Manisha Dodeja

Abstract Tragedy Others

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Manisha Dodeja

Abstract Tragedy Others

एक अनमोल रिश्ता

एक अनमोल रिश्ता

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एक वक़्त की बात है एक लड़की थी जिसे बच्चे बहुत पसंद हुआ करते थे, उस लड़की का एक ही सपना हुआ करता था की वो सबसे अच्छी माँ बनाना चाहती थी। और एक दिन उसकी एक अच्छे घर में शादी हो गयी वो इस दुनिया में बच्चा लाकर अपने वैवाहिक जीवन को खूबसूरत बनाना चाहती थी। पर काफी कोशिशें करने के बाद भी बच्चा नहीं हो रहा था इसलिए वो डॉक्टर साहिब के पास भी गए डॉक्टर ने बताया की उसके शरीर में हारमोन्स की कमी की वजह से उसे बच्चा होने में तकलीफ़ हो रही है, जिसकी वजह से बच्चा होने में कठनाई आ रही है। काफी दवाइयों के बाद उस के दिन चढ़ गए और वो फूले न समायी जैसे उसका हर सपना पूरा हो गया पर वक़्त को कुछ और ही मंज़ूर था।

जब उसको गर्भवती हुए ८ महीने ही हुए थे उसके पति की रोड एक्सीडेंट में मृत्यु हो गयी जब यह बात उस औरत को पता चली तो उसके पैरो से जैसे जमीन ही निकल गयी और उसके साथ उसको तकलीफ़ होना भी चालू हो गयी और वह तुरंत हस्पताल पहुंची तो डॉक्टर ने बताया की माँ और बच्चे की हालत बहुत सीरियस है, माँ और बच्चे में से किसी एक को ही बचाया जा सकता है तब औरत ने डॉक्टर को हाथ जोड़ के विनती की उसके बच्चे को बचाया जाये क्यों की ज़िन्दगी में उसका एक ही सपना रहा है की वो अपने बच्चे को गोदी में उठाना चाहती है औरत की इतनी विनती देख आखिर बच्चे को ही बचाया। जैसे बच्चा पैदा हुआ बच्चे की रोने की आवाज़ सुन कर माँ के ख़ुशियों की कोई सीमा ही ना रही जब की उसकी हालत बहुत खराब थी पर कुछ आखरी लम्हो में भी माँ ने अपने बेटे को गोद में उठाया और अपना पहला दूध पिलाया और बस वो इस दुनिया से चल बसी।

और बच्चा भी रोता जा रहा था अब वो अनाथ हो गया था डॉक्टर ने उस बच्चे को उनके रिश्तेदारों के यहाँ छोड़ दिया उनके रिश्तेदारों ने भी बोझ समझ उसे जंगल में छोड़ आए, पर कहानी यहाँ ख़तम नहीं हुई वो माँ थी कैसे अपने बच्चे को यूँ छोड़ देती।

माँ का शरीर तो चला गया था पर माँ की आत्मा उस बच्चे के पास ही रह गई थी।

जो सिर्फ उसके बेटे को ही दिखाई देती थी। वो फिर माँ ने अपने बच्चे को जंगल से शहर लेकर आयी।

एक आत्मा बन कर भी अपने बच्चे का ख्याल रखती थी उसके साथ खेलती थी और उसको काफी खतरों से बचाती थी। बच्चा जैसे ही बड़ा होता है तो वो अपनी माँ से बातें करता है यह देख लोगो को लगता है की वो पागल हो गया है। तब उसकी माँ उसको कहती है की वो उससे एक वादा चाहती है की वो कभी भी किसी के सामने भी अपनी माँ से बात नहीं करेगा, ना ही वो कभी माँ को किसी के आगे लेकर आएगा, तब बच्चा लगभग १३ वर्षीय का हो चुका था तो बच्चे ने पूछा की ऐसे क्यों? तो माँ ने कहा वो उसे सही वक़्त आने पे यह बात बताएगी। बच्चा ऐसे ही माँ के आँचल में बढ़ता गया काफी बार वो अपनी माँ को अपने दोस्तों से मिलने के लिए कहता था पर हर बार उसकी माँ उसे मना कर देती थी कभी कभार वो माँ से लड़ाई भी करता था पर माँ कहती थी की वो उसे सही वक़्त आने पे बता देगी। 

देखते ही देखते वह कुछ २३ वर्षीय का हो गया और उसकी शादी का वक़्त आ गया लड़के ने लड़की पहले ही पसंद कर रखी थी और माँ को भी उसकी तस्वीर दिखा रखी थी। माँ को भी लड़की पसंद थी। जब रिश्ते की बात आयी तो बेटे ने माँ को लड़की के घर रिश्ता लेकर चलने को कहा क्यों की वो लड़की और उसके घर वालो को माँ से मिलवाना चाहता था पर तब भी उसकी माँ नहीं मानी तो उसके बेटे को काफी ज्यादा गुस्सा आ गया तो उसने गुस्से अपने माँ को कहा की वो माँ को छोड़ के हमेशा के लिए चला जाएगा और गुस्से में कांच का गिलास तोड़ दिया यह देख माँ के आंखों में आँसू आ गये। तब ही बेटे का भी इस बात पे ध्यान गया की उसने कांच का गिलास माँ के पैरों पे फेक दिया तो माँ को लगी ना हो यह देखने जब वह माँ के पास पहुंचा तो देखा माँ को कोई चोट नहीं थी तब बेटे को बहुत अजीब लगा, तब बेटे ने माँ से पूछा की आपको चोट कैसे नहीं लगी, तब माँ ने कहा की तूने आज मुझे छोड़ने की बात कह कर आत्मा को तकलीफ़ पहुंचाई है जिस्म की तकलीफ तो तब होगी ना जब वो होगा तब बेटा चौंक जाता है और तब माँ उसे वो पूरी सच्चाई बताती है की कैसे सब हुआ था और उसने क्यों अपने बेटे को मना किया था। यह पूरी बात सुनकर बेटा लम्बे वक़्त तक सदमे में चला जाता है और फिर वो माँ को गले लगा कर उससे माफ़ी मांगता है उसका शुक्रिया करता है।

फिर २ दिन बाद मदर'स डे पे ही वो अपनी माँ के पास आता है और कहता है की माँ तूने इतने साल मेरे लिए इतना सब किया है आज मैं तुझे कुछ देना चाहता हूँ, तब माँ ने पूछा क्या तब बेटे ने कहा मुक्ति..तब माँ हैरान हो जाती है तो बेटे ने कहा मैं नहीं चाहता तू मुझे छोड़ के जाए पर मैं ये भी नहीं चाहता की तू और यूं मेरे लिए भटकती रहे। तब यह सुन माँ की आंखों में भी आँसू आ जाते है वो फिर बेटे को गले लगा के जोर जोर से रोती है और कहती है की तुझ जैसे औलाद पाकर भी मैं धन्य हो गयी और कहती है की मैं अब आराम से मुक्त हो सकूंगी क्यों की मेरा बेटा अब समझदार हो गया है। और फिर हमेशा स्वस्थ सुरक्षित खुश रहने का आशीर्वाद देती है। और फिर उसका बेटा पूरे किर्या कर्म से अपने माँ को इस जनम से मुक्ति दिलाता है।


ऐसे होती है माँ जो मरने के बाद भी यूँ नहीं बीच राह में छोड़ सकती माँ की तो रूह भी बच्चे के लिए होती है।


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