Akanksha Gupta

Tragedy

3  

Akanksha Gupta

Tragedy

दो घूंट पानी

दो घूंट पानी

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“इतना सुंदर गाँव और यह वीरानी। बात कुछ समझ नहीं आई फूलचंद जी।” गाँव से कुछ दूर ही मेघा का सवाल था।

“क्या बतावें बिटिया। सब समय का खेल है। एक दुखयारी की हाय ने एक पूरे हँसते-खेलते गाँव को श्मशान बना दिया।” फूलचंद ने उदास होते कहा।

बात करते करते गाँव की सीमा निकट आ गई थी। मेघा ने फूलचंद को अपने साथ गाँव के अंदर चलने के लिए कहा लेकिन फूलचंद ने मना कर दिया। उसने कहा- “बिटिया हम तो इस गाँव में पाँव ना धर सके है। इससे आगे तो आपको अकेले ही जाना होगा।”


“लेकिन फूलचंद जी इसकी वजह तो बताइए। ऐसा क्या हुआ था यहां पर कि......।” मेघा की बात बीच में अधूरी रह गई।

“वो कहानी तो आपको यह गाँव खुद ही बताएगा बिटिया। अच्छा अब हम चलते हैं बिटिया। आप जब यहां से निकलना चाहो तब लड़के के नंबर पर फोन कर देना, हम गाड़ी लेकर आ जावेंगे।” यह कहते हुए फूलचंद वहां से चले जाते है।


भीषण गर्मी के बीच सिर पर पड़ती हुई धूप में मेघा उस गाँव में अकेली खड़ी थी। चारों तरफ एक अजीब सी खामोशी पसरी हुई थी। गर्म हवाओं में उड़ती हुई रेत माहौल में डर पैदा कर रही थी।

अपनी मासिक पत्रिका जलज के लिए एक शोध लेख तैयार करने के लिए इस गाँव में आई मेघा को अब प्यास लगने लगी थी। उसने अपने बैग में से पानी की बोतल निकाली और वहां बने हुए एक कुएँ की मुंडेर पर बैठकर पानी पीने लगी।


मेघा पानी पी ही रही थी कि उसके कानों में एक औरत की आवाज़ आई। उसने इधर उधर देखा तो उसे कोई दिखाई नहीं दिया। उसने फिर पानी पीना शुरू किया कि तभी उसके सामने एक चलचित्र सा चलने लगा।

“दया करो मालिक, बस थोड़ा सा पानी दे दो। मेरा बच्चा दो दिन से प्यासा है। अगर उसे पानी नहीं मिला तो मेरा बच्चा मर जायेगा।” औरत रोते हुए कह रही थी।

“देख कमली, यह पानी गाँव के धनी लोगों के लिए है। तुम लोगों अपने कुएँ में भी तो पानी होगा। कोशिश करोगे तो एक आधा घूंट पानी निकल ही आएगा।” सामने एक आदमी हंसते हुए बोल रहा था।


“पानी अमीर गरीब नहीं देखता मालिक। आपको तो पता है पिछले दो साल से गाँव में सूखा पड़ा है। तालाब, कुएँ सूखे पड़े हैं। घर में अन्न का एक दाना तक नहीं है। पानी पीकर गुजारा कर रहे हैं और अब तो पानी भी खत्म हो रहा है। हम ज्यादा नहीं बस दो घूंट पानी मांग रहे हैं। हमारे बच्चे को प्यास लगी है, उसके लिए।” औरत जैसे भीख मांग रही हो।

अब वो आदमी उठ कर कमली के पास आया और उसे गंदी नज़रों से निहारने लगा। कमली सिमटी सिकुड़ी जा रही थी। वो आदमी मुंह में पान रखते हुए बोला- “चल तुझे पानी दिया लेकिन हर चीज की कोई कीमत होती है, अगर तुम वो कीमत चुकाने के लिए.....।” कहते हुए वो आदमी कमली के कंधे पर हाथ सहलाता है।


कमली की आँखों में खून उतर आया। वो उठी और उसने आदमी के मुंह पर एक थप्पड़ जड़ दिया और बोली- “आज आपने सारी हदें पार कर दी लेकिन याद रखिए कि अगर आज मुझे पानी नही मिला तो इस गाँव में कभी किसी को पानी न नहीं मिलेगा। कोई घर आबाद नहीं रहेगा।” इतना कहते हुए कमली वहां से चली जाती है। वहां खड़ा आदमी हँसने लगता हैं।


मेघा ये सब देखकर सन्न रह जाती है। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाती, कमली अपने बच्चे को लेकर उसकी ओर बढ़ती है और उसके देखते देखते कुएँ में कूद जाती है।


मेघा उसे बचाने के लिए नीचे देखती हैं लेकिन वहां कोई था ही नहीं। उसने इधर उधर देखा तो वहां कोई नहीं था। सब सुनसान पड़ा था। मेघा अपनी बोतल बंद करके फूलचंद के लड़के को फोन मिलाने लगती हैं।


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