दिल की दास्तान (भाग-1)
दिल की दास्तान (भाग-1)
एक बार की बात है अभिनव नाम का एक लड़का था वो स्वभाव से बहुत ही चंचल साहसी और खुशमिज़ाज और अपने कर्म पर विश्वास रखने वाला लड़का था जो की अपने आप मे बहुत बड़ी है पर ये खुशी के लिए घातक सिद्ध हुई हुआ कुछ यूं था की एक दिन वह अपने मित्रों के साथ बैठकर बाते कर रहा था बातों बातों पर उसके एक मित्र ने उससे कहा, "अभिनव सुना है तुम बहुत साहसी हो इस पर अभिनव ने इतरा के कहा," हाँ तो तुम भी बन जाओ तुमको किसने रोका है" उसके ये कहते ही सब हँसने लग गए उसके मित्र ने कहा, " ठीक है मान लिया की तुम साहसी हो पर तुम्हें ये साबित करना होगा और ये साबित करने के लिए तुम्हें एक गांव मे अकेले रात गुजारनी होगी और शर्त ये है की हम मे से कोई भी तुम्हारे साथ नहीं जाएगा अगली सुबह तुम्हें खुद आना है तब जाकर ये साबित होगा कि तुम साहसी हो वर्ना तुम सबके सामने ये स्वीकार करोगे की तुम एक कायर हो" ये सुनकर अभिनव हँसने लगा और बोला, "और कुछ" ये सुनकर उसके मित्र ने कहा," ये इतना भी आसान नही है वह एक भुतिया गांव है आज तक कोई कोई भी व्यक्ति नही लौटा कहते है वहा पर एक डायन का साया है" यह सुनते ही अभिनव उपहास करते हुए बोला," हाँ! मैं तो डर गया; अब तुम मेरी सुनो अब उस डायन पर मेरे प्यार का साया होगा"।
वादे के मुताबिक वह उसी रात झनकपुर के लिए रवाना हो गया। तो वादे के मुताबिक यह अकेला ही उस पहाडी गांव झनकपुर गया उसे गांव मे जाते ही उसे कुछ अजीब महसूस हुआ वहाँ के लोग भी कुछ
अजीब थे। रात बहुत हो चुकी थी रात होते ही गांव के सभी लोग अपने घर में चले जाते है उस वक्त का मंजर कुछ यूं था की उस गांव में कोई रहता ही नहीं इतने वह कुछ सोच पाता अचानक से वहाँ एक बूढ़ा संत आया और उसने अपनी कपकपाती हुई आवाज में कहा,' अगर अपना भला चाहते हो तो यह से चले जाओ नहीं तो तुम जिन्दा नहीं बचोगे वो तुम्हें मार देगी चले जाओ, चले जाओ अगर भला चाहते हो तो'। अभिनव उस संत की अनसुना करके वहा चला जाता है और कुछ दूर चलते ही वो एक पेड़ की निचे जाकर खड़ा हो गया, अचानक ही उसके साथ कुछ ऐसा हुआ जिससे उसे अपने फैसले पर पछतावा होने लगा। वह जैसे उस पेड़ के निचे खड़ा हुआ वैसे ही उसे अचानक से एक भयानक औरत दिखाई दी जैसे ही उसने उस औरत को देखा तो उसे उस संत की बाते याद आने लगी हद तो तब हुई जब उसे पायल की झंकार सुनाई दी पर अचम्भे की बात ये थी की वहा कोई औरत नहीं थी फिर तभी उसने वहा से भागने की सोचा। वह बिना कुछ सोचे समझे भागा जा रहा था उसे भागते भागते आधा घंटा बीत चूका था की उससे ये एहसास हुआ की वो आगे बड़ा ही नहीं वो अभी भी वही खड़ा है ये मंजर उसके लिए किसी मौत से कम नहीं था फिर अचानक उसके साथ कुछ ऐसा हुआ की डर की जगह किसी मीठे से एहसास ने ले ली थी उसके सामने एक अचानक एक बेहद खूबसूरत लड़की आई जिसको देखते ही वह देखता रहा गया उसका डर किसी ने मीठे एहसास में बदल दिया था।
(आखिर कौन थी वो लड़की जिसको देखते ही अभिनव का डर किसी मीठे एहसास में बदल जानने के जुड़े रहे 'दिल की दास्तान भाग-२ )
क्रमशः