Sabita Kumari

Tragedy

4.6  

Sabita Kumari

Tragedy

दहेज़ की शादी

दहेज़ की शादी

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एक गाँव में एक महेश नाम का किसान रहता था। वह एक ग़रीब किसान था। उसके उसकी बेटी के आलावा कोई नहीं था इस दुनिया में। उसकी पत्नी का निधन जब उसकी लड़की दो साल के थी तब ही हो गया था। उसकी लड़की का नाम कोमल था। कोमल एक बहुत ही प्यारी और मासूम बच्ची थी। धीरे धीरे उस किसान ने बड़ी मेहनत से अपनी लड़की को पाला पोसा और बड़ा किया। वह खेती भी करता था और अपनी बेटी का ख्याल भी रखता था। वह एक परिश्रमी किसान था। पर कभी ज्यादा धूप या ज्यादा बारिश की वजह से सब किसान का फसल बर्बाद हो जाता था जिससे किसानों में गरीबी छाई रहती थी।किसान अपनी बेटी की हर जरूरत का ख्याल रखता था, उसकी बेटी अब उस किसान की खेती बारी में सहायता करवाती थी। कोमल धीरे धीरे बड़ी और सुशील हो रही थी और गाँव के ही स्कूल में पढ़ रही थी। और एक अच्छी छात्रा थी महेश भी बेटी की सब विषय में अच्छा अंक से खुश था। रोज़ रात को महेश अपने बेटी को साहसी कहानियाँ सुनाया करता था और अपनी बेटी को एक साहसी लड़की बनाना चाहता था ।

      

‌लड़की दिन पे दिन और भी पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करती थी और अपने पिता महेश की कहानियों से प्रोत्साहित होती थी पिता कभी देश भक्ति कहानी सुनते तो कभी सच्चाई, ईमानदारी, सत्यनिष्ठ भाव परक कहानी सुनाते थे। उसके पिता भले ही एक ग़रीब किसान थे पर कोमल को कभी किसी भी चीज की कमी महसूस नहीं होने दिया। कोमल अब बी. ए की परीक्षा उत्तीर्ण करके प्रथम अंक पर आईं थी। और अपने पिता को बहुत आदर और प्यार देती थी। कोमल एक समझदार और सुलझी हुई थी उसकी एक अच्छी सहेली थी चंपा और वो चंपा को सभी सहेलियों से अधिक मानती थी। कोमल कभी भी गलत बात को नहीं स्वीकार करती थी पिता के संस्कार और अपने स्वाभिमान पर अडिग रहती थी। अब उसकी सहेली चंपा का शादी तय हो जाता है। लड़के वालों की ओर से दहेज़ मांगने पर कोमल विरोध करती है। फिर भी ये शादी हो जाता है। अब अपने समाज में फैले सामाजिक समस्या पर अधिक जोर देती थी वो एम. ए के पढ़ाई के साथ साथ अपने पिता का भी ध्यान रखती थी और समाज में व्याप्त सभी कुरीतियों का विरोध करती थी। कोमल अपने समाज में व्याप्त दहेज़ प्रथा के विरोध में खड़ी हो गई और कुछ कहानी लिख के वो अपने मन में उत्पन्न भाव को व्यक्त करती थी क्योंकि उसकी सहेली चंपा का विवाह एक लालची परिवार में हुआ जिस घर में चंपा हमेशा सताए जाती थी। इसकी थोड़ी बहुत खबर कोमल को भी था। चंपा जब भी कोमल से मिलती थी तब कभी भी ससुराल वालों की बुराई नहीं की।

‌धीरे धीरे चंपा को ससुराल वाले लोग दहेज़ के लिए प्रताड़ित करते गए जिसकी खबर चंपा ने अपने पिता या सहेली को नहीं दी थी। एक दिन गाँव में होली का त्योहार मना रहे थे चारों तरफ खुशी छाई थी चंपा के पिता भी चंपा की शादी करके खुश थे। कोमल भी पिता के साथ होली मना रही थी ठीक उसी समय एक  गाड़ी आईं जिसमें चंपा की लाश थी, अचानक सब तरफ सन्नाटा छा गया। जब कोमल ने चंपा के लाश से चादर को हटाया तो उसका चेहरा देख के एक जोर से चीख चंपा ...के साथ बेहोश हो गई सब तरफ ये बात फैल गई थी चंपा के घर में आग लगा था वो घर में अकेली थी बाकी सास ससुर और उसके पति उस समय खेत में गए थे वो जब तक खेत से आए तब तक देर हो गया था।

