Mens HUB

Action Fantasy Thriller

4.0  

Mens HUB

Action Fantasy Thriller

G-War

G-War

8 mins
290


चारों तरफ अंधेरे का साम्राज्य और इस अंधेरे से लड़ती हुई प्रकाश की बहुत ही छोटी सी किरण, प्रकाश की यह किरण एक छोटी से टोर्च से निकल रही थी। टोर्च बहुत ही छोटी और उससे निकलने वाली प्रकाश किरण इतनी मामूली की एक मीटर दूर तक प्रकाश करने में भी असमर्थ। यदि चारों तरफ धुंध ना होती तो संभव था की प्रकाश किरण शायद कुछ अधिक दूर तक रोशनी कर सकती, परन्तु धुंध के कारण चारों तरफ का माहौल और भी अधिक रहस्यपूर्ण हो गया था। प्रकाश किरण छोटी सी टोर्च से निकल कर अँधेरे से लड़ने का प्रयास कर रहा था और वह छोटी सी टोर्च एक व्यक्ति की हाथ में पकड़ी हुई थी। उस व्यक्ति ने टोर्च का आगे वाला हिस्सा झुका रखा था ताकि टोर्च की रोशनी ज़मीन पर पड़े और उसे आगे बढ़ने में सहायक हो। वह व्यक्ति बहुत तेजी से एक तरफ बड़ा जा रहा था। इस वक़्त उनके साथ कोई नहीं है और जिस जगह पर वह व्यक्ति आगे बढ़ रहा था उसे यदि जंगल कह दिया जाये तो गलत नहीं होगा। चारों तरफ वृक्ष ही वृक्ष, अजीब प्रकार के वृक्ष, ऐसे वृक्ष जिनको उस व्यक्ति ने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था परन्तु उसके पास वृक्षों को देखने का वक़्त नहीं था उसे कहीं पहुँचना था। काफी देर तक चलने के बाद वह अपनी मंज़िल पर पहुँच गया। उसकी मंज़िल एक बहुत बड़ा सा किला था और इस वक़्त वह किले की एक बहुत ऊँची दीवार के किनारे पर था। उसे किले के दूसरी तरफ पहुँचना था और उसने दीवार के सहारे सहारे आगे बढ़ना शुरू कर दिया। यह बहुत लम्बी यात्रा थी और वास्तव में अधिक सावधानी से आगे बढ़ने की भी जरूरत थी क्योंकि किले की दीवारों पर पहरेदार मौजूद थे जो उसे देख सकते थे। और वह व्यक्ति फ़िलहाल नहीं चाहता था की पहरेदारों उसे देखे। बहुत देर चलने के बाद वह किले के विपरीत दिशा में पहुँच गया। यहाँ पर उसने अपनी जेब से एक छोटा सा यंत्र निकल कर चेक किया और उस यंत्र पर भरोसा करते हुए वह अपनी जगह से तकरीबन 10 मीटर पीछे लोट आया। जब उसे यकीन हो गया की वह सही जगह पर आ पहुंचा है तब उसने यंत्र दोबारा जेब में रख लिया और छोटी टोर्च की मदद से सामने की दीवार का निरीक्षण करने लगा। थोड़ी देर निरीक्षण के पश्चात उसने एक पत्थर पर हलके हलके थपथपाना आरंभ कर दिया। देखने में ऐसा लग रहा था जैसे की पत्थर पर वह व्यक्ति कुछ सांकेतिक ध्वनि पैदा कर रहा है। काफी देर लगी परन्तु उसके प्रयास आखिर रंग लाये और उससे तकरीबन 2 मीटर दूर एक पत्थर दरवाज़े की तरह खुल गया। वह व्यक्ति खुले दरवाज़े से तुरंत ही अंदर दाखिल हो गया जहाँ एक अन्य व्यक्ति उसका इंतज़ार कर रहा था। प्रकाश की बहुत ही मामूली व्यवस्था और इस प्रकाश में किसी को पहचान पाना लगभग नामुमकिन, शायद एक दूसरे को पहचानने की उत्सुकता भी नहीं इसीलिए दोनों चुपचाप एक तरफ को बढ़ गए। यह रास्ता एक बहुत बड़ी सुरंग के रूप में था और दीवारों की नमी और नमी से पैदा हुई बदबू से अनुमान लगाया जा सकता था की यह सुरंग ज़मीन के नीचे नीचे बनी हुई थी। वास्तव में यह सुरंग किले की मोटी दीवार के नीचे बहुत दूर तक चली गयी थी। जिस जगह पर सुरंग का दूसरा सिरा निकलता था वहां पर भी अंधकार का साम्राज्य और चारों तरफ बढ़ गयी बेलों के कारण आगे बढ़ना भी मुश्किल। अभी मुश्किल से दोनों व्यक्ति 100 मीटर ही आगे बढ़ पाए थे की पूरा इलाक़ा पीले प्रकाश से नहा गया। यह पीला प्रकाश सामने फैली भयानक आग की लपटों से आ रहा था जोकि अचानक ही पैदा हो गयी थी जैसे की किसी प्रकार के जादू से पैदा हुई हो और यह आग लगातार बहुत तेजी से दोनों व्यक्तियों की तरफ बढ़ रही थी। इस पीले प्रकाश के कारण दोनों व्यक्तियों को पहचान पाना संभव था। व्यक्ति जो बहुत दूर से चल कर आया था वह डॉक्टर प्रशांत था और दूसरा व्यक्ति जो सुरंग में मिला वह एक महिला थी और उसे डॉक्टर प्रशांत की पत्नी के रूप में पहचाना जा सकता था। परन्तु डॉक्टर प्रशांत बहुत कमजोर दिख रहे थे और शायद उम्र का असर भी था जिसके कारण डॉक्टर प्रशांत बहुत अधिक भयानक दिखाई दे रहे थे। आग की लपटे डॉक्टर और उनकी पत्नी तक आ पहुंची थी और उनके पास बच कर भाग जाने का ना तो अवसर था और ना ही जगह मौजूद थी।  

