गाड्स गिफ्ट
गाड्स गिफ्ट
दूर से किसी गिरिजाघर की बड़ी घड़ी ने रात के बारह बजने का संकेत दे दिया था ।टन- टन- टन- टन- टन- टन- टन- टन- टन- टन- टन- टन ......गाँव में सन्नाटा पसर चुका था ।अमावस की घनघोर भयावह और डरावनी रात ...।
" आज उस कुंए की खनखनाती हुई आवाज़ की हकीकत जान लेनी ही होगी पार्टनर !" शक्तिमान बोल उठे ।
"यस बॉस ! " रामानुजम ने हुंकारी भारी ।
दोनों अपना टूल बाक्स लेकर मिशन " गाड्स गिफ्ट " के लिए निकल पड़े ।
बुलेट की डगड्गाती हुई आवाज़ सन्नाटे को चीरने लगी ।उनको ज्यादा दूर नहीं जाना था ..यही कोई चार या पांच किलोमीटर ।सड़क सुनसान थी और सड़क पर पर्याप्त लाईट थी ।इलाके के लोग अगर जग भी रहे होंगे तो यही समझेंगे कि पुलिस का दरोगा अपनी नियमित गश्त पर जा रहा होगा ।
शक्तिमान और रामानुजम ने दो तीन बार उस कुंए की रेकी कर ली थी । गाँव वालों का फीड बैक भी ले लिया था और यह आश्वस्त हो चुके थे कि जादू टोने और तन्त्र मन्त्र के भय से प्राय: देर रात और खासकर अमावस की रात कोई भी उस कुंए की ओर नहीं जाता है ।अब वे अपने टार्गेट के बेहद करीब थे ।
दोनों ने कुए के किनारे पहुँच कर आस पास का जायजा लिया ..सब तरफ सन्नाटा ..सियार की रह रह कर आवाजें अलबत्ता आ रही थीं ।
शक्तिमान ने अपना ड्रेस बदला और कुए के ऊपर लगे चरखे में प्लास्टिक की लम्बी रस्सी डाली । अब रस्सी के एक सिरे को मजबूती से पास के एक मोटे पेड़ से बांधा ।
अब उसने अपने हाथ में टार्च , पीठ पर आक्सीजन सिलिंडर , आँख पर मोटा चश्मा और कंधे पर टूल बाक्स लेकर कुएं में दाखिल होना शुरू कर दिया था ।उसको यह आभास हुआ कि कुएं की गहराई लगभग चालीस फीट की है और वह आराम से उसमें उतर जाएगा ।
उधर रामानुजम के जिम्मे आस पास की निगरानी करने का था ..उसकी आँखें चौकस होकर निगहबानी करने लगीं ।वह अपनी सर्चलाईट को दूर दूर तक फेंक कर आश्वस्त हो रहा था कि कोई देख तो नहीं रहा है या कोई आ तो नहीं रहा है ?
लगभग बीस फीट की गहराई तक उतरते हुए उसको थोड़ा भय लगने लगा ।वह बहुत ही धार्मिक स्वभाव का था और ऐसे अवसर पर वह हनुमान चालीसा पढ़ा करता था ।
"...आपन तेज सम्हारो आपे ,
तीनो लोक हांक तें काँपे ।
भूत पिशाच निकट नहीं आवें ,
महावीर जब नाम सुनावें । "
सचमुच उसका भय जाता रहा और वह अब कुएं के लगभग तलहटी पर आ चुका था । वह रस्सी के सहारे किसी ठौर की जुगाड़ में था कि उसका पैर किसी ठोस चीज़ से टकराया ।
"अरे ! यह क्या ?..यह तो कोई घड़ा है ।"वह बुदबुदाया ।
उसने घड़े को एक किनारा देने की कोशिश की लेकिन वह जितनी बार उसे किनारे लगाता वह उतनी ही तेज़ी से फिर बीच धारा में आ जाया करता था ।वह घड़ा पैर से जब मारता था तो किसी चीज़ की खनखनाहट आया करती थी ।उसको पूरा विशवास हो गया कि अब वह अपने मिशन को कम्प्लीट कर लेगा ।
शक्तिमान ने कुएं के ऊपर आसमान की ओर लाईट फेंक कर अपने साथी रामानुजम को संकेत भेजा । तुरंत ऊपर से रामानुजम ने वापसी लाईट फेंक कर सिग्नल दिया कि वह अब मुंडेर पर है ।
" रस्सी..रस्सी...डुप्लीकेट रस्सी इसी चरखे के सहारे फेंको ..मिशन इज आलमोस्ट सक्सेस फुल ! " शक्तिमान बोल उठा ।
रामानुजम ने वैसा ही किया । अपने टूल किट से उसने दूसरी रस्सी निकाली और उसको पहले वाली की तरह ही पेंड से बाँध कर उस चरखे के सहारे कुए में उतार दी ।
" वेट् रामा ... टिल आई इंस्ट्रक्ट यू ........" नीचे से शक्तिमान फुसफुसाया ।
शक्तिमान ने इस बार लगातार मेहनत करते हुए उस घड़े की गरदन में रस्सी फंसाई और खूब कस कर गाँठ लगाते हुए रामानुजम से उसे ऊपर की ओर खींचने के लिए कहा ।
रामानुजम ने वैसा ही किया । भारी घडा अब ऊपर आ चुका था ।
आनन फानन में अब शक्तिमान भी ऊपर आ चुका था । उनका मिशन गाडस गिफ्ट अब शत
प्रतिशत कामयाब हो चुका था ।दोनों अपनी वापसी यात्रा पर थे और उनके साथथा उस शापित
कुएं में किसी जमाने में थारूओं के छिपाए हुए अनमोल और बेशकीमती रत्न और आभूषण ।