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Bhawna Kukreti

Drama

4.7  

Bhawna Kukreti

Drama

ढंग से जा..

ढंग से जा..

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297


उस दिन काफी देर से मैं एक सड़क पार करने की कोशिश में थी

तेज भागती गाड़ियों के बीच जिंदगी एक नाजुक डोर सी महसूस होती थी। एक मलंग फ्लाईओवर की दीवार पर पीठ टिकाए इन चलती फिरती मौत की रफ्तारों से उट पटांग बातें कर रहा था,कभी किसी गाड़ी पर थूकता कभी अजीब तरह से शून्य में देखता-मुस्कराता।अचानक ही वह मेरी ओर देखने लगा। और कुछ ही क्षण में वो बैठा मुझे देख हंसने लगा था।

जहां इन तेज भागती गाड़ियों में बैठे इंसानों को वो नजर नहीं आ रहा था उसे भी इन गाड़ियों की कोई फिक्र नहीं लगती थी। उसके मुझे देखते रहने और अजीब ढंग से देखते रहने पर मुझे गाड़ियों से ज्यादा अब उस से भय लगने लगा था। मुझे सड़क पार करने में असमर्थ देखता हुआ वो उठ खड़ा हुआ, मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा।वो मुझे अभी तक नीचे बैठा महज अध ढका गंदे शरीर वाला बाबा नजर आता था। उठते ही उसकी 6 फुट की कद काठी देख, मुझे लगा कि वो कोई दैत्य है जो मेरी ओर चले आ रहा है।

मैं बुरी तरह घबरा के बस तेज भागती सड़क के बीच घुस ही जाती की उसने अपने लंबे हाथ बढ़ा कर मेरी कलाई को जोर से दाब लिया और जोर जोर हंसने लगा।" वहाँ पहुंचना है?...जरा ढंग से जा ।" उसे यूँ मेरा हाथ थामे देख दूर से आती कुछ गाड़ियां बड़ी जोर से आवाज़ें करती रुकीं थीं। मैं सुन्न थी, न पैर चलते थे न दिमाग,वाणी का लोप हो चुका था सिर्फ आंखें थीं जो भय से फैली थीं और चीख रहीं थीं। कान किसी मदद की आहट को ढूंढने में लगे पड़े थ

े ।एक झटके से उसने मुझे रुई के जैसे गोद में उछाल कर ले लिया और बोला "तू फानी है फानी, यहां की छोड़...वहां अलग है तेरी कहानी। वहाँ पहुंचना है ना? ..जरा ढंग से जा, जा अभी को भाग जा।" उसका वाक्य पूरा होते मैं सड़क के पार थी । वो मुझे वहीं छोड़ कर जोर जोर से हंसता हुआ आगे बढ़ चला। जाने किस से जोर जोर से कह रहा था "करा दिया पार अब खुश है तू" में थर थर कांप रही थी ख़ुद को संभाल ही रही थी कि वो फिर भागता आया और इस बार बहुत आराम से बोला जैसे कोई सभ्य, हाइली क्वालिफाइड इंसान "प्लीज रेमेम्बेर व्हाट आई जस्ट टोल्ड यु, योर स्टोरी इस नॉट व्हाट यु थिंक,जस्ट ट्राय टू सेल स्मूथ. यु आर मोर देन दीस मोर्टल बॉडी।" और मेरी विस्मय से भरी अवस्था को छोड़ कर वो फिर पागलों सा गाड़ियों के बीच चिल्लाता दौड़ गया" जा ढंग से जा ढंग से जा ।"

ये जो आज कहानी सी लगती है ये सत्य घटना कुछ तीन -चार महीने पहले की है लेकिन आज इस प्रतियोगिता का सड़क किनारे बैठे फकीर का चित्र देख कर याद आ गयी। शरीर पर रोएं उठ खड़े हैं, दिल अब भी धड़क रहा है, मलंग की आवाज अब भी गूंज रही है ....

"वहाँ पहुंचना है?...जरा ढंग से जा"

"तू फानी है फानी, यहां की छोड़...वहां अलग है तेरी कहानी।वहाँ पहुंचना है ना? ..जरा ढंग से जा, जा अभी को भाग जा।"

"प्लीज रेमेम्बेर व्हाट आई जस्ट टोल्ड यु, योर स्टोरी इस नॉट व्हाट यु थिंक,जस्ट ट्राय टू सेल स्मूथ। यु आर मोर देन दीस मोर्टल बॉडी।"


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