Dr Mahima Singh

Classics Inspirational

4  

Dr Mahima Singh

Classics Inspirational

एक अजूबा -" मां"

एक अजूबा -" मां"

2 mins
354


एक दिन मेरी माँ के साथ। मेरा झगड़ा हुआ और मै उन पर चिल्लायी और दोपहर का भोजन नहीं किया। मैं अपने दोस्तों के साथ बाहर गयी, और खाना खाया। बाद में, जब मैं वापस आयी, तो मुझे अपनी माँ का सामना करने में झिझक हुई, इसलिए मैं अपने कमरे में गयी और टीवी देखने लगी। फिर मेरे पिताजी मेरे पास आए और मुझसे पूछा कि मैंने दोपहर का भोजन क्यों नहीं किया। मैंने उनसे कहा कि मैंने अपने दोस्तों के साथ खाना खाया था और मैं नहीं चाहती थी कि जब मेरी उनके साथ बहस हुई हो तो मै माँ द्वारा पकाया गया खाना खाऊ। उन्होंने मेरी बात सुनी और फिर मुझसे कहा, 'तुम्हें पता है, कभी-कभी तुम्हारी माँ जो कहती है या जो करती है वह मुझे पसंद नहीं आता, लेकिन क्या तुमने मुझे उन पर चिल्लाते या उनसे लड़ते हुए देखा है?' मैंने कहा नहीं।'

उन्होंने कहा, 'अगर आप या मैं या आपकी बहन आपकी माँ से लड़ते हैं तो हम अपने दोस्तों या सहकर्मियों के साथ बाहर जा सकते हैं और खाना खा सकते हैं, आराम कर सकते हैं और जब चाहें वापस आ सकते हैं। लेकिन क्या आपने कभी अपनी माँ पर चिल्लाने के बाद उनके बारे में सोचा है...? वह वहीं बैठेगी और पूरे दिन सोचेगी कि तुम उन पर क्यों चिल्लाए और वह इसी कारण पूरे दिन कुछ भी नहीं खायेंगी ... तो सोचिए इससे पहले कि आप उस पर चिल्लाएं या उनसे लड़ें, आपके पास बाहर एक पूरी दुनिया है जो आपके साथ हैंगआउट करने की प्रतीक्षा कर रही है लेकिन उनके लिए आप, आपकी बहन और मैं ही उनकी दुनिया हैं ... जब हम में से कोई उन पर चिल्लाता है, तो उनकी पूरी दुनिया उजड़ जाती है। आपके लिए यह केवल कुछ सेकंड के गुस्से की बात है, इसलिए यदि आप इसे कुछ समय के लिए दबा सकते हैं, तो आप उनकी दुनिया को खुशहाल बना सकते हैं...

यदि भोजन मे कुछ आपकी पसंद का नही बना तो आप हसँ कर यह भी कह सकते हैं कि आज मै ये ही खाऊंगा आप कल मेरी पसंद का बना देना उन्हें भी अच्छा लगेगा।

 खुशी की कामना उन सभी महान महिलाओं को...जिन्हें हम माँ, बहन, पत्नी कहते हैं... आप सभी को अधिक से अधिक शुभकामनाएं...।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Classics