डिजिटल मर्डर
डिजिटल मर्डर
दोनों सोशल मीडिया पर पहले से सक्रिय थीं। एक रोज़ किसी समूह में एक प्रतियोगिता के चलते पहचान हुई, फिर वार्तालाप और बातचीत। उधर से आगे रहकर बहुत मीठी- मीठी बातेंं की गईं। कुछ दिन ऐसे ही चला और एक रोज़ उधर से एक संदेश के साथ मित्रता सूची में जुड़ने का निवेदन आया।
जबकि उसका खुद का पन्ना नियंत्रण बटनों के चलते इसकी इज़ाज़त नहीं दे रहा था।
"बाद में देखूँगी, मेरा हस्तचालित दूरभाष नंबर XXXXXX है...." उधर से आश्वासन भरा संदेश था।
कुछ दिन बाद इधर वाली ने बात करने के लिए उसे खोजा। ना मिलने पर कुछ शंका हुई तो किसी दूसरे मित्र से उसके विषय में पूछा।
अब अपने अवरुद्ध ( ब्लॉक्ड ) होने का एहसास हुआ। अपने सीधेपन के रहते, एक बार फिर शक्कर में लिपटी जहर की गोली ( शुगर कोटेड पॉयजन ) खा गई थी।
आवाज़ गले में घुटती सी महसूस हो रही थी, चाहकर भी कुछ कहना असंभव था।
आभासी दुनिया में लोग बेखौफ होकर ऐसे सजा रहित डिजिटल मर्डर' करते हैं।