गेस्ट हाउस [मिस्ट्री]
गेस्ट हाउस [मिस्ट्री]
घड़ी की सुइयां रात के तीन बजा रही थी ,नेहा को डर के मारे नींद नहीं आ रही थी।घड़ी की टिक-टिक से भी तेज़ उसके दिमाग में टिक -टिक हो रही थी . जल्द से जल्द यह रात कटे ताकि सुबह होते ही वह यह गेस्ट हाउस छोड़कर दूसरी जगह शिफ्ट हो। २००० गज जगह में बने इस गेस्ट हाउस में वह अकेले ही रह रही थी। नेहा फील्ड ट्रेनिंग के लिए इस नए शहर में आयी थी। अभी उसे यहाँ पर आये २ दिन ही हुए थे।
गेस्ट हाउस में प्राइवेट किचन होने के कारण उसने यहाँ रहने का निर्णय लिया था। उसे यहाँ २ महीने रहना था ,इसलिए बाहर का खाना नहीं खाना चाहती थी। साफ़ -सफाई और बर्तन माँजने के लिए केयरटेकर था ,जो सुबह -शाम आकर अपना काम कर जाता था। आज ऑफिस में लोगों ने बताया था कि इस गेस्ट हाउस में एक लड़की ने आत्महत्या कर ली थी। वैसे तो नेहा भूत-प्रेत में यकीन नहीं करती थी। वह मानती थी कि यह सब हमारे मन की कल्पना है और कुछ नहीं।
लेकिन जब से गेस्ट हाउस में रुकी है ,तब से उसके साथ अजीब -अजीब सी घटनाएँ हो रही थी। उसकी लायी दूध की थैली गायब हो गयी थी। एक पॉलिथीन में प्याज ,हरी मिर्च और हरा धनिया रखा हुआ था ;उसमें से केवल हरा धनिया गायब हो गया था। ऑफिस जाने की जल्दी के कारण ,वह उस बारे में उतना सोच नहीं पायी थी।
आत्महत्या की बात सुनकर वह डर गयी थी। अब रात को किसी के छत पर चलने की आवाज़ आ रही थी। डर के मारे नेहा ने अपने कमरे की लाइट्स भी ऑफ नहीं की थी। डर के मारे नेहा रूम से अटैच्ड वाशरूम भी नहीं जा पा रही थी। वह गायत्री मन्त्र बोले जा रही थी ,भगवान् का नाम ले रही थी कि जैसे तैसे रात गुजरे और सुबह हो। उसे खुद पर गुस्सा आ रहा था कि इतनी बहादुरी दिखाने की क्या जरूरत थी। उसके बॉस ने तो कहा भी था कि अकेले उस गेस्ट हाउस में कैसे रहोगी। लेकिन अपने आपको बहादुर सिद्ध करने के लिए वह यहाँ आ गयी।
जैसे ही सुबह हुई;नेहा ने अपने बॉस को अपना गेस्ट हाउस बदलने की रिक्वेस्ट की। लेकिन हाय री किस्मत ,दूसरे गेस्ट हाउस में २ दिन के लिए सारे रूम बुक्ड थे। नेहा ने अपना सामान पैक कर लिया था और सोच लिया था कि २ दिन के लिए किसी होटल में अपने खर्चे पर रह लेगी ;लेकिन इस सुनसान गेस्ट हाउस में नहीं रहेगी।
ऑफिस पहुंचने पर उसने होटल भी बुक कर लिया। वह अपने काम में व्यस्त हो गयी थी। लंच टाइम में बातों -बातों में किसी ने बताया कि गेस्ट हाउस के केयरटेकर गोपाल को क्लिप्टोमेनिआ मानसिक बीमारी है। नेहा अब समझ गयी थी कि दूध की थैली और हरा धनिया कहाँ चला गया था। इस बीमारी में व्यक्ति को छोटी -मोटी चोरी करने की आदत हो जाती है और चाहकर भी व्यक्ति अपने आपको चोरी करने से रोक नहीं पाता।
नेहा ने चोरी की गुत्थी तो आखिर सुलझा ही ली थी ,लेकिन अभी भी रात में छत पर चलने की आवाज़ वाली गुत्थी अनसुलझी थी। नेहा को होटल में चेक इन करना था तो आज वह लंच के बाद ही ऑफिस से गेस्ट हाउस लौट गयी थी। गेस्ट हाउस पहुंचकर वह अपनी पैकिंग को फाइनल टच देने लगी ,तब उसे दोबारा छत पर किसी के चलने की आवाज़ आयी। दिन के ४ बज रहे थे ;अतः उसने हिम्मत करके छत पर जाकर देखने का निर्णय लिया ताकि कम से कम उसे सच्चाई का तो पता चल सके ।
नेहा के रूम के पीछे सागवान का एक विशाल पेड़ लगा हुआ था। पेड़ के पत्ते झड़ -झड़ कर छत पर गिरे हुए थे। जब हवा चलती थी तो, पत्ते छत पर रगड़ खा रहे थे। इस रगड़ से ही ऐसी आवाज़ आ रही थी ; मानो कोई छत पर चल रहा हो । सुनसान और शांत जगह होने के कारण यह आवाज़ साफ़ -साफ़ सुनाई दे रही थी। नेहा को अपनी बेवकूफी और डर पर हंसी आयी। नेहा ने बचपन से भूत-प्रेत की कहानियां तो सुनी हुई थी ;जब उसे किसी लड़की के द्वारा आत्महत्या किये जाने के बारे में पता चला तो उसने अपनी सुनी हुई कहानियों के आधार पर गेस्ट हाउस में किसी आत्मा के होने की कल्पना कर ली थी;और अपनी कल्पना को हकीकत मान लिया था और उसी के अनुसार वह आचरण कर रही थी।
खैर नेहा की कल्पना निरी कल्पना ही साबित हुई ,फिर भी नेहा दोबारा उस गेस्ट हाउस में रुकने की हिम्मत नहीं जुटा सकी। वह गेस्ट हाउस छोड़कर होटल में चली गयी और २ दिन बाद अपने ऑफिस के दूसरे गेस्ट हाउस में।