चंपा की मौत ने कोमल के जीवन में बहुत ही गहरा दर्द दिया। कोमल समझ गई कि ये आग लगा नहीं लगाया गया था। उस समय चंपा ने उस आग के लपेटे को कैसे झेला होगा ये सब बातें कोमल को अंदर ही अंदर खा रहा था। धीरे धीरे समय बीतता गया और इस बात को सब भूल भी गए थे। एक दिन कोमल के लिए अच्छा रिश्ता आया और उसके पिता महेश ने शादी तय कर दिया और कोमल भी मान गई क्योंकि वो अपने पिता की परेशानी नहीं बनना चाहती थी। एक दिन कोमल की भी शादी एक अच्छे लड़के से हो गई जो की बाहर कमाता था। पिता भी बेटी के शादी करके खुश थे।और अब निश्चिंत थे। कोमल का पति एक अच्छा युवक था पढ़ा लिखा समझदार था उसका नाम अजय था। वो कोमल को प्रेम भी करता था। पर कोमल के सास ससुर ने दहेज़ की मांग रखा तो अजय ने इसका विरोध किया था। इसलिए कोमल और उसके पिता शादी के लिए राज़ी हुए थे। सब ठीक ठाक चल रहा था एक दिन उसके सास ससुर कुछ बात कर रहे थे जिसे सुनकर कोमल के होश ही उड़ गए जिसमें वो बात कर रहे थे कि अजय की शादी में कुछ दहेज़ नहीं मिला और बात साफ साफ नहीं पर दहेज़ का बात चल रहा था और दूसरी शादी का भी। कोमल सोच में पढ़ गई उसके लिए उसके सास ससुर का रवैया कुछ बदला बदला था। और एक दिन वो लोग अजय से फोन में बात कर रहे थे कोमल से तलाक लेने के लिए अजय से बोले जिसका विरोध अजय ने किया क्योंकि कोमल एक संस्कारी स्वाभिमानी और पढ़ी लिखी लड़की थी ।

‌अजय को ये मंज़ूर नहीं था अजय ने साफ साफ बोला वो जब तक है उसकी जिंदगी में वो दूसरी शादी नहीं करेगा वो भी दहेज़ के लिए उसने समझाया अपने माता पिता को वो मान भी गए।

‌कुछ दिन ऐसे बीतते गए कोमल अपने पिता के घर आईं थी। पिता के घर से खुशी खुशी और बहुत प्यार दे कर और विदाई लेकर गई उस दिन उसके सास ससुर अपने दोस्त के घर घूमने गए थे। वहां से आने के बाद वो लोग कोमल को बोले की उसकी सास के भाई का तबियत ख़राब है वो लोग उनके घर जाएंगे। कोमल अकेली थी और कुछ समय बिताने के लिए किताब पढ़ने लगी। फिर रात के करीब 10 बज रहे थे तो वो सोने गई। फिर अचानक गेट खुलने का आवाज़ आईं वो खिड़की से देखती है कि चार लोग आ रहे है जिनके हाथ में हथियार है कोमल को सब बात समझते देर नहीं लगी उसने एक चिट्ठी लिखा जिसमें सभी बातों का जिक्र की थी और उस चिट्ठी को कमरे में रख दिया। फिर वो सोने का नाटक करने लगी फिर वो चार लोग उसके कमरे में प्रवेश किए उसके तथा उसके सास के कमरे से सभी पैसा गहने निकाल कर भर लिए और बोले वो लड़की कहाँ है .. इतने में कोमल एक लम्बी सांस ली फिर कोमल को सोया समझ कर उसपर एक नुकीले हथियार से प्रहार किया। कोमल अत्यंत साहसी थी बचपन से उसके पिता से साहसी कहानी सुनती थी और आज उसे अपने साहस का परिचय देना था। कोमल पर जैसे ही खंजर से प्रहार किया गया वो खंजर को हाथ से पकड़ ली और छीना झपटी होने लगा वो समझ गई आज की चंपा का यही हाल हुआ होगा पहले प्यार फिर प्रहार ओह चंपा ..तुमने कितना कुछ सहा होगा ओह...अकेले कब तक जूझती चार लोग के सामने बेबस से नहीं एक निडर होकर लड़ी वो पास में पड़े एक लकड़ी से एक के ऊपर प्रहार की वो चित होके गिर पड़ा तब तक दूसरा चोर एक नुकीले हथियार से उसके पेट में वार किया जिससे उसके पेट से खून की कतार बहने लगा फिर वो अपने पेट से उस नुकीले हथियार को निकाल कर और दो चोरों को गर्दन पर वार की जिससे वो लोग वही धराशाई हो गए। एक चोर था जो भाग गया बहुत ही साहस के साथ लड़ते हुए कोमल भी ज़मीन पर गिर पड़ी और उस समय उसके मुख से एक ही आवाज़ आई कि चंपा ने तो और भी तकलीफ़ सहा होगा कितना तड़पी होगी। चंपा, चंपा...आँख बंद हो गए।


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