दो अधूरे हुए पूरे
दो अधूरे हुए पूरे
" दर्द का दर्द से रिश्ता बहुत गहरा होता है सलोनी...बस यही वजह है की मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ....और ये शादी कोई एहसान नहीं होगी !" दीपक ने कहा।
" मतलब....? तुम्हें क्या दर्द है अच्छा खासा कमाते हो गाड़ी बंगला सब है तुम्हारे पास!" सलोनी हैरानी से बोली।
" क्या रुपए- पैसे, या गाड़ी बंगला जीवन में सुकून ले आते हैं!" दीपक फीकी हंसी हँसते हुए बोला।
" पहेलियाँ मत बुझाओ दीपक तुम मेरी सारी सच्चाई जानते हो... मेरा अतीत जानते हो फिर मुझसे शादी का फैसला मेरी नज़र में पागलपन है.. और कुछ नहीं!" सलोनी बोली।
"और मैं कहूँ....ये प्यार है मेरा तुम्हारे लिए....इज़्ज़त है....तब!" दीपक ने सवाल किया।
" दीपक प्यार से जिंदगी नहीं चलती... प्यार के वादे तो अतीत में भी किये थे किसी ने मुझसे....पर मेरी एक कमी उस प्यार पर भारी पड़ गई....छोड़ दिया उसने मुझे क्योंकि मैं संपूर्ण नहीं हूँ....औरत तब संपूर्ण होती जब वो माँ बनती और मैं कभी माँ नहीं बन सकती....मैं संपूर्ण नहीं हूँ और तलाक शुदा भी हूँ....दीपक तुम्हें बहुत सी लड़कियाँ मिलेगी जो संपूर्ण होंगी!" सलोनी ने कहा और वहाँ से जाने लगी।
" रुको सलोनी....अपनी बात तुमने कह दी तुममें बहुत हिम्मत है जो पहले ही अपनी कमी को तुमने स्वीकार किया इसी हिम्मत का मैं कायल हूँ....सच कहूँ तुमसे बहुत कुछ सीख रहा हूँ मैं और आज मुझमें भी हिम्मत आ गई के मैं भी तुम्हें सच बोल सकूँ!" दीपक रुक रुक कर बोला।
" कैसा सच?" सलोनी ने दीपक के पास आ पूछा।
" सलोनी एक औरत माँ नहीं बन सकती तो वो संपूर्ण नहीं....पर अगर एक आदमी बाप ना बन सकता हो तो....तो तुम्हारा समाज उसे क्या कहेगा क्या वो संपूर्ण होता है!" दीपक ने सलोनी के प्रश्न का उत्तर ना दे उससे ही प्रश्न किया।
" ये मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं दीपक....पहले मैंने प्रश्न किया है तो जवाब पाने का हक भी पहले मेरा है!" सलोनी नाराज होते हुए बोली।
" सलोनी....वो....!" दीपक ने नज़रें झुका सलोनी का हाथ पकड़ लिया मानो उससे हिम्मत ले रहा हो वो।
" क्या .... बोलो दीपक!" सलोनी ने दीपक के हाथ पर दूसरा हाथ रखते हुए कहा।
" सलोनी सच्चाई यही है की मैं चार साल पहले एक एक्सीडेंट में बाप बनने की क्षमता खो चुका हूँ....!" दीपक सर झुका के बोला।
" क्या....?" सलोनी हैरान रह गई।
" हाँ सलोनी मैंने इसीलिए आजीवन शादी ना करने का फैसला किया था....मैंने सोचा था एक बच्चे को गोद ले उसकी परवरिश करूँगा बस उसी के सहारे जिंदगी कट जायेगी....फिर एक साल पहले तुम हमारे ऑफिस में आई... तुम्हें देख तुमसे प्यार हो गया पर अपनी कमी के कारण कभी स्वीकार नहीं किया....दो महीने पहले जब तुम्हारे बारे में तुमसे ही अचानक पता लगा तो यही लगा हम दोनों ही अधूरे हैं...लेकिन हिम्मत नहीं थी ये बात स्वीकारने की आज बड़ी मुश्किल से हिम्मत जुटा पाया हूँ!" दीपक ने कहा।
दीपक की बात सुनकर सलोनी की आँख में आँसू आ गये। वो सोचने लगी ईश्वर भी क्या खेल रचाता है। चार साल पहले ही मेरा तलाक हुआ क्योंकि मैं माँ नहीं बन सकती थी....और चार साल पहले ही दीपक बाप बनने की क्षमता खो चुका है....!
"अब जब तुम मेरे बारे में सब जानती हो....तो क्या मुझसे शादी करोगी....क्योंकि हम दोनों का दर्द एक है....क्या मेरे साथ एक संपूर्ण जिंदगी बिताना चाहोगी...हम अपनी इस कमी को बच्चा गोद ले पूरी कर लेंगे!" दीपक भरी आँखों से बोला।
" जरूर दीपक....!" ये बोल सलोनी दीपक के गले लग गई....दीपक ने सलोनी के माथे को चूम लिया।
आज सलोनी और दीपक की शादी को छः साल हो चुके है दोनों ने एक- एक कर दो बच्चों को गोद ले लिया....दो अधूरे लोग एक दूसरे के दर्द को खुशी में बदलने को एक हुए और उनके अधूरेपन को पूर्ण किया दो प्यारे प्यारे बच्चों ने!
