देवदूत

देवदूत

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आपने कभी देवदूत देखा हैं।

हाँ, हमने देखा है, हमारे मानस पिता जिनको हम डैडू कहते हैं, वह देवदूत ही तो है।

बड़ा ही अचरज होता है जब उनको किसी के दुख में भागते हुयें देखते हैं। कई बार सोचते है कि ऐसे ही होतें होगें देवदूत, जो दूसरों के दुख में, उनके दुख का निवारण करते हो। इसी में लगे रहते हैं, बहुत ही गंभीर छलछलायी हुई आँखें गठीला सा बदन।

कौन ना ऐसे मानव की पूजा ना करें। हम तो बिलकुल शिव ही उनको मानते हैं जो किसी के आँसू, किसी दुख में खड़े हो, सुख में खड़े हो, जाड़ा, गर्मी, धूप ना सोचे, उसकी कैसे पूजा ना की जायें, सच बतऊँ देवदूत ऐसे ही होते हैं।


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