डॉक्टर प्रशांत हड़बड़ा कर नींद से जाग गए और कई पलों तक सपने का प्रभाव बना रहा लिहाज़ा डॉक्टर अपने चारों तरफ अजनबियों की तरह देखने लगे। एक बार को ऐसा महसूस हुआ की जैसे डॉक्टर अपने रूम को ही ना पहचान पा रहे हो। संभलने में डॉक्टर से काफी समय लगा दिया। डॉक्टर आज फिर वही सपना देख रहे थे जो वह पिछले कई महीनों से लगातार देख रहे थे। हर बार एक ही सपना थोड़े बहुत हेर फेर के साथ, और हर बार डॉक्टर इसी तरह डर कर जाग जाया करते। अपने बेडरूम में जागने वाले डॉक्टर प्रशांत और भयानक आग की लपटों के सामने खड़े डॉक्टर प्रशांत एक ही व्यक्ति थे परन्तु सपने में डॉक्टर प्रशांत जितने भयानक दिखाई दे रहे थे वास्तव में उतने ही खूबसूरत थे। और वास्तव में डॉक्टर प्रशांत विवाहित भी नहीं थे।  

पिछली शाम जिस वक़्त डॉक्टर अपने बेडरूम में सोने के लिए जा रहे थे उस वक़्त मौसम बहुत बिगड़ चुका था। आसमान में भयानक दिखाई देने वाली काली घटायें छा रही थी कभी कभी गरज भी सुनाई दे रही थी। मौसम विभाग की चेतावनी भी स्पष्ट थी। मौसम विभाग के अनुसार भयानक तूफान आने की सम्भावना थी। देश के जिस हिस्से में डॉक्टर रह रहे थे वह समुद्र के किनारे बसा हुआ एक बड़ा शहर है और यहाँ पर कम दाब के क्षेत्र एवं भरी बारिश का आना सामान्य बात है। परन्तु इस बार प्रशासन की तैयारी के देखते हुए अनुमान लगाया जा सकता है की शायद आने वाले तूफान की भयानकता कुछ अधिक ही रहेगी।  

तूफान की भयानकता का डॉक्टर के लिए कोई विशेष महत्व नहीं था उन्होंने अपनी आवश्यकता अनुसार सभी प्रबंध कर रखे थे। घर पर ही खाने पीने का सामान का 10 दिन का स्टॉक कर लिया गया था। इसके अलावा बिजली ना होने की स्थिति में जेनरेटर, जेनरेटर के लिए फ़्यूल, बैटरी, मोमबत्ती, माचिस आदि का इंतज़ाम भी कर रखा था। मोबाइल भी पूरी तरह चार्ज कर लिया इसके अलावा मोबाइल बैटरी अधिक देर तक चल सके इसके लिए इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गयी थी।  

