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Richa Baijal

Drama

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Richa Baijal

Drama

डिअर डायरी डे 20

डिअर डायरी डे 20

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डिअर डायरी,

13 अप्रैल 2020, लॉक डाउन का बीसवां दिन । एक दिन के बाद लॉक डाउन खुल जायेगा, है न ? हम सब खुद को छू कर इत्मीनान कर ले रहे हैं कि हम ज़िंदा हैं। जब ज़िन्दगी के लिए जद्दोजेहद होती हैं तब व्यक्ति बिलकुल स्वार्थी हो जाता हैं । ये अव्यवस्था न हो, इसलिए पुलिस हैं, प्रशासन हैं ।

सोचने वाली बात ये हैं कि कोरोना की दवा का विक्रेता होकर भी भारत के पास 10000 एक्टिव कोरोना केसेस हैं । ये जो समय हैं, अगर आप समझें;तो इस वक्त हम तीन बीमारियों का सामना एक साथ कर रहे हैं, और वो हैं : फ्लू, मलेरिया और कोरोना । शरीर का तापमान तीनो बीमारियों में बढ़ेगा । ये तो हम सभी जान रहे हैं कि जमातियों ने कोरोना पेशेंट्स की संख्या में इज़ाफ़ा किया हैं, लेकिन अब जो हो गया हैं उसको संभालना हैं । आज भी कुछ मुर्ख आपको सड़कों पर घूमते मिल जायेंगे जो यहीं कहेंगे कि कोरोना कुछ नहीं होता है। चीन या तो मरने वालों की संख्या छुपा रहा है, या फिर कोरोना का 'एंटीडोट ' विश्व से छुपा रहा है । 

बड़े बड़े एडिटोरियल लिखने वाले कह रहे हैं कि आपको कम से कम 7000 रुपये हर एक के खाते में डालने हैं । ये बहुत ज़रूरी है ; लेकिन फिर बात वही आ जाती है कि सिर्फ खाताधारक को मिलेंगे पैसे । फिर वही होड़ लगेगी, जेबें भरने वाले सबसे आगे लगेंगे लाइन में । ऐसे में करोङो की आबादी को फिर से सँभालने की ज़िम्मेदारी प्रधानमंत्री के कन्धों पर होगी ।

कोशिश ये है कि कोरोना का कहर जल्दी थमे। एक प्रश्न जो दिमाग को बार -बार हिला रहा है : इतना सब करके भी हम 10000 तक क्यों पहुंचे हैं ? डॉक्टर्स कह रहे हैं दवाई फालतू में नहीं खानी है ; लेकिन पहले मलेरिया की ये दवाई 'प्रिवेंटिव ' के तौर पर खायी जाती थी । तो अब दिल मान नहीं रहा है कि इससे साइड -इफेक्ट्स होंगे । प्रिवेंटिव मतलब पहले से खा लेना दवाई को जिससे मलेरिया नहीं होता था क्यूंकि उसकी एंटीबॉडीज आपके शरीर में बन जाती थीं ।

बहुत सारी चीज़ों के बिना रह रहे हैं हम सभी । चॉकलेट्स, फ़ास्ट फ़ूड कुछ भी तो नहीं खा रहे हैं । नमकीन और बिस्कुट तक भी नहीं ले रहे हैं । और हर एक दिन के बाद उठ कर ये कह रहे हैं कि हमें कोरोना नहीं हुआ है । यही अचीवमेंट है आजकल, कोरोना का होना और कोरोना का न होना।

ख्यालों का सिलसिला 

मुझे भी होगा, तुझमें भी होगा 

लेकिन 'महफ़िल' जमने में अभी मुमकिन है, बहुत वक्त लगेगा 

मेरा शहर तुझे बुलाता है 

लेकिन हालातों का काफिला -सा आता है

जो हर एक कोशिश को हमारी नामुमकिन कर जाता है ।

'होप दिस "कोरोना -थिंग " डाइज़ सून।


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