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Arvind Kumar

Inspirational

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Arvind Kumar

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मेरी दुनिया बदल गईl

मेरी दुनिया बदल गईl

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तब की बात है जब मैं पांचवी कक्षा में पढ़ता था । जी हां ,बात 1984 की है ।जिस रोहतास इंडस्ट्रीज में मेरे पिताजी कार्य करते थे ,वह अचानक ही बंद हो गया। अब घरेलु अर्थव्यवस्था को संभालते का कोई भी साधन उपलब्ध नहीं था। घर की आर्थिक स्थिति माली होती गई ।पिताजी बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन पढ़ा कर किसी तरह घर को संभालने और हम दोनों भाइयों को पढ़ाने कार्य करने लगे। दिन बीतते देर नहीं लगी ।1991 में रोहतास इंडस्ट्रीज कुछ महीनों के लिए पुनः खुली एवं परंतु लगभग 10- 11 महीनों के बाद ही नए तरीके से संचालित इंडस्ट्रीज को पुनःबंद होने से बचाया नहीं जा सका और मेरे पिताजी इसी सदमें मे पार्किंसन डिजीज से पीड़ित हो गये। वे अब चलने फिरने में असमर्थ थे और तब मेरे समक्ष कोई भी रास्ता नहीं बचा था। मैं तब बीएससी का विद्यार्थी था ।फिर मैने बच्चों को पढ़ाना ,खुद पढ़ना एवम घर को किसी तरह संभालना शुरु किया।

साथ में मैं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी किया करता। इसी बीच समय आया 15 अप्रैल 1999 जब मेरा चयन रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा ईएसएम पद के लिए कर लिया गया। फिर मेरे खुशी का ठिकाना नहीं रहा ।जल्द ही मैं प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक पद के लिए भी बीपीएससी द्वारा चयनित हुआ और मेरी दुनिया बदल गई।


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