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Writer Rajni Sharma

Drama

4  

Writer Rajni Sharma

Drama

वो यादगार चाय

वो यादगार चाय

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वह दिन आज भी मेरी यादों में बसा है, उस अजनबी से हम जब टकराए थे। 

निकले थे घूमने सर्दी के मौसम में शांत-सी सड़कों पर कोहरा छाया था घना, कंपकंपा रहा था सर्दी से। तभी सड़क किनारे चाय की एक टपरी पर नजर पड़ी तो सोचा क्यों ना सर्दी के इस सुहावने मौसम में एक गर्मा-गरम अदरक वाली चाय का लुत्फ़ उठाया जाए। 

अभी चाय की पहली चुस्की भरने ही वाले थे कि तभी स्कूटी के ब्रेक लगते हैं और अप्सरा के जैसी खूबसूरत एक लड़की सामने आई। 

ठंड के मारे उसके होंठ थर्र्थरा रहे थे। हाथ मलते हुए उसने दुकानदार की तरफ एक कड़क चाय देने का इशारा किया और आकर मेरे सामने वाली सीट पर ही बैठ गई। यूँ तो सर्दी से मानों सुन्न पड़ चुका था मैं, लेकिन उसे देखते ही जैसे एक जोश भर आया और मैंने पूरे उत्साह से उसकी ओर चाय की प्याली बढ़ाते हुए कहा - "लीजिए जब तक आपकी चाय बन रही है आप यह पी लीजिए" उसके चेहरे पर थोड़ी हिचकिचाहट दिख रही थी मानों वह मना करना चाहती हो, लेकिन मैंने थोड़ा अपनापन जताते हुए उनकी तरफ वह चाय का कप सरका दिया और वह अपने गुलाब की पंखुड़ी जैसे कोमल होठों से सिप-सिप करके चाय पीने लगी। 

इतने में मेरा भी चाय का कप आ चुका था। चाय पीते-पीते हमने एक दूसरे से एक दूसरे का परिचय लिया और पता ही ना चला कब बातों ही बातों में 6 -7 कप चाय के बैठे-बैठे ही पी गए। अदरक वाली गर्मागर्म चाय के साथ में मठरी और उनकी मीठी-मीठी वह बातें मानों इस चाय को और भी मीठा और स्वादिष्ट बना रही थी।

सर्दी की वो स्पेशल चाय आज भी उन हसीन लम्हों की याद दिलाती है जो उस अजनबी से एक ही पल में जुड़ गए थे...।



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