दोस्ती
दोस्ती
एक और एक ग्यारह - वाक्य कितना छोटा है परंतु इसका अर्थ कितना गहरा और बड़ा है। हम हमेशा से सुनते आए हैं कि एकता में बल है इसलिए हमें हमेशा मिलजुल कर ही रहना चाहिए।
आज की हमारी कहानी भी इसी वाक्यांश को परिभाषित करती है। जिसमें महेश और सुरेश दो मुख्य पात्र हैं। महेश और सुरेश दोनों बचपन से मित्र हैं। एक-दूसरे के अच्छे-बुरे वक्त में हमेशा साथ दिया। जो बिल्कुल एक और एक ग्यारह की जोड़ी हैं। महेश और सुरेश दोनों दोस्तों में बहुत गहरा प्यार था। बचपन से एक दूजे का साथ निभाते आए हैं। हर हालात हर परिस्थिति का सामना मिलकर किया है तो एक दूसरे को बेहतर से जानते हैं।
कुछ समय बाद महेश और सुरेश दोनों की शादी हो जाती है। लेकिन शादी के बाद दोनों अपनी-अपनी गृहस्थी में मग्न रहने लगे, हमेशा कामकाज को लेकर एक दूसरे से मुकाबला करने लगे और धीरे-धीरे दोनों दोस्तों के बीच विचारों की एक दीवार सी आ गई थी। दोनों एक दूसरे से नफरत करने लगे थे। अब हर कोई जो पहले उनकी एकता और उनके भाईचारे की मिसाल दिया करते थे। आज वही लोग उन पर ताने कसने लगे मजाक उड़ाने लगे।
उनके आपसी झगड़े का दूसरे लोग फायदा उठने लगे अब उन्हे ये बात समझ आ चुकी थी कि हम दोनो की जोड़ी मे ही हमारी एकता हमारी शक्ति है और अब फिर से दोनों दोस्त एक हो गए।
अब फिर से दोनों दोस्त एक-दूसरे के लिए वही प्यार भरी ज़िन्दगी जीने लगे।