घिन

घिन

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"अरे ! कहाँ गयी.. मैंने कल यहीं तो रखी थी...हे भगवान ! इतनी महंगी अंगूठी..कहाँ चली गई..घर से खुद कैसे गायब हो सकती है.."

बुदबुदाते हुए रूचि अपने कमरे में तेज़ी से चीज़ों की उथल पुथल कर अपनी सोने की खोयी हुई अंगूठी ढूंढ रही थी

"क्या हुआ ? क्या खो गया तुम्हारा ? जो इतनी जल्दी-जल्दी ढूंढ रही हो।"

"देखो ना रोहन, मैंने कल यहाँ अपनी सोने की अंगूठी रखी थी, आज वो नहीं मिल रही, ना जाने कहाँ चली गई !"

"अरे ! मैडम साहिबा, यहीं कहीं होगी, तुम ध्यान से देखो, अच्छा मुझे ऑफिस के लिए लेट हो रहा है तुम पहले मेरा नाश्ता लगा दो, फिर मेरे जाने के बाद आराम से ढूंढती रहना और जब चमेली आंटी आएगी ना सफ़ाई करने उन्हें भी अपने साथ लगा लेना।" कहते हुए रोहित डाइनिंग टेबल पर जा बैठा।

उलझे मन से रोहित को नाश्ता करवा कर व उसके जाने के बाद रूचि फिर लग गयी अपनी अंगूठी ढूंढने कि तभी घड़ी पर नज़र पड़ी, "यह क्या दस बज गए और चमेली आंटी अभी तक आयी नहीं काम पर..आगे तो नौ बजे ही आ जाती है। कल शाम भी नहीं आई, रसोई भी गंदी पड़ी हुई है, ना जाने क्या बात है, अभी दो महीने हुए नहीं लगे हुए और इनके ड्रामे शुरु, ऊपर से एक नयी मुसीबत कि घर में सामने पड़ी हुई चीज ही गायब हो गई, आज तक तो ऐसा नहीं हुआ। इससे पहले भी कामवाली लगी हुई थी मजाल हो एक भी चीज गायब हो जाए !"

मन में आये विचारों की सुनामी ने रूचि को सोचने पर मजबूर कर दिया था कि कहीं उसकी अंगूठी चमेली आंटी ने तो नहीं उठा ली- "कल सुबह मुझे अंगूठी उतार कर टेबल पर रखते हुए देख भी रही थी। सच कहते हैं छोटे लोग होते ही ऐसे हैं इन पर विश्वास नहीं किया जा सकता। आने दो आज उसे,बताती हूँ अच्छे से।"

गुस्से में लाल-पीली हुई रूचि ने जब डोरबेल की आवाज़ सुन कर दरवाजा खोला तो सामने चमेली आंटी को खड़ा पाया इससे पहले रूचि कुछ बोलती, चमेली आंटी पहले ही बोल पड़ी- ”माफ करना, रूचि बेटा कल शाम नहीं आ पाई। छोटे बेटे की तबियत बिगड़ गई थी, उसको अस्पताल से दवाई दिलवाई इसीलिए आज भी लेट हो गई। तुम परेशान ना हो, मैं जल्दी से सारा काम कर देती हूँ।” कहते हुए चमेली आंटी रसोई में चली गई।

रसोई में बर्तन साफ कर जब चमेली आंटी कमरे में झाड़ू लगाने गयी तो रूचि भी पीछे-पीछे आ गयी। वह कुछ बोलती इससे पहले ही उसके पैर से एक चीज़ आकर टकरा गई। उसने देखा तो वो उसकी खोई हुई सोने की अंगूठी थी जो चमेली आंटी के झाड़ू लगाने के बाद बैड के नीचे से बाहर निकली थी।

रूचि कुछ कहती कि अचानक से उसकी पाँच साल की बेटी बोल पड़ी- ”सॉरी मम्मा, कल अपनी गुड़ियों के साथ खेलते समय आपकी यह रिंग मुझसे नीचे गिर गयी थी और मैं आपको बताना भूल गई थी।”

यह सारी बात जान निःशब्द सी खड़ी रूचि को अपनी छोटी सोच के कारण खुद से घिन हो रही थीं।


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