हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Fantasy Thriller

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Fantasy Thriller

एक अनोखी प्रेम कहानी : भाग 15

एक अनोखी प्रेम कहानी : भाग 15

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दोपहर हो गई थी। शिव को भूख भी लग आई थी। अचानक उसे याद आया कि सपना एक बार भी उससे न तो मिलने आई थी और न ही उसने फोन किया था। उसे याद आया कि किस तरह सपना ने एक छोटे से मजाक पर उसे चले जाने को बोल दिया था। शिव के मन में आया कि सपना की गलती को नजरअंदाज कर उससे प्यार भरी दो चार बातें कर ले। मगर अगले ही पल उसने सोचा कि अगर उसने फिर से झिड़क दिया तो ? क्या अब और अपमान सह पायेगा वह ? शिव निरुत्तर हो गया। वह बिना खाना खाये ही चुपचाप लेट गया। 


पता नहीं उसे कब नींद आ गई। सपना की आवाज से उसकी आंख खुली। सपना को सामने देखकर उसके आश्चर्य की सीमा नहीं रही। सपना के हाथ में खाने की थाली थी और वह उसके कमरे में दाखिल हो रही थी। उसके चेहरे पर तनाव था। शायद उसका गुस्सा अभी ठंडा नहीं हुआ था। 


माहौल को थोड़ा लचीला बनाने के लिए शिव ने पूछ लिया 

"कैसी हो सपना" ? 

सपना ने कोई उत्तर नहीं दिया और खाना मेज पर रखने लगी। कोई उत्तर न मिलने से शिव थोड़ा निराश हुआ मगर "शीत युद्ध" खत्म करने के इरादे से बोला 

"कल की बातें भूल जाओ सपना और आगे की ओर ध्यान दो। होली आ रही है। क्या तुम रंगों से होली खेलना पसंद करोगी" ? शिव ने अपने चेहरे पर जबरन मुस्कान लाते हुए कहा 

सपना अपने ही खयालों में मस्त थी। दरअसल अभी थोड़ी देर पहले उनके घर के पड़ौस वाली छाया भाभी आयी थी और कह रही थी कि रात में जब वह छत पर घूमने आई थी तब एक औरत ऊपर वाले कमरे में जाते हुए उसने देखी थी। पता नहीं कौन थी और क्या चाहती थी वह औरत। अंदर क्या हुआ, उसे पता नहीं मगर उसने कांच की चूड़ियां टूटने की आवाजें सुनाई थीं। बस इतना कहकर वह चली गई थी। सपना को यकीन हो गया था कि उसने जो बीती रात देखा था वह झूठ नहीं सच था। इसलिए उसकी छानबीन करने आई थी वह। मगर शिव को पता नहीं चले इसलिए वह गुपचुप तरीके से उसके कमरे की तलाशी ले रही थी और टूटी हुई कांच की चूड़ियों को ढूंढ रही थी। 


शिव का अनुमान सही निकला। पड़ौस वाली छाया भाभी को कैसे पता चला कि कोई औरत यहां आई थी ? अगर पता चला भी तो सपना को यह बताने क्यों आई कि उसने चूड़ियों के टूटने की आवाजें सुनी थी ? इसका मतलब वह छाया भाभी ही थी जिसने यह सब षड्यंत्र रचा था। यह तो बढिया हुआ जो उसने उन टूटी हुई चूड़ियों को पीछे गली में फेंक दिया वरना सपना तो सब कुछ सच मान बैठती और बिना बात ही संबंध तोड़ लेती। माना कि वह दिल की बहुत साफ है और उससे बेइन्तहा मुहब्बत करती है मगर वह अभी मासूम है और लोगों के षड्यंत्र नहीं समझती है। अपने प्यार का बंटवारा कौन चाहता है ? उसे भी पूरा का पूरा शिव चाहिए, आधा अधूरा, टुकड़ों में बंटा हुआ शिव नहीं चाहिए। 


शिव एक साथ तीन काम कर रहा था। चुपचाप खाना भी खा रहा था, सपना की गतिविधियों को भी देख रहा था और सारी घटनाओं को लिंक कर निष्कर्ष भी निकाल रहा था। 

