एक और .....!
एक और .....!
सुबह से मीनाक्षी प्रसव दर्द से कराह रही थी, कभी इस करवट तो कभी उस करवट मगर दर्द बर्दाश्त के बाहर। मीनाक्षी के प्रसव दर्द की अवस्था अस्पताल की नर्स से भी न देखी जा रही थी। कोई सिर पर हाथ फेर अपनेपन का एहसास दे रही थी तो कोई उसके पैरों के तलवों को सहला रही थी। उनमें से एक अधेड़ उम्र की नर्स मीनाक्षी के पास बैठ उससे बातें कर उसका ध्यान बंटाने का प्रयास करने लगी मगर मीनाक्षी की स्थिति पूर्ववत .... पास में बैठी मीनाक्षी के परिवार की बुजूर्ग महिला जो कि उसकी दादी सास थी, पलंग पर बैठे-बैठे ही मीनाक्षी को दिलासा देते हुए कहती है, “कोई बात नहीं बहू, ऐसे नहीं करते, यूँ रोओ मत, ये तुम्हारा पहला बच्चा तो है नहीं। तुम इस प्रसव पीड़ा से पहले भी गुजर चुकी हो, ऐसे नहीं करते चलो चुप हो जाओ।”
मीनाक्षी के लिए एक-एक पल पहाड़ सा लग रहा था। दर्द के कारण बेबस और लाचार थी वह, वह मन ही मन प्रार्थना कर रही थी हे ईश्वर ! बस मेरी होने वाली संतान हृष्ट - पुष्ट, तेजस्वी, विवेकशील और भाग्यवान हो। अब मुझे और संतान की कामना नहीं है, बस इन दोनों का लालन-पालन ठीक से कर सकूँ तथा अपने मातृत्व का कर्त्तव्य निभाने में सक्षम रहूँ, यही मंगलकामना है।
सभी नर्स मीनाक्षी को धैर्य देती रही, कई बार गरमा गर्म दूध भी पीने के लिए दिया ताकि उसे प्रसूति के दौरान कोई परेशानी न हो। करीब दोपहर के बारह बजे नर्स ने प्रसूति कक्ष में सभी तैयारी के उपरांत डॉक्टर को इत्तला कर दी गई। मीनाक्षी को प्रसूति कक्ष में लेजाया गया। उसकी अवस्था अभी भी दर्द और चीख भरी थी।
इधर अस्पताल में भी उसके परिवार से बूढ़ी दादी सास के अतिरिक्त कोई न था। एक बजे उसने एक तंदुरुस्त, खूबसूरत और चंचल नन्ही कली को जन्म दिया।
बेटी को देखते ही वह अपने सभी दुःख भूल गई। बहुत खुश थी वह आज, अपने माँ होने पर गर्व हो रहा था उसे।
मीनाक्षी को कुछ समय उपरांत वार्ड में शिफ्ट कर दिया। बहुत खुश थी, सच में बहुत खुश थी वह। वार्ड में प्रवेश करते ही उसने देखा कि दादी उसकी बेटी को अपनी गोद में लिए बैठी है। दादी खुश थी मगर उनकी ख़ुशी न तो उनके स्वर में थी और न ही उनके चेहरे पर। मीनाक्षी को बुरा लगा मगर बेटी की ख़ुशी के कारण उसने दादी की बात को अनदेखा कर दिया। मीनाक्षी के चेहरे पर उदित होते भावों को देख दादी कहती है, “ एक और .....!”
मीनाक्षी एक बेटा और बस। दादी की मनसा और विचारों ने मीनाक्षी को भीतर तक झकझोर दिया। यह बात सुन वह स्तब्ध रह गई.....'एक और ....!’
