फ़र्क़
फ़र्क़
अभी ट्रांसफर हो कर आये कुछ ही दिन हुए थे।इनके आफिस के गुप्ता जी ने शाम की चाय पर बुलाया कि चलो चाय के साथ कुछ बातचीत भी हो जाएगी और परिवार वालों की आपस में जान पहचान भी।
हम तीनों यानि कि पति देव, सासू मां और मैं नियत समय पर पहुंच गए।
पानी पिया और गुप्ता जी ने पहला ही प्रश्न दागा," अच्छा तो माता जी आपके ही साथ रहती हैं"।
"जी, हम इनके साथ रहते हैं" पतिदेव ने जवाब दिया।
पूछने वाले खिसिया गए और माता जी के चेहरे पर संतोष और गर्व बिखर गया।