STORYMIRROR

कलम ज़ादे

Drama

4  

कलम ज़ादे

Drama

दूसरी औरत

दूसरी औरत

5 mins
1.4K

'जल्दबाजी में इतना अहम फैसला लेना ठीक नहीं नेहा...। एक बार फिर इत्मीनान और शांत मन से हर पहलू को ध्यान में रखकर विचार कर लो... ! अभी तुम्हारी उम्र इतनी भी नहीं निकली कि कुएं में कूदने जैसी नौबत आ जाए। सुंदर हो, अच्छी नौकरी है... एक से एक अच्छे लड़के मिल जाएंगे। खिड़की से बाहर रिमझिम फुहार देख रहीं ननद पर पैनी नजरें गड़ाते हुआ रश्मि ने कहा।Ó

मैने अच्छी तरह सोच लिया है भाभी...। बहुत चिंतन-मनन करने के बाद ही मैं यह निर्णय ले रही हूं। रश्मि की और देखे बिना नेहा ने जवाब दिया।

लेकिन लोग क्या कहेंगे, समाज क्या कहेगा...। ...और तुम्हारे भैया और बाबूजी भी तो इस रिश्ते से खुश नहीं हैं। मुझे भी तुम्हारा यह फैसला कतई पसंद नहीं। कोई भी तो खुश नहीं है। रश्मि ने नेहा को कुदरते हुए कहा।

30 के पार हो चुकी हूं भाभी... ! कुछ दिनों बाद शायद उम्र शादी के लायक भी नहीं बचेगी...। अब तक न तो आपके सभ्य समाज ने मेरे बारे में सोचा और न ही भैया-बाबूजी ने...। मैं अच्छी तरह जानती हूं भैया-बाबूजी को क्या परेशानी है। इस बार थोड़ा तल्ख और व्यंगात्मक लहजे में नेहा ने रश्मि की ओर देखते हुए जवाब दिया।

लेकिन वो आलरेडी शादीशुदा है...पत्नी और दो बच्चे हैं उसके...एक पत्नी के होते कोई दूसरी शादी कैसे कर सकता है ? कानून के हिसाब से भी देखा जाए तो यह सरासर गलत है। और बिना शादी के दूसरी औरत रखने का मतलब जानती हो। समाज ऐसी औरत को क्या कहकर पुकारता है...।

नेहा को काटो तो खून नहीं, वह तिलमितला गई। उसे समझते देर नहीं लगी कि भाभी उसके बारे में क्या कहना चाह रही हैं। वही जो बाहरी दुनिया के लोग फुसफुसा रहे हैं। वैसे तो शुरू से ही परिवार में भाई को ही तवज्जो दी जाती रही ! मां की मृत्यु के बाद तो जैसे उसका कोई सहारा ही नहीं रहा। बीमारी के चलते पिता की प्राइवेट नौकरी छूट गई। इकलौता बेटा होने के लाड़-प्यार में भाई इतना पढ़ नहीं सका कि कोई ढंग की नौकरी कर ले। एक छोटी सी दुकान पर सेल्समैन है। हां, भइया की शादी बड़ी धूमधाम से की गई। पिता ने जीवन भर की कमाई बेटे की शादी में लगा दी। बेटी के बारे में क्यों नहीं सोचा। अब भला, बेटी क्यों न स्वार्थी हो जाए। आखिर उसका भी तो अपना जीवन है, कुछ सपनें हैं। उसने क्या ठेका ले रखा है भइया-भाभी और उनके बच्चों की परवरिश का। अब परिवार के सभी लोग डर रहे हैं। उन्हें यह चिंता नहीं है कि मैं किसी शादीशुदा शख्स से प्रेम करती हूं और उससे शादी करना चाहती हूं। बल्कि उन्हें डर है तो आर्थिक तंगी से दो-चार होने का। बच्चों के प्राइवेट स्कूल की मोटी फीस कौन देगा। महीने भर का राशन और अन्य खर्चे कहां से पूरे होंगे। भाई की छोटी सी तनख्वाह तो पता ही नहीं चलता कि कब और कहां गायब हो गई।