जब सपना को वे टूटी हुई चूड़ियां नहीं मिली तो वह झुंझला उठी। "छाया भाभी झूठ क्यों बोलेंगी" ? उसने एक क्षण सोचा। अगले ही क्षण उसे याद आया कि उसने भी तो एक औरत को यहां आते हुए देखा था। इसका मतलब है कि कुछ तो बात है मगर क्या है ये समझ नहीं आ रहा था उसे। 


शिव ने खाना समाप्त कर दिया था। उसे समझ में आ गया था कि सपना को छाया भाभी ने ही यहां भेजा है जिससे सबूत "चूड़ी" मिल जाये तो सपना शिव की वो गत बनाये कि शिव को अपनी सात पुश्तें याद आ जायें। पर इससे छाया भाभी को क्या फायदा होने वाला था ? यह शिव को समझ में नहीं आया। शिव ने यह भी सोचा कि जब छाया भाभी ने सपना को वो चूड़ियों वाली बात बताई है तो वह उसका "रिएक्शन" भी देखना चाहती होंगी। इसका मतलब है कि छाया भाभी अपने ऊपर वाले कमरे से हम दोनों को वॉच कर रही होंगी। 


शिव ने धीरे से खिड़की में से पड़ौस के कमरे में बनी खिड़की के अंदर झांककर देखा। वही औरत थी जो कपड़े सुखा रही थी। शिव को यकीन हो गया कि वही छाया भाभी है। वह भी इधर ही देख रही थी। शिव छाया भाभी का प्लान समझ गया था। उसने खिड़की पर पर्दा डाल दिया और सपना का हाथ पकड़कर एक जोर के झटके के साथ उसे अपनी ओर खींचा। सपना झट से शिव के ऊपर आ गिरी। शिव ने आव देखा न ताव और सपना का एक जोर से किस कर लिया। सपना प्यासी तो थी ही , वह भी शिव का सामीप्य चाह रही थी मगर उसके चेहरे पर एक मान था। "शिव पहल करे" बस यही चाहती थी वह। शिव ने "शीत युद्ध" खत्म कर दिया तो सपना कली सी खिल गई और वह भी शिव से लता की तरह लिपट गई। उसने भी जी भरकर प्यार किया शिव को। दोनों एक दूसरे में खो से गये। सपना के मन में अभी भी वह गुत्थी अटकी हुई थी जो उसके चेहरे से बयां हो रही थी। 

"किस सोच में डूबी हुई हो जानेमन" 

जानेमन शब्द सुनकर सपना को बहुत अच्छा लगा मगर अपने चेहरे की तिक्तता को वह छुपा नहीं पाई। उसने शिव से पूछा 

"एक बात पूछूं, सच बताओगे" ? 

शिव ने उसका चेहरा अपनी हदेलियों में थाम लिया और उसकी आंखों में डूबते हुए बोला 

"कभी झूठ बोला है" ? 

"नहीं और आगे भी मत बोलना" 

"पक्का। नहीं बोलूंगा।' शिव मुस्कुरा दिया। 

"आपकी जिंदगी में कितनी लड़कियां आईं हैं अब तक" ? सपना ने नजरें झुका लीं। 

शिव अवाक् होकर सपना को देखने लगा , बोला कुछ नहीं। "बोलो ना ? कितनी लड़कियां आईं हैं आज तक" ? 

शिव कुछ देर सोचता रहा फिर कहने लगा 

"ये सवाल क्यों आया तुम्हारे दिमाग में ? जब हम ऑनलाइन मिले थे और धीरे धीरे रिलेशनशिप में जुड़ गये तब भी तुमने यह प्रश्न नहीं पूछा था। फिर आज क्यों" ? 


सपना एक बार तो खामोश हो गई। कुछ सूझा नहीं उसे। फिर कुछ सोचते हुए कहा 

"सच सच बता दीजिए ना , मुझे भी तसल्ली हो जायेगी। मैं मानती हूं कि आप जैसे बुद्धिमान, सुंदर और शांत युवक के इर्द-गिर्द लड़कियों का झुण्ड रहता होगा। मैं तो बस अपनी कल्पना की उड़ान देखना चाहती हूं कि जो मैंने सोचा है क्या वह सच है" ? 


