Anshu Shri Saxena

Drama

5.0  

Anshu Shri Saxena

Drama

एक पत्र गन्नू भैया के नाम

एक पत्र गन्नू भैया के नाम

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मेरे प्यारे गन्नू भैया,

आप तो अंतर्यामी हैं एवं मेरे मन की समस्त भावनाओं से परिचित हैं। दीपावली और भाईदूज के अवसर पर मैं आपसे, अर्थात अपने भाई से कुछ माँगना चाहती हूँ, इसीलिये यह पत्र लिख रही हूँ। नहीं...नहीं...मुझे अपने लिये कुछ नहीं चाहिये। आपने बड़े भाई की तरह ही मुझ पर सदैव अपनी स्नेह वर्षा की है और मुझे बिना माँगे ही मेरी झोली ख़ुशियों से भर दी है, इसलिये मुझे अपने लिये आपकी कृपादृष्टि के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं चाहिये। 

परन्तु आज आपकी बनाई इस सृष्टि में चारों ओर असत्य, घृणा, हिंसा, असहिष्णुता और अराजकता का वातावरण है। प्रेम, करुणा और सहिष्णुता की भावनाएँ तो विलुप्त सी हो गई हैं। सत्य और अहिंसा के विचारों को पुराने ज़माने का मान, आज मानव स्वार्थी हो चुका है। आप तो बुद्धि के देवता हैं, कृपया आप अपनी पत्नियों रिद्धि (ज्ञान) और सिद्धि ( आध्यात्मिक स्वतंत्रता ) के साथ आकर मनुष्य के विचारों को आलोकित करें, जिससे मनुष्य के मन से दूषित विचार दूर हों सकें। 

आप देवी लक्ष्मी और अपने पुत्रों, शुभ तथा लाभ के साथ धनी व्यक्तियों के पास तो रहते ही हैं, परन्तु इस वर्ष आप निर्धनों के घरों में भी अवश्य जाइयेगा जिससे उनके भी जीवन से निराशा का अँधियारा दूर हो और आशा का प्रकाश फैले। 

एक बात और गन्नू भैया, आप कुछ ऐसा करिये कि आपकी मातृ पितृ भक्ति का आज की पीढ़ी भी अनुसरण करे।आपने तो माता पार्वती और भगवान शंकर की परिक्रमा कर पूरी दुनिया नाप ली थी, परन्तु आज की पीढ़ी स्वार्थ के वशीभूत हो, सभी आदर्श भूलती जा रही है।जब कमजोर, असहाय और बेसहारा वृद्ध जनों को भीख माँगते या वृद्धाश्रमों में देखती हूँ तो करुणा से भर उठती हूँ।

इस दीवाली आप मुझे इतनी सामर्थ्य दीजिये कि मैं ग़रीब और असहाय लोगों की यथासम्भव सहायता कर सकूँ। वैसे मैंने सोचा है कि मैं दीये, तेल, बत्ती, मिठाई और फुलझड़ियों के पैकेट्स बना लूँगी और कपड़ों के साथ इन्हें पास की मलिन बस्ती में बाँट दूँगी। जिससे उनके घर भी दीवाली पर दीयों के उजाले से भर जाएँ और उनके बच्चे भी फुलझड़ियाँ छुड़ाने का आनन्द ले सकें। हाँ, साथ में ये भी सोच रही हूँ कि उन्हें कम्बल भी बाँट दूँ, सर्दियाँ भी आने वाली हैं न ! 

गन्नू भैया, वैसे तो मुझे हमेशा की तरह आपसे ढेर सारी बातें करनी हैं, क्योंकि एक आप ही तो हैं जिससे मैं मन की सारी बातें कह सकती हूँ। पत्र में लिखी मेरी बातों को अवश्य पूरा कर दीजियेगा जिससे सभी सुखी रहें एवं विश्व का कल्याण हो। 

और हाँ, दीवाली पर देवी लक्ष्मी के साथ साथ रिद्धि और सिद्धि देवियों को लाना मत भूलियेगा। मैंने आप सभी के स्वागत की समस्त तैयारियाँ पूर्ण कर ली हैं और मैं आपकी बेसब्री से प्रतीक्षा कर रही हूँ।

आपके आशीर्वाद की आकांक्षी

आपकी बहन।


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