्रेंड की फ्रेंड ही है

जिसके कहने पर आपके सामने ये कहानी पेश कर रहा हूँ

यह कहानी है एक लड़की की जो अपने घर का बेटा है।

जिसका नाम श्रेया है जो हमेशा अपने मे मस्त रहती है एक सीधी साधी लकड़ी जो दुनियादारी से बहूँत दूर बो सिर्फ अपनी फैमिली के साथ हमेशा खुश रहना चाहती है और अपनी फैमिली को हमेशा हर खुसी देना चाहती है लेकिन श्रेया के पिता को किसी का खुश रहना पसंद नही है जिस के कारण वह अपने पिता से नफरत करने लगी है लेकिन कहते है कि माँ से बढ़कर इस दुनिया मे कुछ भी नही होता। वह अपनी माँ की खुशियों के लिए हर दुख तकलीफ सहन करने को तैयार रहती है। किसी भी तरह की मुश्किल का सामना करने को एक दम तैयार खड़ी है, श्रेया हर तरह का काम करने में माहिर है घर के काम से लेकर पढ़ाई, लिखाई, एवं अन्य सभी कार्य करने में बहूँत हूँ होशियार है, लेकिन अब बो बहूँत थक चुकी ही परेसानी का सामना करते करते। जिसके कारण वह कुछ दिनों से ज्यादा परेशान रहने लगी है और जिससे उसको टेंसन रहता है। और इसी बीच उसको एक लड़के से प्यार हो जाता है लेकिन वह घर वालो की बजह से उस लड़के से अपने प्यार का इजहार नही कर सकती और साथ ही वह नही चाहती कि अपने प्यार के इजहार से बो अपना एक अच्छा दोस्त कहि खो न दे और वह इस बार से भी परेशान रहने लगती है,बस कुछ दिन बाद लड़के की शादी हो जाती है, ऐसे ही ऐसे कुछ दिन बाद लड़की के घर बाले उसके सगाई फिक्स करदेते है और लकड़ी बिना कुछ बोले हां बोल देती है बो भी अपने प्यारे के बारे में अपने घर पर बिना बताए। क्योंकि बो जानती है कि उस दोस्त के अलाबा कोई भी दोस्त उसकी लाइफ में नही है जिसे बो अपनी जीवन के अंतिम सांस तक भूल नही सकती और उस दोस्त की जगह कोई नही ले सकता।

श्रेया अपने परिवार के लिए कुछ करना चाहती है परिवार की हर खुसी में अपनी खुसी ढूंढ लेती है, घर वालो ने जंहा सगाई तय की तो श्रेया ने भी सगाई करली। लेकिन वह धीरे-धीरे कमजोर पड़ती जा रही है और टूटी जा रह थी ,और कु छ समय बाद उसकी तवियत खराब होती है तो वह डॉक्टर को दिखाने जाती है कुछ जांच होती है कुछ दिन बाद उसे पता चलता है कि उसे कैंसर है और वह अपनी जीवन के अंतिम चरण में है उसे कभी भी कुछ भी हो सकता है। इस समय वह बहूँत टूटती जारही है इस बात को वह अपने घर बालो भी बता कर उनको टेंसन नही देना चाहती है उसके सपने बहूँत सारे है बो अपने घर बालो के लिए भी बहूँत कुछ करना चाहती है वह अब न तो अपने सपने पूरे करसकती न ही अपने घर बालो के सपने पूरे करसकती है अब उसकी एक डायरी ही है जो उसकी पूरी जिंदगी बन गई है अब डायरी ही उसकी एक अच्छी दोस्त बनगई है और वह अपनी हर बात उस डायरी के साथ शेयर करने लगी है बस यही डायरी ही अब उसकी जीवन साथी बन गई ही जिसके साथ वह हँस लेती है। रो लेती है अपनी हर बात कह सकती है।

उसके मन में डर ने अपना डेरा बना लिया है और जिसकी बजह से वह दिन पर दिन टूटती जा रही है उसे अब डर हो गया ह की न तो अपने न अपने घर बालो के एक भी सपने पूरे नही करसकेगी क्योंकि उसकी जिंदगी बहूँत कम दिन की बची हूँई है

दोस्तो इस वास्तविक कहानी के माध्यम से आप सभी से एक निवेदन करुगा की कभी भी आप जिससे भी प्यार करते है तो कभी भी बिलंब न कीजिये अपने प्यार का इजहार कर दीजिये।

और दोस्तो कैंसर के लिए में भगवान से प्रार्थना करता हूँ की श्रेया जल्दी सही हो जाये।

और आशा करता हूँ कि आप सब भी प्रार्थना करेंगे।


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