शिव ने उसका चेहरा अपनी ओर मोड़कर पूछा 

"क्या सोचा है तुमने" ? 

"यही कि कम से कम दस लड़कियां तो आईं होंगी आपकी जिंदगी में" ? सपना का चेहरा यह कहते हुए उतर गया था। शिव उसके नर्वस चेहरे को देखकर हंसा और कहने लगा 

"तुम पहली और आखिरी लड़की हो सपना रानी। तुम्हारे अलावा और कोई नहीं है मेरी जिंदगी में।' यह कहते हुए शिव ने सपना को एक बार फिर से चूम लिया। 


शिव के इन शब्दों ने सपना के मन पर क्या असर किया यह अवर्णनीय है। जैसे उसे मनचाही मंजिल मिल गई हो। शिव उसे पूरा का पूरा मिला है , यह सोचकर वह आह्लाद से भर गई और उसने शिव को कसकर भींच लिया। इतना प्यार तो उसे पहले कभी नहीं आया था। वह कितनी सौभाग्यशाली थी कि उसे शिव एकदम "कोरा" मिल रहा था। यद्यपि सपना भी तो एकदम कोरी ही थी लेकिन वह जानती थी कि लड़के लोग फ्लर्ट तो करते ही हैं इसलिए उनके कोरा मिलने की संभावना कम ही होती है। और शिव जैसे होनहार, बलिष्ठ और हैंडसम लड़के के तो कोरा निकलने की उम्मीद लगभग न के बराबर ही है। 


मगर उसे याद आया कि उसने एक औरत को शिव के पास आते देखा था , वह क्या था ? उसने शिव से कहा 

"एक बात पूछूं, बुरा तो नहीं मानोगे" ? 

"बुरा क्यों मानूंगा भला, पूछो क्या पूछना चाहती हो" ? 

"कल रात तुम्हारे पास कौन आयी थी" ? 


अब शिव को पता चला कि सपना के दिमाग में क्या चल रहा है। वह मुस्कुरा कर बोला 

"मैं भी नहीं जानता था कि वह कौन थी ? मगर अब कह सकता हूं कि वह कौन थी" ? 

"तो बताओ कौन है वो और तुम्हारे पास क्यों आई थी" ? 


शिव ने कुछ सोचते हुए कहा "मेरे बताने से पहले तुम मेरे कुछ सवालों के सही सही जवाब दो। क्या तुम अभी चूड़ियां ढूंढने आई थीं" ? 

सपना आश्चर्य से शिव को देखने लगी "तुम्हें कैसे पता चला" ? 

"वो छोड़ो , तुम तो ये बताओ कि हां या ना" ? 

"हां" सपना नीची नजर कर बोली 

"क्या तुम्हें छाया भाभी ने बताया है" ? 

"हां" सपना धीमे स्वर में बोली। 

"तो फिर कल रात मेरे कमरे में आने वाली वह औरत छाया भाभी ही थी। वह क्यों आई, इसका पता अभी तक नहीं चला है।' शिव ने सस्पेंस समाप्त करते हुए कहा। 

"आप पक्के तौर पर कैसे कह सकते हैं कि वह छाया भाभी ही थी" ? 


शिव कुछ सोचते हुए बोला "पहली बात तो यह है कि हमारे और छाया भाभी के मकान बिल्कुल सटे हुए हैं और छत के माध्यम से लोग एक दूसरे की छत पर आ जा सकते हैं। औरतें वहीं जा सकती हैं जहां बीच में कोई व्यवधान ना हों। दूसरी बात यह है कि उन्होंने लाल चूड़ियां पहन रखी थी और मेरे कमरे में वे लाल चूड़ियां ही रखकर गई थीं। तीसरी बात यह कि वे खुद तुम्हें बताने आईं थीं जिससे तुम उसके षड्यंत्र में फंस जाओ। बस, इन्हीं से पता चल गया कि वे छाया भाभी हैं।' शिव ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा । 


क्रमश : 



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