दहशत - किस्सा खौफ का
दहशत - किस्सा खौफ का
अरे ! भाई इस रास्ते से मत जाओ। शाम के वक्त यहां से कोई नहीं जाता। यह एक भूतिया रास्ता है। कुछ साल पहले एक बस का एक्सिडेंट हुआ था इस रास्ते पर। तब से आज तक जो भी इस सड़क से रात के वक्त गुजरता है उसका भी ऐसे ऐक्सिडेंट होता है।
कार सवार व्यक्ति कहता है, यह सब मै नहीं मानता। यह एक अंधविश्वास है। भूत प्रेत कुछ नहीं होता। मै इसी रास्ते से ही जाऊंगा।
वह व्यक्ति उसकी बात को अनसुना कर देता है। आराम से मस्त गाने बजाते हुए जाने लगता है। अचानक कुछ दूरी पर जाते पर सामने से उसे एक बस अपनी तरफ आती हुई दिखाई देती है वो अपनी गाडी को साइड करने की कोशिश करता है। गाड़ी नहीं चलती। वह आदमी घबरा जाता है। उसे , उस व्यक्ति की चेतावनी याद आती है।
कार सवार व्यक्ति गाड़ी से बाहर निकल कर भागता है। तभी सामने से आती हुई बस उसकी गाड़ी से टकरा जाती है। वह व्यक्ति दहशत से भर जाता है और आंखे फाड़ कर देखता है उस बस में से जगह जगह से कटे , कहीं से जले हुए लोग बाहर निकलने लगते है। और फिर उसे बस में दबे कुचले लोगो कि कान के परदे फोड़ने वाली चीखें सुनाई देती है। वो व्यक्ति अपने दोनो कानो को अपने हाथो से बन्द कर लेता है।
उसकी आंखे अब तक पूरी दहशत से भर चुकी थी। वो व्यक्ति भागने की कोशिश करता है पर भाग नहीं पाता। वो सब उसकी तरफ बढ़ रहे होते है। उन्हें अपने पास देख वह अपनी आंखे बंद कर लेता है। आंखे बंद करने से पहले देखता है उस भीड़ में उस चेतावनी देने वाले व्यक्ति को।
वो सारी आत्माएं अब उसे उसी बस में खीच कर ले जा चुकी थी।
चेतावनी कभी भी हलके में ना ले।

