Kanchan Singla

Children Stories Inspirational

4.0  

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स्वच्छता अभियान एक नई पहल

स्वच्छता अभियान एक नई पहल

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रीना आज पूरे पांच साल की हो चुकी थी। उसका यह पाँचवाँ जन्मदिवस था। उसके लिए एक पार्टी रखी गई थी, उसके माता पिता की तरफ से। 

वह उस पार्टी में अपनी कक्षा के सारे बच्चों को बुलाती है। 

वह बहुत खुश थी अपनी पार्टी को लेकर। 


शाम होते ही उसके लिए बहुत सारे पकवान तैयार किए जाते हैं। पापा एक केक लेकर आते हैं। सब कुछ तैयार हो जाता है। सब बच्चे भी आ जाते हैं। 

बस अब सबको इंतजार था तो बस केक कटने का ताकि सब उसमें से अपना हिस्सा लेकर खा सकें। 


रीना आज खुश भी थी और इसी के साथ वह कुछ नया करना चाहती थी। अपनी अध्यापिका के शब्द उसे अच्छे से याद थे "हमारे आस पास की सफाई हमें भी और हमारे अपनों को बीमारियों से बचाती है।" और कुछ दिन पहले

टी वी पर उसने देखा था, जिसमें देश की स्वच्छता को लेकर एक अभियान चलाने की मांग हो रही थी, सभी देशवासियों से। 


रीना अपना केक काटने से पहले बोलती है..... मम्मी पापा और मेरे सारे दोस्तों से मुझे आज बस एक ही तोहफा चाहिए। अगर आप सब आज मुझसे यह वादा करते हैं तब ही मैं यह केक काटूंगी।


सब पूछते हैं....क्या चाहिए तुम्हें रीना ??


रीना कहती है .... मुझे चाहिए कि आप सब अपने आस पास कचरा ना फैलाएं और दूसरों को भी ऐसा करने से रोकें। सब मिलकर देश के सफाई अभियान में साथ दें,

तभी भारत एक स्वच्छ भारत कहलायेगा।


छोटी सी रीना के मुंह से इतनी समझदारी भरी बात सुनकर उसके माता पिता गदगद हो जाते हैं। जिस उम्र में बच्चे बस खेलने और खाने के शौकीन होते हैं, रीना उसी उम्र में देश में बदलाव के बारे में सोच रही थी। 


बाकी बच्चे पूछते हैं... लेकिन यह कैसे हो पाएगा? हम लोग अकेले यह नहीं कर पाएंगे। 


रीना कहती हैं .... हमारी अध्यापिका कहती है...बूंद बूंद से सागर बनता है, जिसका मतलब यह है अगर हम शुरुआत करेंगे, तब ही हमें देखकर बाकी सब भी सीख जाएंगे। 


सब उसकी यह बात सुनकर उसके लिए तालियां बजाते हैं और इसमें उसका साथ देने का वादा करते हैं। 


खाना खाने के बाद अब वहां कोई भी अपना कचरा कहीं भी नहीं फैलता, बल्कि उसे बाहर रखे कूड़ेदान में डाल कर जाते हैं। 


रीना यह देखकर खुश होती हैं और उसके माता पिता भी। 


शिक्षा :- किसी का पहला कदम ही लोगों में बदलाव लाने के लिए जरूरी होता है। बस इसके लिए हमें एक अच्छी शिक्षा और नजर की जरूरत है। अपने आस पास कचरा ना फैलाएं। दूसरों को दोष देना आसान है, लेकिन स्वयं में बदलाव लाना बहुत कठिन है। 





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