डॉक्टर अपनी सभी इंतज़ामों से संतुष्ट थे किसी किस्म की परेशानी नहीं थी। परन्तु बार बार एक ही सपना देखते रहना अब डॉक्टर को परेशान कर रहा था परन्तु इस मामले में डॉक्टर कुछ नहीं कर सकते थे। उनकी सोच पूर्ण रूप से वैज्ञानिक थी उनका अध्यात्म अथवा किसी अन्य प्रकार की विद्या जैसे की ज्योतिष से किसी भी प्रकार का कोई सम्बन्ध नहीं था और ना ही वह इन सब में यकीन करते थे। डॉक्टर के बंगले में सिर्फ और सिर्फ दो तस्वीरें लगी हुई थी एक तस्वीर में न्यूटन एक पेड़ के नीचे बैठे कुछ सोचते हुए दिखाए गए थे और दूसरी तस्वीर में आइंस्टीन एक अन्य वैज्ञानिक के साथ विचार विमर्श करते दिखाई दे रहे थे और यही दो तस्वीरें डॉक्टर के निजी जीवन और उनके सोच के वैज्ञानिक ढंग को व्यक्त करने के लिए पर्याप्त थी। विज्ञान बहुत तरक्की कर चुका है परन्तु फिर भी सपनों के विषय में लगभग मौन है शायद इसी कारण डॉक्टर प्रशांत को दिखाई देने वाला सपना उन्हें परेशान कर रहा है उनके पास बार बार एक ही सपना देखने का कोई वैज्ञानिक विश्लेषण मौजूद नहीं है। शायद जीवन में यह पहला अवसर था जब विज्ञान ने डॉक्टर को निराश किया है।

रात का आखिरी पहर था और चंद घंटो में ही तूफान आने की सम्भावना थी इसीलिए डॉक्टर ने इस वक़्त सोने का निर्णय त्याग दिया और नित्यक्रम से निबटने के पश्चात् गरम चाय के प्याले के साथ बाहर बालकनी में आ गए परन्तु यहाँ की नम एवं ठंडी हवा के कारण होने वाली बेचैनी से मजबूर होकर दोबारा अपने बेडरूम में आ गए।  

बेडरूम में भी वक़्त नहीं गुजर रहा था इसीलिए डॉक्टर ने सोचा की तूफान आने से पहले अपने लैब का एक चक्कर लगा लिया जाये। उन्होंने अपनी लैब में मौजूद स्टाफ से तूफान के दौरान एवं तूफान के बाद की व्यवस्थाओं पर विचार विमर्श किया और जब पूरी तरह से संतुष्ट हो चुके तब तूफ़ान के आरंभिक लक्षण दिखाई देने लगे थे। ऐसे में डॉक्टर वापिस अपने घर की तरफ चल पड़े।  

डॉक्टर एवं उनके स्टाफ की व्यवस्थाएं संपूर्ण थी परन्तु कुदरत की चुनौती के सामने मानवीय व्यवस्थाएं ध्वस्त होते अधिक वक़्त नहीं लगता। तूफान के भयानक होने की सम्भावना पहले ही व्यक्त कर दी गयी थी परन्तु जैसे ही तूफान समुद्र से ज़मीन पर पहुँच अप्रत्याशित रूप से हवाओं में तेज़ी आ गयी और तूफ़ान की भयानकता उम्मीद से कई गुना बढ़ गई ऐसे में प्रशासन द्वारा की गयी व्यवस्थाओं एवं डॉक्टर द्वारा की गयी व्यवस्थाओं का कोई मूल्य नहीं रहा और सब व्यवस्थाएं तिनके की तरह ढह गयी। नतीजा शहर लगभग तबाह हो गया, डॉक्टर के बंगले का एक बड़ा हिस्सा गिर गया, और बचे हुए हिस्से में पानी भरा हुआ था, बाहर अभी भी बारिश एवं तेज़ हवाएँ चल रही थी इसीलिए डॉक्टर अपने की बंगले के एक कमरे में असुविधाजनक तरीके से दुबके हुए थे। परन्तु डॉक्टर को अपने बंगले की चिंता नहीं थी उन्हें चिंता थी अपनी लैब की। कई घंटों बाद जब तूफान का जोर थम गया तब डॉक्टर अपने बंगले से बाहर आये। उनके बंगले का सिर्फ 1 कमरा ही सही सलामत खड़ा था। परन्तु डॉक्टर ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया और लगभग भागते हुए डॉक्टर ऊँची जगह पर पहुंचे जहाँ से उनकी लैब दिखाई देती थी। परन्तु इस वक़्त वहां लैब नहीं थी। लैब पूरी तरह नष्ट हो गयी थी लैब के स्थान पर खाली ज़मीन का टुकड़ा दिखाई दे रहा था। तूफ़ान के साथ समुद्र का पानी जमीन पर भर गया था और पानी वापिस लौटते हुए लैब का मलबा एवं साजो सामान अपने साथ बहा कर ले गया था।  

लैब की हालत देखने के बाद डॉक्टर स्वयं को सम्हाल नहीं पाए, उनके पैरों ने उन्हें सहारा देने से इनकार कर दिया और डॉक्टर वहीं सर पकड़ कर बैठ गए। उनके संपूर्ण जीवन की मेहनत समुद्र में समा गयी थी।  


**** क्रमश ****


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Action