जानती हूं भाभी, ऐसी औरत को रखैल कहते हैं... ! इस बार गुस्से के साथ-साथ नेहा की आंखें थोड़ी नम थीं। वह लगातार बोलती चली गई... ! लेकिन आप बेफ्रिक रहिए। मैं ऐसा कोई निर्णय नहीं लेने वाली। आकाश ने मुझसे वादा किया है कि वो शादी करेगा और दोनों को खुश रखेगा। आर्थिक स्थिति से वह पूरी तरह से दो पत्नियों को रखने में सक्षम है...। रही बात कानूनी प्रक्रिया की तो हम दोनों शादी करने के लिए अपना धर्म बदल लेंगे। बहुत से लोगों ने दूसरी शादी करने के लिए अपना मजहब महज चंद घंटों के लिए बदला और अब वह पूरी तरह से सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं... ! और वैसे भी आपको घबराने की जरूरत नहीं है... ! मैं पहले की तरह आप लोगों का खर्च उठाती रहूंगी। इस संबंध में भी मेरी आकाश से बात हो चुकी है... ! उसे कोई आपत्ति नहीं... !

और आकाश की पत्नी और बच्चों का क्या ! कभी उनके बारे में सोचा है। क्या उनका जीवन पहले जैसा सामान्य रहेगा। बच्चे अपने पिता को किसी नजर से देखेंगे। आकाश की पत्नी और बच्चों को घोर मानसिक आघात से दो-चार नहीं होना पड़ेगा... ! इस बार रश्मि भी नेहा की आंखों में आंखे गड़ाकर बोलती चली गई। वैसे तो इस बारे में वो बेचारी खुद ही ज्यादा सही और सटीक दुखड़ा बता सकी है। यह चि_ी भेजी है आकाश की पत्नी ने तुम्हारे लिए... !

भाभी रश्मि के हाथ में कागज का टुकड़ा देख नेहा आवक रह गई ! शायद वह आकाश की पत्नी की इस प्रतिक्रिया के लिए तैयार नहीं थी। कुछ देर वह रश्मि को एकटक देखती रही फिर कंपकंपाते हाथों से कागज का टुकड़ा ले लिया। न जानें क्यों यह पल उसे बहुत भारी और बोझिल लग रहा था। कंपकंपाते हाथों से उसने कागज का टुकड़ा खोलकर नजर गढ़ा दीं !

नेहा, मुबारक हो ! बहुत सुंदर हो तुम... ! मुझमें अब वैसी सुंदरता नहीं बची। या कह लो कि जी भर गया आकाश का मुझसे। तभी तो तुम आसानी से उसे रिझाने में कामयाब रही हो। हम लोगों का प्रेम-विवाह हुआ था। कहना न होगा कि शाद से पहले भी हम दोनों में अटूट प्रेम था ! लेकिन अब... ! अब मेरी ड्यूटी सिर्फ बच्चों और घर-गृहस्थी को संभालने की रह गई है। आकाश से अलग नहीं हो सकती...प्रेम भी करती हूं और कुछ मजबूरियां भी हैं। शायद तुम नहीं समझ सकोगी। लेकिन एक बार याद रखना कि तुम दूसरी औरत ही रहोगी... ! जीवर भर ! हमेशा, मेरे मरने के बाद भी...सिर्फ दूसरी औरत...दूसरी

पत्नी ! दूसरी औरत हमेशा पहली पत्नी और उसके बच्चों का जीवन बरबाद करने के बाद ही दूसरी पत्नी बनती है... ! दूसरी पत्नी यानि एक स्वार्थी प्रेमिका ! अपने स्वार्थ के लिए पहली पत्नी के सपनों को मिट्टी में मिला देताी है। सिर्फ तुम्हें ही दोष नहीं दूंगी... ! आकाश भी मेरा जीवन बरबाद करने के लिए उतना ही जिम्मेदार है जितना कि तुम ! 

(नेहा का पूरा शरीर पसीने से तर हो गया। कंपकंपाते हाथों से चिट्ठी भी फिसलकर जमीन पर गिर गई। अपनी बेचारी सी जिंदगी के सारे तर्क उसे बहुत छोटे होते नजर आए। उसकी आंखों से अश्रुधारा बह निकली और जमीन पर टपक रहे आंसुओं से चिट्ठी में लिखे शब्द भी धूमिल होने लगे।)


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama