एक अंतहीन कथा की अंतहीन व्यथा

एक अंतहीन कथा की अंतहीन व्यथा

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पिता के चार मंजिला मकान एवं संपत्ति देकर अपनी लाडली अनीता की शादी रचा दी। बात 2009 की है, ऐसा नहीं कि भाई रिश्तेदार हैं। वहां के संबंध में शादी से पहले लड़के हम उसके परिवार वालों की पड़ताल नहीं की थी लेकिन पिता का सपना पूरा नहीं हो सका। यँ कहे कि अनीता को चार मंजिला मकान तो मिला कुछ संपत्ति भी मिली, पर नहीं मिला तो सुयोग्य भाइयों द्वारा की गई जांच पड़ताल के बाद भी सुयोग्य वर। अनीता के पति निकेश आले दर्जे के नशेड़ी कामचोर और गैर जिम्मेदार निकले। लगभग 20 दिनों के बाद अनीता के पिता रामनारायण जी कुदरा पहुंचते हैं और देखते हैं कि मेरे दामाद जी नशे में टल्ली किसी कमरे में बेसुध हुए। अब उनको मानो काटो तो खून नहीं। शाम को अनीता के पिता भागे भागे अपने घर लौटते हैं

और रास्ते में वे टीटी के द्वारा बिना टिकट यात्रा के क्रम में पकड़ लिया जाते हैं । लेकिन यह दर्द अनीता के दर्द से काफी छोटा था ।सही कहा गया है औरत तेरी यही कहानी, आंचल में दूध और आंख में पानी । अनीता के पिता घर लौट कर सुबह हृदयाघात से मृत्यु की भेंट चढ़ जाते हैं ।अनीता का कोई नहीं होता है। ससुराल मायके के चक्की मे अनिता पिसती रहती है। तो यही कथा है अनीता की। अनीता की तरह की और दूसरी लड़कियों की कितनी अनीता आज भी दहेज की बलिवेदी पर चढ जाती है। कब समाज बराबरी का दर्जा दे सकेगा !


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